झाबुआ

आनंदानुभूति का सुख प्राप्त होता है- गोस्वामी दिव्येशकुमार जी महाराज श्री गोवर्धननाथ जी हवेली में खेली गई पुष्पो से फाग होली महिलाओं ने नृत्य कर भक्ति भावना प्रवाहित की

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आनंदानुभूति का सुख प्राप्त होता है- गोस्वामी दिव्येशकुमार जी महाराजश्री गोवर्धननाथ जी हवेली में खेली गई पुष्पो से फाग होलीमहिलाओं ने नृत्य कर भक्ति भावना प्रवाहित कीझाबुआ । अपने तनमन को भुलाकर हर्षोल्लास पूरित भाव से अपने सजातीय के संग जो रसाप्लावित होकर जो भाव, प्रेम उत्पन्न होता उसे उत्सव कहा जाता है। उत्सवों का आयोजन प्रथम वैदिक काल में विध्नों, मनोभिललित कामनाओं की पूर्ति के लिए देवपूजन के रूप यज्ञानुष्ठान के रूप में आयोजित हुआ था। पुष्टिमार्ग के प्रणेता आचार्य चरण श्रीमहाप्रभुजी ने इसी उत्सव की परिपूर्ण भावना को आधार मानकर पुष्टिमार्ग में प्रभु के साथ आनंदानुभूति का सुख जो गोपियों को प्राप्त हुआ था उसी की अनुभूति के लिए उत्सवों को प्रणयन किया तथा घोर कलिकाल की साम्प्रदायिक विषमताओं से एवं लौकिक चिन्ताओं से जीव को छुटकारा मिले ऐसी स्थिति का तत्कालीन वातावरण में फैले हुए दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए व मन को लोकासक्ति से हटाने के लिए जीव को प्रभु के सम्मुख वेदादि शास्त्र सम्मत स्वरूपों में उत्सवों का क्रम प्रचलित किया था। उत्सवों की भावभूमि विशद्रूप श्री वल्लभाचार्य के समय अधिक नहीं हुआ था किन्तु आपके द्वितीय पुत्र श्री गुसाईं विट्ठलनाथ जी ने उत्सवों तथा महोत्सवों को विराटरूप में भव्य व दिव्य रूप से मनाने का क्रम निश्चित किया। महाप्रभु वल्लभाचार्य ने सेवा के दो प्रकार निर्देशित किये है- नित्योत्सव एवं वर्षोत्सव। नित्योत्सव के सेवा विधान में भोग, राग और श्रृंगार सेवा की इन तीनों विद्याओं का ऐसा सुन्दर स्वरूप निर्धारित किया गया है कि प्रत्येक तिथि और वार जो ऋतु अनुसार, नित नवीन राग कीर्तन सेवा में गाये जाय। वर्षोत्सव में वर्ष भर में होने वाली सभी महत्त्वपूर्ण लोक जीवन के मेले त्यौहार उत्सवों को समाहित किया गया है। वर्षोत्सव के अधिकांश उत्सवों श्रीष्ण की बाल लीलाओं एवं लोकपर्वों से सम्बंधित है। महाप्रभु श्रीमद् वल्लभाचार्य जी द्वारा स्थापित और गुसाई श्री विट्ठलनाथजी द्वारा सज्जित की गई पुष्टि मार्ग की यह पुष्ट सेवा प्रणाली गोवर्धन पर्वत पर श्रीनाथजी के मन्दिर में प्रारम्भ की गई थी। उक्त आार्वचन श्री गोवर्धननाथजी की हवेली में रंग पंचमी के पावन अवसर पर फुल फाग होली के रंगारंग आयोजन के अवसर पर पूज्य श्री दिव्येशकुमारजी महाराज, नाथद्वारा-इन्दौर द्वारा भक्तजन सामुदाय को संबोधित करते हुए कही ।श्री गोवर्धननाथ मंदिर पर रंग पंचमी के अवसर पर सायंकाल 7 बजे शयन आरती के दर्शन वंदन के बाद पुष्प से फागोत्सव का आयोजन पूज्य दिव्येशकुमारजी के सानिध्य में प्रारंभ हुआ । मंदिर में खचाखच भरी श्रद्धालुओं एवं महिला की भीड के बीच डेढ क्विंटल गुलाब एवं अन्य पुष्पो से रंगपंचमी होलिकोत्सव का आयोजन पूज्य श्री द्वारा संगीतमय भजनों ’’ करतारी दे दे नाथ ही बोले सब होरी हो…..। होरी आई रे मोहन पर रंग डारों….. दर्शन दे मोर मुकुट वारे…..’’ जेसे परम्परागत भजनों के साथ प्रारंभ हुआ । इस अवसर पर जमुना महिला मंडल की महिलाओं ने संगीत एवं भजनों की लय में आध्यात्मिक नृत्य प्रस्तुत करके अपनी भक्ति भावना को प्रवाहित किया । इस अवसर पर यमुना मंडल की श्रीमती संगीता शाह, वेणुकांता आचार्य, विजया भट्ट, प्रेमा ठाकुर, किरण नीमा, नपा अध्यक्ष श्रीमती मन्नुबेन डोडियार, वीणा कटलाना, शिला त्रिवेदी, शकुनबेन कटलाना, शारदा त्रिवेदी, दिलीप आचार्य, लक्ष्मीनारायण शाह, गोपालकृण हरसौला, योगेश पडियार, महेश हरसौला, शेनारायण मालवीय, हरिश शाह, रमेश त्रिवेदी, , श्रीकिशन माहेश्वरी, उमांकर मिस्त्री, किशोर भट्ट, गोकूलेश आचार्य, राजेन्द्र अग्निहौत्री, जितेन्द्र शाह, राजेन्द्र सोनी, सौभाग्यसिंह चौहान, अजय सोनी,, कान्हा अरोडा, लक्ष्मीकांत सोनी, चचंला सोनी, शिवकुमारी सोनी, मकरंद आचार्य, कीर्ति भावसार, निरंजनसिंह, बहादूर भाटी, सहित बडी संख्या में उपस्थित वैष्णवो ने फुल से खेली गई होली का आध्यात्मिक आनंद उठाया । करीब डेढ घंटे तक पुष्प से होली फाग का आयोजन आनन्दमय वातावरण में चला । गोपालकृष्ण हरसौला ने इस अवसर पर सभी वैष्णवो को पर्व की बधाइ्या देते हुए कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये धन्यवाद ज्ञापित किया ।

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