झाबुआ

पेटलावद ब्लॉक के शासकीय स्कूलो मे खेल सामग्री खरीदी मे भ्रष्टाचार की आशंका….।

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झाबुआ – जिले की सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं से खेल सामग्री खरीदी का मामला सामने आया है। जिले 2402 सरकारी स्कूलों में ननिहालों के खेल के लिए खरीदी जाने वाली सामग्री की सप्लाई से जुडा है।  और खेल सामग्री खरीदी में एक बड़े भ्रष्टाचार की आशंका व्यक्त की जा रही है और इसी के अंतर्गत पेटलावद ब्लॉक के सारंगी अंतर्गत महेंद्र सिंह.बाछीखेड़ा ने फेसबुक पेज के माध्यम से खेल सामग्री का निरीक्षण और गुणवत्ता को लेकर पोस्ट की है । तथा सामग्री की गुणवत्ता और उसकी कीमत को लेकर भी पोस्ट किए तथा भ्रष्टाचार की आशंका व्यक्त की. हैं ।

जिले की 1977 प्राथमिक में प्रति स्कूल 5 हजार तथा 425 माध्यमिक स्कूल मे ंप्रति स्कूल 10 हजार के मान से खेल सामग्री खरीदी हेतु निर्देश जारी किया गया। नियमानुसार ये खरीदी पीटीए के होनी है और उन्हीं के खाते से भुगतान भी होना था किंतु जीरो बेलेन्स पर पीटीए का खाता ना खुल पाने के कारण बीआरसी के मार्फत बिल का वैरीफिकेशन होने के बाद सीधे समग्र शिक्षा भोपाल के खातों से सप्लायर्स को भुगतान होगा। इसे सरकार की सार्थक नीति कहे या नीति बनाने वालों की अनीति क्योंकि जिस सत्र का बजट जारी किया वह गुजर चुका है और उसकी खरीदी के निर्देश अब दिये गये है ना बड़ी हैरानी की बात। खैर सरकारी स्कूल के कक्षा 1 से 5 वी तक के बच्चों के खेलने के लिए खेल सामग्री खरीदी के नाम पर खेला जो किया जा रहा है उसकी कुल राशि एक करोड़ 41 लाख 3500 रूपये है, जिस पर तमाम सप्लायर्स अधिकारीयों के सरंक्षण में पलीता लगाने की तैयारी कर चुके हैं। 

गुणवत्ताहीन सामग्री की सप्लाई

सादे कागज पर प्राप्ति रसीद, बिल बीआरसी के माध्यम से हो रहे पास

प्राथमिक और माध्यमि स्कूलों में खेल सामग्रीयों के लिए राशी पीटएक के खातों से दुकानदारों के खातों में हस्तातंरित होना था किंतु सत्तापक्ष के नेताओं का सरंक्षण मिले तो अधिकारी ही सप्लार्य की भूमिका निभा देते हैं। ऐसा ही मेघनगर विकासखंड में हुआ। कहने का तो सामग्री खरीदी के लिए पीटीए स्वतंत्र है किंतु बीआरसी के निर्देश पर तमाम सीएससी द्वारा उनके अधिन आने वाली स्कूलों में संदेश देकर दुकाने बताई जा रही है कि उन्हें.अमूक दुकान से खेल सामग्री का कीट लेना है। स्कूल प्रभारी से सादे कागज पर दुकानदार प्राप्ती लेकर बीआरसी को दे रहे है और वहीं से बिल राशि याने 5000 और 10 हजार उनके खातों में हस्तातंरित की जा रही है।

प्राथमिक स्कूलों में 1 हजार तो माध्यमि में 1800 की सामग्री

प्राथमिक स्कूल में जो खेल सामग्री 5 हजार की बता कर सप्लाई की गई । उसका बाजार मूल्य 1 हजार से भी कम प्रतित हो रही है उसी प्रकार माध्यमिक शाला की सप्लाई जो 10 हजार की बताई जा रही है उसका बाजार मूल्य तकरीबन 2 से ढ़ाई हजार के बीच ही बैठ रहा है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है की क्या इतने बड़े पैमानें पर हो रही गड़बडी की जानकारी प्रशासन को नहीं हुई होगी। इस मामले में पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया में सप्लाई सामग्रीयों के फोटो और वीडियों वायरल हो रहे है जिन्हें देखकर कोई भी सहज अनुमान लगा सकता है इस सप्लाई में 75 फीसदी को भष्टाचार किया गया। प्राथमिक शाला में खेल सामग्री दी उसमें कीट बैग, हाईट नापने की स्केल, डिजीटल स्केल, 2 नग टेनिस बाल, 3 नग प्लास्टि बाल, छोटा कैरम बोर्ड, 3 नग लुडो बोर्ड, रिंग, एक लकडी का बेट इस तरह कुल 13 आईट् के 23 नग है जिनकी खरीदी बाजार दर से कई अधिक गुना के बिल लगा कर पैसा सप्लार्य को भुगतान किया जा हा है जाएगा

इसी को लेकर पेटलावद ब्लाक अंतर्गत ग्राम सारंगी के महेंद्र सिंह बाछीखेडा ने फेसबुक पेज पर खेल सामग्री की खरीदी और गुणवत्ता को लेकर अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया की सारंगी ग्रामीण मंडल सुखराम मोरी के आदेश हुआ था अपने अपने क्षेत्र की स्कूल में जाकर खेल सामग्री का निरीक्षण किया जाए । मंडल अध्यक्ष के आदेश अनुसार महेंद्र सिंह बाछीखेडा (फेसबुक पेज अनुसार) ने प्राथमिक शाला बाछीखेड़ा गुवालरुंडी कतिजापाडा कचनारिया मोहडिपाड़ा कला माध्यमिक शाला बाछीखेड़ा मोहड़ी पड़ा आदि स्थानों का निरीक्षण किया गया । निरीक्षण के दौरान पाया कि खेल सामग्री जो शासकीय स्कूलों में दी जा रही है या खरीदी जा रही है उसकी सामग्री की कीमत 1000 से 12 सो रुपए तक की ही है जो सामग्री की गुणवत्ता को दर्शाता है । इसके अलावा कई संस्था ने डर के मारे सामग्री नहीं बताई । स्कूल में सामग्री वितरित करने वाली कंपनी अनु ट्रेडर्स बामनिया की बताई जा रही है । और कई.अध्यापकों में डर का माहौल हो गया है । महेंद्र सिंह फेसबुक पर के माध्यम से यह भी बताया कि अनु ट्रेडर्स द्वारा यह कहा जा रहा है अगर आपने सामग्री नहीं ली तो प्रभारी मंत्री के पास आपका नाम पहुंचा दिया जाएगा । इस तरह सामग्री सप्लाई करने वाली फर्म द्वारा प्रभारी मंत्री के नाम से शिक्षकों को डराया जा रहा है और धमकाया जा रहा है तथा खेल सामग्री खरीदी करने के लिए दबाव भी बनाया जा रहा है.। क्या शासन प्रशासन इस ओर ध्यान देकर जिले में खेल सामग्री खरीदी की गुणवत्ता को लेकर कोई जांच करेगा या फिर यह यूं ही सब खरीदी के नाम पर चलता रहेगा…..?

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