तो निश्चित ही उसकी सरलता और सहजता भी कारण रही है, क्रिकेट को भी ऐसा कह सकते है, अभिजात्य वर्ग का खेल, अपनी जरूरत के कारण सभी का खेल बना, जरूरत कुल 22 खिलाड़ियों की, जब सभी खिलाडी नही हुए तो, जो भी मिला उससे पूर्ति कर अनुपस्थित खिलाड़ी की पूर्ति उसे खिलाडी बनाया व काम चल गया –खैर छोड़ो ये मेरा तर्क होगा — अपन तो झाबुआ प्रीमियर लीग पर आते है, अब केवल 20 का पंजीयन बाकी है, पहले आओ, पहले पाओ, सामाजिक महासंघ झाबुआ का काम भी निराला भई! क्या तो योजना बनी, क्या तो मीटिंग हुई ने क्या रजिस्ट्रेशन हो गए, वा यार नीरज भई, आपका भी जवाब नही,👍बात- बात मेई जे पी एल –पर जज्बा भी चिये भई, ने खेल प्रेम भी, अब देखो खिलाडी भी का का से निकल के आ रिये, ने इन्क्वारी अलग, लाला भई आम्रपाली भी तैयार है अपने विनम्र व्यवहार के साथ, कंधे से कन्धा मिलाकर, वाव! बाकी टीम भी जोरदार, किस किस का नाम लु 👍दो टीम तैयार हो जाएगी, अब अपना भी काम बड़ रिया हेगा, हलचल देखने का, ये भी मजा है भई 🤣 पर एक बात कु तुमको, कोई निराली बात होय तो मेरको अकेले मे बताना, छपास मे काम आएगी, अब भई, बहादुर भाटी का काम बड़ जायेगा.🏆 आज फिर पैलेस मै जऊंगा देखु, अपना क्या है, नी तो चाय तो पक्की है,🤪 और हाँ एक बात और जरुरी है, आज चुला नी जलेगा, तो माता शीतला जी का ठंडा प्रसाद ही खाना है, पापड़, कुड़लाई, मिक्चर, सेव, पराठे, पूड़ी ने सक्कर पारे, चरके ने मीठे, अब वेरायटी तो भोत है, जित्ते घर पर ये कामन है भई, पर ज्यादा मत खाना,…….. जे पी एल की तैयारी करना है भई …….