झाबुआ – जैन धर्म में पूजा पाठ के साथ-साथ तप का भी विशेष महत्व है । तपस्या की इसी कड़ी सकल जैन समाज की कई समाजजनों ने नवरात्रि के दौरान, तपस्वीयो ने आयंबिल तप कर की नवपद ओली की आराधना । स्वाद की आसक्ति को तोड़ कर,लुखा,भुना हुआ,उबला हुआ,स्वाद रहित नौ-नौ दिनों तक एक टाईम भोजन लेने वाले आयबिंल तप , तपस्वीयो द्वारा किया गया ।
यह तप चैत्र शुक्ला सप्तमी से प्रारंभ होकर चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को पूर्ण होते हैं । यानी 8 अप्रैल से प्रारंभ होकर 16 अप्रैल तक कुल 9 दिन तक नवपद की आराधना की गई । नमस्कार महामंत्र के 5 पद तथा ज्ञान ,दर्शन , चरित और तप, इस प्रकार कुल नवपद ओली की आराधना आयंबिल तप से पूर्ण की गई । जब तप कुल 9 दिन तक करना होता है । शहर के सकल जैन समाज के कई महिलाओं व पुरुषों ने इस तप में अपनी सहभागिता दी तथा दैनिक पूजा पाठ के बाद आयंबिल तप भी किए गये। यह कार्यक्रम गौढी पाश्वनाथ जैन मंदिर के पास श्री राज हेमेंद्र पुष्प आयंबिल भवन में पूर्ण हुए । जहां प्रतिदिन अलग-अलग द्रव्य अनुसार आयंबिल तप कराए गए । आयंबिल तप में विशेष रुप से बिना नमक , बिना शक्कर , बिना मिर्ची मसाले से एक द्रव्य से बनाए गए पदार्थ का सेवन करना होता है याने की पूर्ण रूप से स्वादहीन और एक द्रव्य का प्रयोग कर यह आयंबिल तप किया जाता है तथा इसे एक ही बैठक पर पूर्ण किया जाता है । इस संपूर्ण आयंबिल तप के लाभार्थी और तप पूर्ण होने पर पारणे के लाभार्थी समाज के सुश्रावक अशोक राठौर और भंवरलाल मेहता थे जिसे आज समाजजन में उपस्थित तपस्वीय़ो और समाजजन के समक्ष दोनों ही सदस्यों का शाल श्रीफल से बहूमान किया गया । वही सभी तपस्वीयो का बहुमान जैन सोशल ग्रुप मैत्री द्वारा तपस्वी यों का कुमकुम लगाकर बहुमान किया गया.। वहीं कुछ अन्य सदस्यों ने भी तपस्वीयों का बहूमान किया ।