मन को ठीक करने के लिए यौगिक क्रियाए उपयोगी हैं -योग गुरू प्रमोद कुमार पाठक । रोटरी गार्डन में योग समिति ने मनाया विश्व योग दिवस । निस्वार्थ सेवायें देने पर योग गुरू का किया गया सम्मान ।
मन को ठीक करने के लिए यौगिक क्रियाए उपयोगी हैं -योग गुरू प्रमोद कुमार पाठक । रोटरी गार्डन में योग समिति ने मनाया विश्व योग दिवस । निस्वार्थ सेवायें देने पर योग गुरू का किया गया सम्मान ।
रतलाम । अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर नगर के कस्तुरबा नगर स्थित रोटरी गार्डन में योग दिवस का रंगारंग प्रातः 6 बजे से 7-30 बजे तक आयोजन किया गया । योग समिति की श्रीमती शर्मीला उपाध्याय, निशा मोरवाल एवं अश्वीन पाटनी ने जानकारी देते हुए बताया कि रोटरी गार्डन पर योग गुरू प्रमोद कुमार पाठक द्वारा बडी संख्या में उपस्थित महिलाओं एवं पुरूषों को योगाभ्यास के माध्यम से प्राणायाम एवं योगासन करवाया गया । इस अवसर पर उन्होने कहा कि आमतौर पर लोग यह स्वीकार ही नहीं करते कि उन्हें कोई मानसिक समस्या है। यही वजह है कि समय पर उपचार न होने के कारण तनाव, अवसाद, अनिद्रा, याददाश्त खोना या अधिक खाना जैसी समस्याएं बढ़ती जाती हैं। एक शोध में ध्यान व आसन दोनों ही रूपों में योग का मानसिक समस्याओं पर सकारात्मक असर देखा गया है। शोध में मानसिक सेहत के लिए सप्ताह में कम से कम 3 बार, 30 मिनट तक योग करने की सलाह दी गई है। उन्होने कहा कि चित्त की वृत्तियों को अनुशासित करना ही योग है। मन में असीम शक्ति है, पर सबसे अधिक दुरुपयोग हम इसी शक्ति का करते हैं। इससे 95 प्रतिशत मानसिक शक्ति व्यर्थ चली जाती है। मन जितना शक्तिशाली होता है, उतना ही चंचल और अस्थिर भी होता है और इस चंचलता को नियंत्रित करने की योग से बेहतर शायद ही कोई दूसरी विधा हो। योग मन को नियंत्रित कर उसे दिशांतरित करने की तकनीक देता है। यदि मन के तनाव का विज्ञान समझें तो पाएंगे कि तनाव चाहे भावनात्मक हो या मानसिक, यह हमारी पीयूष ग्रंथि को प्रभावित करता है। यह ग्रंथि शरीर की मास्टर ग्रंथि है। इस कारण यह ग्रंथि असंतुलित हार्माेन निकालने लगती है, जिसके असंतुलित हार्माेन स्राव के कारण थाइरॉएड ग्रंथि भी असंतुलित हो जाती है। इससे पूरे शरीर का मेटाबॉलिज्म प्रभावित होने लगता है और उसे हाइपो या हाइपर थाइरॉएडिज्म का शिकार होना पड़ता है। इसी तरह अधिक तनाव से हृदय गति तथा पल्स गति बढ़ जाती है, क्योंकि उस समय शरीर की कोशिकाओं को अधिक रक्त की आवश्यकता होती है। हृदय को अधिक कार्य करना पड़ता है, जिससे थकते-थकते एक दिन शरीर रोगी हो जाता है। इसका परिणाम हाइपरटेंशन और हृदय रोग होता है । मन को ठीक करने के लिए यौगिक क्रियाएं जैसे पद्मासन, वज्रासन, शीर्षासन, सर्वांगासन, हलासन, भुजंगासन, जानुशिरासन, त्रिकोणासन तथा उष्ट्रासन आदि उपयोगी हैं। इसके अलावा नाड़ी शोधन, उज्जायी प्राणायाम एवं ध्यान का नियमित अभ्यास तन व मन दोनों के लिए उपयोगी है। योग का नियमित अभ्यास स्मरणशक्ति को बढ़ाता है। याददाश्त क्षमता दुरुस्त रखता है। साथ ही रक्त संचालन व पाचन क्षमता में वृद्धि, नसों व मांसपेशियों में पर्याप्त खिंचाव उत्पन्न करने के अलावा योग से मस्तिष्क को शुद्ध रक्त मिलता है। इसके लिए खासतौर पर सूर्य नमस्कार, शीर्षासन, पश्मिोत्तानासन, उष्ट्रासन व अर्धमत्स्येन्द्र आसन आदि करने चाहिए । प्रतिदिन व्यायाम, प्राणायाम एवं ध्यान की प्रत्येक को आदत डालना चाहिये जिससे मानव पूरे जीवन भर निरोगी रह सकता है।
इस अवसर पर नगर के प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डा. रवीन्द्र उपाध्याय ने जलनेता क्रिया के माध्यम से स्वस्थ्य जीवन के बारे में बताते हुए कहा कि जलनेती क्रिया कभी भी बगैर किसी जानकार व्यक्ति के नही जाना चाहिये । वही अश्विन पाटनी ने सूर्य नमस्कार करवा कर योग के संबंध में इसके महत्वको बताया ।
योग गुरू प्रमोद कुमार पाठक का किया गया सम्मान –
अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योग गुरू प्रमोद कुमार पाठक का सभी योगाभ्यासियों की ओर से उनका शाल, श्री फल एवं उपहार देकर सम्मान किया गया । उपस्थित महिलाओं एवं पुरूषों द्वारा श्री पाठक द्वारा सतत दी जारही सेवाओं के लिये उनकी आत्मीय प्रसंशा की तथा उनके मार्गदर्शन योग से होने वाले लाभ के बारे में जानकारी दी ।
ज्ञातव्य है कि रोटरी गार्डन कस्तुरबा नगर में श्री पाठक द्वारा प्रतिदिन प्रातः 6 बजे से7-30 बजे तक योगाभ्यास के साथ ही विभिन्न आसन के माध्यम से योग के गुर सिखाये जारहे है।