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कमलनाथ के रतलाम आने के पहले कांग्रेस को दूसरा बड़ा झटका, ब्राहमण नेता ने छोड़ी पार्टी

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मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 का शंखनाद कांग्रेस ने रतलाम से करने का निर्णय लिया। इसकी वजह यह है कि 1977 से 2018 तक सिर्फ एक बार कांग्रेस यहां से जीती। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री रतलाम २२ अप्रेल को आ रहे है, इसके पूर्व ही एक और बड़े ब्राहमण नेता ने पार्टी को टाटा – टाटा, बाय – बाय कर दिया है।

रतलाम.. मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 का शंखनाद कांग्रेस ने रतलाम से करने का निर्णय लिया। इसकी वजह यह है कि 1977 से 2018 तक सिर्फ एक बार कांग्रेस यहां से जीती। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री रतलाम 22 अप्रेल को आ रहे है, इसके पूर्व ही एक और बड़े नेता ने पार्टी को टाटा – टाटा, बाय – बाय कर दिया है। बता दे कि कुछ दिन पूर्व ही महिला कांग्रेस की प्रवक्ता अदिति दवेसर ने कांग्रेस से त्यागपत्र दिया था, अब एक और नेता ने पार्टी से त्यागपत्र दे दिया है।
शहर में विधानसभा चुनाव 2023 की तैयारियों को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ आगामी 22 अप्रेल को आ रहे है। कांग्रेस पीसीसी अध्यक्ष नाथ के दौरे की तैयारी ही कर रही है कि इसके पूर्व बड़ा झटका पार्टी को लगा है। प्रदेश कांगे्रस महिला प्रकोष्ठ की प्रवक्ता व 2013 में शहर से विधानसभा चुनाव लड़ी अदिति दवेसर ने पार्टी को अपना त्यागपत्र सौपा ही था कि एक और नेता ने पार्टी छोड़ दी है। पार्टी के श्रेष्ठीवर्ग अनुसार जहां दवेसर शहर में अपनी उपेक्षा से नाराज थी, वही एक और नेता जो त्यागपत्र दिया है उसमे उन्होंने लिखा है कि वे कांग्रेस से त्यागपत्र दे रही है। हालांकि प्रदेश कांग्रेस ने अब तक त्यागपत्र मंजूर नहीं किया है व उनको मनाने के प्रयास शुरू हो गए है।
इधर संकट में पार्टी
शहर में चुनाव प्रचार करने आ रहे नाथ के दौरे के पहले ही पार्टी संकट में आ गई है। ब्राहमणों में बड़ी नेता के रूप में प्रसिद्ध व समाजसेवा के क्षेत्र में कई ख्याती प्राप्त दवेसर का पार्टी छोडऩे के निर्णय ने कांगे्रस को संकट में ला दिया था अब एक और ब्राहमण नेता ने पार्टी छोड़ दी है। बताया जा रहा है कि दवेसर के बाद करीब 30 और बड़े नेता आने वाले दिनों में कांग्रेस का त्याग करने जा रहे है। नाथ के दौरे के पूर्व बबीता नागर के पार्टी छोडऩे से शहर में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। बता दे कि नागर पटरी पार क्षेत्र से पार्षद रही है व कांग्रेस में मुखर नेता के रुप में पहचान बनाई है। अब इस त्यागपत्र से कांग्रेस में एक और ब्राहमण नेता की कमी हो गई है।

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