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महाराणा प्रताप शौर्य के प्रतिक रहे है तथा उनकी शौर्य गाथा सुन कर राष्ट्रहित में रक्त भी उबलने लगता है- भेरूसिंह सोलंकी आन बान एवं शान के साथ मनाई महाराणा प्रताप की 483 वी जन्म जयंति

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आन बान एवं शान के साथ मनाई महाराणा प्रताप की 483 वी जन्म जयंति
झाबुआ । भारत के वीर योद्धा महाराणा प्रताप सिंह का जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ में हुआ और 19 जनवरी 1587 में महाराणा प्रताप का निधन हुआ। महाराणा प्रताप को सन 1572 में मेवाड़ का शासक बनाया गया। महाराणा प्रताप राजपूत राजा राणा सांगा के पोते और राजा उदय सिंह द्वितीय और जयवंता बाई सोंगारा के पुत्र थे। महाराणा प्रताप शौर्य के प्रतिक रहे है तथा उनकी शौर्य गाथा सुन कर रक्त भी राष्ट्रहित ेमें उबलने लगता है । उक्त बात समाज के अध्यक्ष भेरूसिंह सोलंकी ने प्रताप जयंती के अवसर पर अपने स्वागत उदबोधन मे कही । वही मुख्य अतिथि रतनसिंह राठोर ने भी उद्बोधन देते हुए राजपूत समाज के गौरवशाली इतिहास एवं समर्पण भाव का विस्तृत वर्णन किया गया।
श्री वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जन्म जयंती समग्र राजपुत समाज झाबुआ द्वारा नगर के पैेलेस गार्डन में आन-बान एवं शान के साथ मनायी गया । राजपुती गणवेश में जहां राजपुत समाज के लोगों ने सहभागिता की वही क्षत्राणियों ने परम्परागत वेशभूषा में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई । सांयकाल 5 बजे से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ । राजपुत समाज के अध्यक्ष भेरूसिंह सोलंकी ने जानकारी देते हुए बताया कि समाजजनों द्वारा महाराणा प्रताप के चित्र सम्मुख माल्यार्पण कर वरिष्ठजनों का सम्मान किया गया। वही प्रतिभावान छात्रों को भी अतिथियों के कर कमलो से स्वागत कर सम्मानित किया गया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ठा. रतनसिंह राठौर, विशेष अतिथि ठा. जयंतीलाल राठौैर, संरक्षक ठा. लाखनसिंह सोलंकी, ठा. मनोहरसिंह राठौर, ठा. विजयसिंह राठौर,, ठा. यशंवतसिंह पंवार, उपाध्यक्ष ठा. रविराजसिंह राठौर, कोषाध्यक्ष ठा. महेन्द्रसिंह गेहलोत, कार्यालय सचिव ठा. सुरेन्द्रसिंह झाला, के अलावा वरिष्ठ समाजजन ठा. बोरी हाउस कीर्तिसिंह, डा. लोकेन्द्रसिंह राठौर, ठा. सत्यनारायणसिंह सानगरा, ठा. गोपालसिंह चौहान, एवं थंादला, तलावली, रायपुरिया, पारा, कल्याणपुरा एवं वार्ड प्रभारी नवयुवक, क्षत्राणियों का आत्मीय स्वागत किया गया ।


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