मध्यप्रदेश में पिछले 18 सालों से भारतीय जनता पार्टी की सरकार काबिज है और प्रदेश के मुखिया के बतौर शिवराज सिंह चौहान कार्यरत है। अपने तिसरे कार्यकार्य की शुरूआत से ही शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश का जनसंपर्क मंत्रालय अपने पास रखा है और तभी से प्रदेश के पत्रकारों की सुघ लेने वाला कोई नहीं है। जिसके चलते प्रदेश में मुख्यमंत्री तक पहूंच रखने वाले पत्रकार तो सीधे सरकार से लाभ ले रहे है लेकिन बिना पहूंच वाले पत्रकारों की कोई सुघ लेने वाला प्रदेश मेें कोई नहीं है। जिसके कारण प्रदेश के पत्रकारों को कई परेशानीयों को सामना करना पड़ रहा है। चुनावी साल होने के बाद भी प्रदेश के मुखिया का ध्यान इस और नहीं जाना प्रदेश सरकार पर सवालिया निशान खडे करता है, प्रदेश की पत्रकारिता ग्रामीण क्षेत्र से होकर आती है। शहरी क्षेत्र से तो सिर्फ खबरों का प्रकाशन होता है, ऐसे में प्रदेश के पत्रकारों की उपेक्षा शिवराज सरकार को भारी पड सकती है।
अपने तीसरे कार्यकाल से ही शिवराज सिंह ने प्रदेश में पत्रकार कल्याण के लिये बनने वाले राज्य स्तरीय और संभागीय समितियों के गठन को लेकर आज तक सुध नहीं ली है। जिसके चलते प्रदेश के पत्रकारों को नवीन अधिमान्यता नहीं मिल पा रही है, वहीं सरकार ने राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकारों को दी जाने वाली लेपटाप योजना, पेंशन योजना भी बंद कर रखी है। जिला स्तर तक मिलने वाली पत्रकारों को स्वास्थ्य सुविधाओं के अंतर्गत दी जाने वाली एलपी योजना के अंतर्गत दवाईयां भी नहीं दी जा रही है।
प्रदेश में लंबे समय से पत्रकार सुरक्षा कानून को भी लागू नही किया जा रहा है। जिला स्तर पर होने वाली त्रेमासिक पत्रकारों की बैठके भी कलेक्टरों द्वारा नहीं लि जा रही है प्रदेष के अधिकांश जिलों में जनसंकर्प कार्यालय में सहायक संचालाकों के पद खाली पडे है और इनका संचालन कलेक्टर के बाबू कर रहे है जिन्हे की पत्रकारों से कोई लेना देना नहीं होता है, जिसके चलते पूरे प्रदेश में पत्रकारों की घोर उपेक्षा हो रही है।
समय रहते शिवराज सरकार को पत्रकारों की और ध्यान देना होगा अन्यथा उन्हे पत्रकारों की अनदेखी करना भारी पड सकता है। कई पत्रकारों के विज्ञापनों के भुगतान भी जनसंपर्क संचालनाय में सालों से अटके पडे है अधिकारी राज के चलते पत्रकारों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है ऐसे में हम मालवा समाचार के माध्यम से पत्रकारों की आवाज उठा कर सरकार का ध्यान इस और आकृष्ठ कर रहे है इसके पिछे हमारा मकसद यही है कि सरकार जागे और पत्रकारों की सुध लें।