*गत दीनो पुर्व झाबुआ कलैक्टर आशीष सक्सेना का स्थानांतरण होशंगाबाद हो गया जहाँ ऊन्होने पदभार ग्रहण करते हुए एक आश्चर्यजनक बात कही।*
*अपने स्वागत समारोह 💐मे कहा कि वे रेगिस्तान से निकलर हरे भरे स्थान पर आगया हुँ।*
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उनका यह बयान झाबुआ जिले नागरिको के लिए अपमानजनक हैं, क्योंकि श्री सक्सेना जब झाबुआ कलेक्टर के रुप मे थे तो हर भरा बनाने कि जबाबदारी उनकी स्वयं की थी।
*यदी उनके कार्यकाल मे भी जिले का विकास नहीं हो पाया तो यह जिला रेगिस्तान ही रह गया हैं ,तो इसके लिए दोष कीसे दीया जावेगा
*अनेक अवसरो पर जिले के कुछ जागरूक नागरिको ,ने व समाजसेवीयो ने प्रशासन मे व्यापत भ्रष्टाचार कि लिखीत व रुबरु मिलकर व्यवस्था सुधार के लिए शिकायत की थी।*
*पर इनके कार्यकाल मे वह समस्या न सुधरी बल्कि विकराल हो गई। जबकि जिले के कई जनप्रतिनिधियों व पीड़ितो ने पेटलावद स्थिति चोयल हास्पिटल मे एक सर्जन डॉक्टर ने अपने निजी अस्पताल मे कई🧕 महिलाओं के जबरन शल्य क्रिया की जिसके कारण पीड़ित महिलाओं की जान जोखिम मे हो कर मनमानी राशि लेने के बाद भी उन पीड़ितो के साथ अन्याय कीया।*
*परन्तु श्री सक्सेना ने फीर भी कोई कार्यवाही न कर पीड़ितो के साथ न्याय नहीं किया ,उल्टे उन्होंने उसे संरक्षित किया ऐसे मे जिला रेगिस्तान न बनेगा तो क्या बनेगा।*
*इसी तरह पुरे जिले मै स्वास्थ् विभाग सहित राजस्व कृषि सहकारिता मे गेहूं बोनस सिचाई पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग कि अनेक शिकायत की जैसे सिचाई विभाग के आम्बापाडा जलाशय मुवावजा वितरण आदिम जाती कल्याण विभाग मै लाखों रुपये लेकर फर्जी नियुक्ति , छात्रावासो मे सामग्रियों कि खरीदी घोटाला, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना मे नकली सामान वितरण, कृषि विभाग मैं अमानक बीजो कि बीक्री का बीज व माफियाओं का इनके सरक्षण मे विक्रय हब बनाना तथा प्रधानमंत्री आवास योजना ,समग्र स्वछता अभियान मे कागजों पर बने शोचालय की कई शिकायत की जबकि इस कार्य हेतु श्री सक्सेना को राष्ट्रीय स्तर पर पुरुष्कार प्राप्त किया।
*ऐसी ही एक छोटी सी घटना जिस पर अविवेकपूर्ण निर्णय के चलते नासुर बनी जहाँ बाछीखेडा के नागरिको को मतदान का बहिष्कार का कदम उठाने को मजबूर होना पडा।
*ऐसे मे श्री सक्सेना यह कहते हैं कि झाबुआ जिला रेगिस्तान हैं ,तो यह सवाल उठता हैं, कि इसे रेगिस्तान कीसने बनने दीया, और इतने दिनो तक हरा चश्मा लगाकर हरियाली क्यो दीखाई।
*क्या जिले मे भाजपा की हार का एक कारण यह तो नही।* *जहाँ अधिकांश योजना कागजों पर ही ABCD से ले कर XYZ कर बंदर बांट करली।*
*अनिल मुथा झाबुआ*