झाबुआ

तीन दिवसीय नानी बाई का मायरा आयोजन का हुआ शुभारंभ

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महेंद्र सिंह बाछीखेड़ा

झकनावदा -21 मई से 27 मई तक चलने वाली श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा एवं शिव परिवार नवग्रह शनि मंदिर एवं भैरवनाथ प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के तीसरे दिन रात्रि में 8 बजे तथा परिसर मैं श्री मंगलेश्वर दास जी बैरागी के मुखारविंद से नानी बाई का मायरा का तीन दिवसीय आयोजन रखा गया। जिसमें 23 मई को नगर के युवाओं द्वारा मंगलेश्वर दास जी बैरागी अपने कंधों पर उठाकर जयकारों के साथ पांडाल में प्रवेश करवाया। इसके बाद नानी बाई का मायरा का आयोजन का श्रीगणेश किया गया। उक्त आयोजन में बड़ी संख्या में माताएं बहने वह पुरुष नानी बाई का मायरा का श्रवण करते नजर आए। श्री कृष्ण का गुणगान किया 23 मई सोमवार रात्रि में 8 बजे श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा परिसर में धार्मिक कथा नानी बाई रो मायरो का आयोजन किया गया। कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पांडाल में पहुंचे। कथा वाचक श्री मंगलेश्वर दास जी बैरागी ने कथा का शुभारंभ करते हुए कहा कि नानी बाई रो मायरो अटूट श्रद्धा पर आधारित प्रेरणादाई कथा है। कथा के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण का गुणगान किया जाता है। भगवान को यदि सच्चे मन से याद किया जाए तो वह अपने भक्तों की रक्षा करने स्वयं आते हैं। इसके साथ ही विस्तार में वर्णन करते हुए कहा कि नानी बाई रो मायरो की शुरुआत नरसी भगत के जीवन से हुई नरसी का जन्म गुजरात के जूनागढ़ में आज से 600 साल पूर्व हुमायूं के शासनकाल में हुआ था। नरसी जन्म से ही गूंगे बहरे थे। वह अपनी दादी के पास रहते थे। उनका एक भाई भाभी भी थे। भाभी का स्वभाव कड़क था। एक संत की कृपा से नरसी की आवाज गई तथा उनका बहरापन भी ठीक हो गया। नरसी के माता-पिता गांव की एक महामारी का शिकार हो गए थे। नरसी का विवाह हुआ लेकिन छोटी उम्र में पत्नी भगवान को प्यारी हो गई थी। नरसी जी का दूसरा विवाह करवाया गया समय बीतने पर नरसी की लड़की नानी बाई का विवाह अंजार नगर में हुआ। इधर नरसी की भाभी ने उन्हें घर से निकाल दिया। नरसी श्री कृष्ण के अटूट भक्त थे वे उन्हीं की भक्ति में लग गए। भगवान शंकर की कृपा से उन्होंने ठाकुर जी के दर्शन किए उसके बाद तो नरसी के सांसारिक मोह त्याग दिया और संत बंद करें। उधर नानी बाई ने पुत्री को जन्म दिया और पुत्री विवाह लायक हो गई किंतु नरसी को कोई खबर नहीं। लड़की के विवाह पर ननिहाल की तरफ से भात भरने की रस्म के चलते नरसी को सूचित किया गया नरसी के पास देने को कुछ नहीं था। उसने भाई बंधु से मदद की गुहार लगाई किंतु मदद तो दूर कोई भी चलने तक तैयार नहीं हुआ अंत में टूटी-फूटी बेल गाड़ी लेकर नरसी खुद ही लड़की के ससुराल के लिए निकल पड़े। कथा के बीच श्री मंगलेश्वर दास जी बैरागी ने अपनी सु मधुर आवाज में भजनों की प्रस्तुति दी जिस पर श्रद्धालु झूम उठे। यह थे उपस्थित इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष गोपाल राठौड़, संरक्षक भूपेंद्र सिंह राठौर, हेमेंद्र जोशी, पूनम चंद कोठारी, हरिराम पडियार, परीक्षित सिंह राठौर, प्रकाश राठौड़, सुखदेव पटेल, नंद किशोर दहिया ,राजेंद्र मिस्त्री, दिलीप बरबेटा, राधेश्याम देवड़ा, राधेश्याम बैरागी युवा मोर्चा जिला अध्यक्ष कुलदीप जी चौहान पूर्व जिला उपाध्यक्ष अजय जी पोरवाल उपाध्यक्ष जितेन्द्र राठौर महेंद्र सिंह बाछीखेड़ा तारंग जी कटारा पिछड़ा मोर्चा स्वीट जी सहित नगर व आसपास के क्षेत्र से बड़ी संख्या में ग्रामीण जन उपस्थित थे।

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