झाबुआ से आफताब कुरेशी व पियूष गादिया की रिपोर्ट्
पिटोल बैरियर चेक पोस्ट पर रोजाना हजारों गाड़ियों का आवागमन होता है साथ ही साथ इस बैरियर पर वाहनों की चेकिंग भी की जाती है चेकिंग के दौरान बिल, रजिस्ट्रेशन आदि सभी कागजात सही पाए जाने के बाद भी पिटोल बैरियर पर एंट्री के नाम पर अवैध वसूली रोजाना की जा रही है और लाखों के वारे न्यारे किए जा रहे हैं क्योंकि यह पिटाेल बैरियर आरटीओ विभाग के अधीन होता है संभवत यह सारी अवैध वसूली उनकी जानकारी अनुसार ही हो रही होगी | अन्यथा किसी भी कर्मचारी द्वारा खुलेआम इस तरह से एंट्री के नाम पर अवैध वसूली करने की हिम्मत नहीं है एक तरफ तो परिवहन विभाग संभाग में रिकॉर्ड राजस्व वसूली के लिए प्रथम पायदान पर है वहीं दूसरी ओर पिटोल बैरियर पर भी आरटीओ के संरक्षण में अवैध वसूली संभवत प्रदेश में प्रथम पायदान पर होगी |
वर्षों से चेक पोस्ट पर रोजाना लाखों रुपयों की एंट्री के रुप में अवैध वसूली होती है जिसके कारण के कर्मचारियों उनके उच्च अधिकारी और उसे सीधे मुंह बात भी नहीं करते आए दिन ड्राइवरों को मां बहन की गाली देते हैं व अभद्र व्यवहार करते हैं अगर कोई ड्राइवर ज्यादा एंट्री नहीं देने के लिए दबाव बनाते हैं तब ऑडियो पर पदस्थ महिला कर्मचारी भी इन लोगों से अभद्र व्यवहार करती है जिसके कारण ड्राइवर डर जाते हैं कभी-कभी तो यह नौबत आ जाती है कि ड्राइवरों के पास खाना खाने के रुपये भी नहीं बचते हैं किंतु इंट्री दिए बिना कोई भी गाड़ी नहीं छोड़ते |आरटीओ के कर्मचारी पैसो के लिए किसी भी हद तक गिर जाते हैं। ऐसा ही बीती रात मंगलवार की रात करीब 10:00 बजे कुछ टैंकर चालक और ड्यूटी पर उपस्थित आरक्षक के बीच इंट्री राशि मांगने पर विवाद हुआ चालको ने एंट्री ना देने के विरोध में अपने अपने वाहन बीच में ही खड़े कर जाम लगा दिया व विवाद बढ़ता ही गया और नौबत हाथापाई तक आ गई |मार्च के आखिरी सप्ताह में भी जैन समाज का संघ रतलाम से पालीताणा की ओर तीर्थ के लिए रवाना हुई था क्योंकि पिटाेल बैरियर पर टैक्स भरा जाना था करीब 5 गाड़ियां रतलाम से पालीताणा की ओर रवाना हुई जिनका रोड , टोल बैरियर होते हुए गुजरात में प्रवेश था |संघ के लोग चाहते तो टैक्स बचाने के लिए मेघनगर से मदरानी होते हुए दाहोद जा सकते थे लेकिन मानवता और ईमानदारी का परिचय देते हुए जैन समाज के लोगों ने पिटाेल बेरियर पर नियम अनुसार टैक्स की राशि करीब ₹60000 जमा की | लेकिन बैरियर पर पदस्थ कर्मचारी द्वारा नियम अनुसार टैक्स भरने के बाद ₹2000 प्रति गाड़ी एंट्री के नाम से पांच गाड़ियों के ₹10000 की मांग की और राशि देने के बाद ही गाड़ियों को जाने दिया गया |इस तरह टोल बैरियर पर आए दिन अवैध वसूली खुलेआम की जा रही है अगर सुबह से शाम तक इन गाड़ियों का आंकड़ा और अवैध वसूली का आंकड़ा लगाया जाए तो यह बडा चौकाने वाला होगा | अगर बैरियर पर बैठकर सारे अवैध वसूली का आंकड़े की राशि की गणना की जाए तो संभवतः तो जिला परिवहन अधिकारी को इसके लिए शाल ,श्रीफल व शील्ड देकर सम्मानित किया जाना चाहिए |
नहीं सुनते किसी की भी आरटीओ कर्मचारी
: आरटीओ कर्मचारी द्वारा एंट्री के लिए अलग कैटेगरी बना रखी है जिसमें 8 चक्का गाड़ी एक हजार रुपैया , 10 चक्का गाड़ी 1500 ,12 चक्का गाड़ी 24 रुपैया एवं इससे भी ज्यादा ₹8000 तक की वसूली जाती है इस प्रकार पिटोल आरटीओ पर रोजाना लाखों रुपए की अवैध वसूली होती है। जबकि आज से करीब 4 वर्ष पूर्व यह सारी इंट्री या अवैध वसूली आधे दामों में होती थी कई बार तो जनहित में या धार्मिक दृष्टि से अवैध वसूली भी नहीं की जाती थी लेकिन वर्तमान में करीब 4 वर्षों से यह ढर्रा बिगड़ा हुआ है और आरटीओ के संरक्षण में अवैध वसूली दिन दुगनी रात चौगुनी हो रही है
जब कोई स्थानीय व्यक्ति की गाड़ी होती है उनकी भी नहीं सुनते और झाबुआ के लोकल ट्रांसपोर्ट जो रोजाना दाहोद एवं झाबुआ तक ट्रांसपोर्टिंग करते हैं उन्हें सब कागजात कंप्लीट होने पर भी एंट्री के लिए दबाव बना कर परेशान किया जाता है तो एक आम ड्राइवर इन से इतना परेशान है कि इनकी कहीं किसी भी हालत में कहीं से भी एंट्री के उपयोग की व्यवस्था कर आगे बढ़ता है
जिम्मेदार अधिकारी नहीं रहते आरटीओ परिसर में
: कोई भी आरटीओ प्रभारी पिटोल में पदस्थ होता है अधिकतर समय अपने ऑफिस में नहीं होता है क्योंकि आरटीओ की अवैध वसूली वहां पदस्थ प्रधान आरक्षक ही संभालते हैं जब मीडिया कर्मी इन समस्याओं को लेकर वहां आरटीआई से बात करने जाते हैं तो हमेशा नहीं मिलते वहां पदस्थ प्रधान आरक्षक ही कहते हैं साहब इंदौर या ग्वालियर हैं जबकि वह अपने घर पर आराम फरमाते हैं क्योंकि महीने में जिन बड़े ट्रांसपोर्टरों के महीने की इंट्री एवं नेता अन्य लोगों की इंट्री समय पर उनके यहां पहुंच जाती है जबकि आरटीओ प्रभारी और चेक पोस्ट पर रुकना चाहिए।