झाबुआ

डॉ रामशंकर चंचल की ताजा कृति “मेरी चर्चित कविताये ” का हुआ विमोचन

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झाबुआ अखिल भारतीय साहित्य परिषद् एवं आज़ाद साहित्य कला मंच के तले माँ

निवास भवन पर प्रख्यात साहित्यकार डा रामशंकर चंचल की ताजा कृति मेरी चर्चित कविताये का विमोचन संपन्न हुआ। इस अवसर पर कार्यक्रम का शुभारम्भ इतिहासकार साहित्यकार डॉ केके त्रिवेदी , रोटरी क्लब अध्यक्ष उमंग सक्सेना, प्राध्यापक सुश्री गीता दुबे, साहित्यकार डॉ वाहीद फ़राज़, सेवा निवृत प्राचार्य अरविन्द व्यास, साहित्यकार डॉ अंजना मुवेल साहित्यकार भारती सोनी, राजेंद्र प्रसाद अग्निहोत्री, समाजसेवी बलवीरसिंह सोहेल, मातंगी ट्रस्ट अध्यक्ष राकेश त्रिवेदी, साहित्यकार भेरूसिंह चौहान तरंग द्वारा माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलित के साथ ही काव्य संग्रह मेरी चर्चित कविताये का विमोचन किया गया.

इस अवसर पर प्रख्यात साहित्यकार हिंदी के सशक्त हस्ताक्षर डॉ रामशंकर चंचल की ताजा कृति एवं इनके जीवन के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर उपस्थित साहित्यकारों ने प्रकाश डाला, साथ ही इसके प्रकाशन की हार्दिक बधाईया व शुभ कामनाये व्यक्त कर इनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

डॉ रामशंकर चंचल ने विमोचन के अवसर पर कहा की संकलन निकालने के पीछे यह भावना भी मेरी है की नयी पीड़ी को सवेदना मानवीयता और साहित्य से परिचय करा सकू । शुन्य हो रही सवेदना मानवता साहित्य के प्रति चेतना जाग्रत कर सकू, इसमें अंश मात्र भी सफल हुआ तो मेरी यह कृति सार्थक होगी।

काव्य प्रकाशन के विमोचन के पश्चात् काव्य गोष्टी का आयोजन। के.के त्रिवेदी ने काव्य सरोवर में खिला जैसे कमल अनूप निशदिन लेखन में निरत चंचल काव्य स्वरुप , डा अंजना मुवेल ने जीवन होता मझदार पर तुम पहुँचो उस पार लेकर प्यार सागर , डॉ गीता दुबे ने कहते है बहुत बोलती है औरत मगर कहाँ कह पाती है सबकुछ, भारती सोनी ने अब हथेली पर सभी के कर्म बोये जायेंगे , अरविन्द व्यास ने और क्या सुनाओ कहने को कुछ नया नहीं है बरस पर बरस बीते है, डॉ वाहिद फ़राज़ ने राष्ट्रीय भावनाओ से ओतप्रोत काव्य रचना , भेरू सिंह चौहान तरंग ने हास्य चोटी कट गई एवं डॉ रामशंकर चंचल ने भी कविता की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम काफी देर तक चला। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार भेरू सिंह चौहान तरंग ने व्यक्त किया।

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