झाबुआ

जीवनभर किये जाने वाले दशामाता व्रत को महिलाओें ने श्रद्धा एवं भक्ति के साथ किया…..

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झाबुआ । भारतीय संस्कृति में घर की महिलाओं द्वारा पूरे मनोरथ से शुद्धता के साथ दशा माता का पूजन चैत्र कृष्ण दशमी को किया जाता है। आज नगर में करीब 1 दर्जन से अधिक स्थानों पर दशामाता का पूजन महिलाओं द्वारा व्रत रख कर शुभ मुहूर्त के अनुसार किया गया । नगर के विवेकानंद कालोनी स्थित उमापति महादेव मंदिर ,उत्कृष्ठ स्कूल के निकट, बुनियादी स्कूल के निकट, जगदीश मंदिर, नसिया जी के निकट बहादूरसागर तालाब के किनारे, गोपाल कालोनी, गापेश्वर महादेव मंदिर,पुलिस लाईन, उदयपुरिया, माहेश्वरी समाज मंदिर, सहित अनेको स्थान पर माता दशाजी कापूजनपूरी श्रद्धा एवं भक्ति के साथ मनाया गया । ज्ञातव्य है कि घर परिवार की दशा, परिवार की सुख समृद्धि, के लिये महिलायें इसव्रत को करती है । व्रत के दिन प्रातः उठ कर महिलाऐं स्नान कर व्रत का संकल्प लेती है। उनमें ये मनोभाव होता है कि दशा माता की कृपा से सम्पूर्ण परिवार व बंधु बांधवो के जीवन में जो भी विघ्न, संकट, अवरोध और अस्वस्थता आ रही हो उसका पूर्णतः नाश हो। सभी के जीवन में ग्रहों की शांति बनी रहे।


श्रीमती विद्याव्यास द्वारा दशामाता व्रत के बारे मे बताते हुए कहा कि नारी शक्ति का एक रूप दशा माता है। दरअसल, देवी माँ के रूप को 4 हाथों से दर्शाया गया है। दशा माता के दाएं और बाएं हाथ में तलवार और त्रिशूल धारण है। वहीं निचले दाएं और बाएं हाथों में कमल और कवच है। दशामाता के प्रत में सबसे पहले महिलाएं एक सूती धागे में दस गांठें बांधती है। साथ ही वह ग्रहों की स्थिति में सुधार के लिए देवी-देवताओं का आशीर्वाद भी मांगती है। इसके अलावा घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर हल्दी और कुमकुम के हाथ छापती है। ताकि इससे घर कि बुराई और नकारात्मकता ख़त्म हो जाए। उनके अनुसार महिलाएं पीपल की पूजा कर 10 बार पीपल की परिक्रमा करते हुए उस पर सूत लपेटती हैं नियमानुसार दशा माता की पूजा एवं अर्चना करने से दशा माता की कृपा प्राप्त होती है। घर में सुख शांति व समृद्धि आती है। इस दिन कच्चे सूत का 10 तार का डोरा से भी पीपल की पूजा करती हैं। सुहागिन महिलाएं इस डोरे की पूजा के बाद पूजनस्थल पर नल-दमयंती की कथा सुनती हैं। इसके बाद महिलाएं अपने घरों पर हल्दी और कुमकुम के छापे लगाती हैं।
दशामाता के व्रत पर बडी संख्या में महिलाओं द्वारा पिपल के वृक्ष की पूजा करके धागे लपेटे गये तथा विधि विधान से पूजा अर्चना की गई । गोपेश्वर महादेव मंदिर पुलिस लाईन पर प्रातःकाल से ही शुभ चोघडियों मे महिलायें पूजन की थाली सजा कर पहूंचेी ओर वहां विधि विधान से दशा माताजी की पूजा एवं अनुष्ठान किये गये । गा्रमीण क्षेत्र से भी बडी संख्या में महिलाओं ने आकर पिपलवृक्ष की परिक्रमा कर, सूत के धागे लपेटे एव ंविधि विधानसे पंथारी पूजन के साथ ही अपने अपने घरों पर आकर नये झाडू जिसे मा लक्ष्मी का स्वरूप कहा जाता है की पूजा अर्चना की ।
पण्डित द्विजेन्द्र व्यास ने दशामाता पूजन के बारे में बताया कि माना जाता है कि जब मनुष्य की दशा ठीक होती है तब उसके सभी कार्य अनुकूल होते हैं, लेकिन जब यह प्रतिकूल होती है तब मनुष्य को बहुत परेशानी होती है, इन्हीं परेशानियों से निजात पाने के लिए इस व्रत को करने की मान्यता है। इस बार दशामाता के व्रत के दिन सर्वार्थसिद्धि योग भी बन रहा है। यह योग 27 मार्च रविवार को सुबह 6.28 से लेकिन दोपहर 1.32 बजे तक रहा । इस समयकाल में दशामाता का पूजन सर्व कार्याे में सिद्धि प्रदान करेगा। व्रती इस दिन में एक ही बार अन्न ग्रहण करती हैं। जिसमें एक ही प्रकार के अन्न के प्रयोग का विधान है। भोजन में नमक का प्रयोग पूर्ण रूप से वर्जित माना जाता है। इस दिन प्रयोग किए जाने वाले अन्न में गेहूं का प्रयोग विशेष तौर पर किया जाता है। इस दिन घर की साफ-सफाई के लिए झाडू खरीदने का विधान है। दशामाता व्रत जीवनभर किया जाता है। इस व्रत का उद्यापन नहीं किया जाता है।
पूरे अंचल में रविवार को सर्वार्थसिद्ध योग में दशामाता व्रत सभी महिलाओं द्वारा पूरी श्रद्धा एवं भक्ति के साथ किया गया तथा व्रत के उपरान्त उनके द्वारा घर के बडे बुजुर्गो का आशीर्वाद भी लिया गया ।

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