झाबुआ

मुक्कदर का सिकंदर

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🏏🎤 झाबुआ प्रीमियर लीग
सामाजिक महासंघ, झाबुआ


✒️ शरत शास्त्री की कलम से

कल भई खुब माथापच्ची का

दिन था, भोत सारा काम भी था ने, शाम का टेंशन अलग, अब तुमको तो मालुम हे ज की,
किरकिट कोई ऐसे ज थोडी हो जायगा, अब नीरज भई का क्या, 🙃करो तो करो, सदभाव आएगा, पर अपनी तो वाट लगेगीज नी, अब अंकुश पट्ठा बड़ा प्लानर हे, उसको टेंशनीज
नी, जवान छोरा हे की यार, अंकल, अंकल केता केता, ऐसा
कर लो वैसा कर लो, अब करो भई, पर दिमाग़ का अंकुश कीड़ा हे भई, मानना पड़ेगा,
काॉंफिडेंस हे बन्दे मे, करते करते, शाम हुई ने भई को क्या
की मुंडा धो यव, फ्रेश हो जउ गा, कपड़े लत्ते भी बदले, थोड़ा
ठीक दिखूँगा,
अब अपने को आइडिया नी भई की अंकुश ने लाला भई ने अमित क्या करेंगे, ने उमंग भई भी बोले की कर लेगे, पर कैसे,
येज तो समझ नी आरिया था,
ने कप्तान बिठाये, ने फ्रेचाई जी बिठाये, हल्ला गुल्ला भी भोत हो रिया था, लोग गुचवा भी रिये थे, टेंशन था नी भई 🌝
अब जो जिसके मुकद्दर मे
था, उन्होंने चालना लगाया, ने बाद मे सिकंदर को भी ढूँढा,
अब किसको क्या मिला ये मुकद्दर की ज बात हे, अब तो भई प्रेक्टिस करो, ने पैसे वसुल करो, मेरा येज केना हे,
हाँ मेने क्या था नी की नीरज भई ‘ जीरु ‘पिलायेंगे, तो मेरी बात की उनने लाज रख लीं
डकार भी अई,
कल 👍😀बहादुर भाटी भी फोटो ग्राफर के नए रोल ने
नजर आये, कोने कोने से फोटू खींचे भई ने,
बन्दे की कदर करनी चइये,
रात को अशोक शर्मा जी, हार्दिक, ने भई बैठे थे, तो रोटी का भी इंतजाम बहादुर भई ने किया – पर जस मिले तो मिले
अब खेलो भई, आज फिर पैलेस मे जाऊंगा, आगे का क्या
प्लान हे……..कल तो चिठ्ठी गोटी मे उलझें थे…. आज……
देखेंगे भई……….
लोग हुन्न को तेड़ना भी हे,

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