आज कडुवाहट ने रिशताे मे दरार पैदा कर दी है स्त्री को मां बना कर ईश्वर ने उसे अपने समतुल्य बना दिया है , विचारों में सदा सकारात्मक होना चाहिये नेगेटिविटी नही ……..- काजल औझा वैद्य
प्यार, परिवार और पैसा विषय पर व्याख्यान का हनुमान टेकरी सेवा समिति ने किया आयोजन
झाबुआ से राजेंद्र सोनी व पियूष गादिया की रिपोर्ट
झाबुआ । श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर सेवा समिति द्वारा एक नीजि गार्डन में बौद्धिक कार्यक्रम ’’प्यार, परिवार एवं पैसा’ पर प्रेरक वक्ता एवं मोटीवेनल स्पीकर काजल ओझा वैद्य के व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसमें नगर के बुद्धिजीवियों सहित बडी संख्या में महिलाये भी उपस्थित रहे । नूतन संवत्सर 2076 की पूर्व संध्या पर आयोजित इस कार्यक्रम में भगवान श्रीराम के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ ।
खचाखच भरे इस आयोजन में प्रखर वक्ता काजल ओझा वैद्य ने कहा कि जिंदगी में सभी लोक सत्ता, प्रचार एवं पैसा चाहिये इसके अलावा वे शांति भी चाहते है । मैं अपने आप के बारे में जब सोचती हूं तों मनन करती हूं कि आखिरकार थकान के बाद भी आदमी क्यो अपनी पब्लिसीटी चाहता है । हर व्यक्ति कुछ न कुछ न पाना चाहता है चाहे सामाजिक स्तर पर हो या वैयक्तिक स्तर पर ।कुछ अपवाद ऐसे भी होते है जिन्हे कुछ नही चाहत होती है ।उन्होने उदाहरण के माध्यम से बताया कि व्यक्ति जब पूरी जिंदगी कमा कमा कर एकत्रित करता है किन्तु मरते समय उसके साथ एक जोडी मौजे भी नही ले जासकता है ।उन्होने कहा कि आज अगर मेरी प्रशंसा हो रही है तो भविषय में ओर भी लोग आयेगें और मै पार्व में चला जाउंगा । कहा जाता है कि पैसा हो तो सब कुछ खरीदा जा सकता है। पैसा आने पर गरीब नाथिया नाथालाल बन जाता है । सुख समृद्धि युक्त आलीशान डेकोरेट मकान हो, सभी सुविधायें और तजोरी पैसों से भरी हो पर इस वैभव के बाद भी क्या निंद खरीदी जा सकती है उत्तर होगा नहीं । आपके घर मे तीन चार कूक हो, डायनिंग टेबल हो बढिया का्करी हो उसके बाद भी सुख को नही खरीदा जा सकता हे । बाहर यदि अनजान व्यक्ति रो रहा है तो लोक उसके पास जाकर कारण पुछते है किन्तु अकेला व्यक्ति यदि हंस रहा है तो लोग उसे पागल ही समझेगें । हंसने के लिये दो व्यक्तियों का होना जरूरी होता है । मैने जिंदगी को काफी करीब से देखा है रिशते प्यार, तिरस्कार, कडवाहट देखी है । सगे संबंधी सब प्यारे नही होते है जो सगे नही होते है वे ही प्यार देते है । आज सगा भाई भी प्रापर्टी के लिये लड रहा है । मुकेश अंबानी का उदाहरण देते हुए कहा कि उसके यहां दो दो शादिया में फिल्मी कलाकारों ने परोसगारी की । परन्तु सगा भाई अनील अंबानी नही दिखाई दिया । पेसा देकर तो किसी को भी बुलाया जासकता है । आखर परिवार है क्या ? इस पर मनन करना चाहिये ।
उन्होने कहा कि विचारों में सदा सकारात्मक होना चाहिये नेगेटिविटी नही । सास बहु के झगडे आम बात है । उन्होने एकता कपूर के सीरियलों का उदाहरण देते हुए कहा कि इससे समाज में केवल विकृति ही आई है । आदिवासी अंचल की बात कहते हुए कहा कि महानगरों में शांति नही दिखाई देती ,जबकि यहां शांति ही शांति है । गांधीजी का जिक्र करते हुए कहा कि वे कभी भी थियेटर में नही गये । जबकि आज का बच्चा भी बोरियत महसूस करने लग गया है । इसलिये जरूरी है बच्चो को हमेशा बिजी रखे ।
काजल ओझा वैद्य ने आगे कहा कि जब ब्लेक टेलिफोन थे तब कितने ही नम्बर याद रहते थे किन्तु आज मोबाइल के युग मे स्वयं के मोबाइ्ल नम्बर भी याद नही रहते है । आज हमे अपनी स्मरण शक्ति पर काबु ही नही रहा है । हम लोग याद रखने की जहमत ही नही उठाते है । आज कडुवाहट ने रिशतो मे दरार पैदा कर दी है । हम सोचते है पैसा आगया प्रसिद्धी आगई तो रिशतेदार भी बन जाते हे । पेसा आने पर बहुत कुछ आजाता है । समुद्र मे जब ज्वचार आता है तो सारा कचरा बाहर ही फैंक देता है और जो लेकर आया था वह वापस ले जाता है । काजल ओझा ने आगे कहा कि जिंदगी में अहमियत रिशतों की होती है । हमने नई गाडी ली या अच्छी साडी पहनी तो सबसे पहले उसे ही दिखाते है जो सबसे अधिक प्रिय होता है। यदि हमे प्रशंसा नही मिले तो क्या काम की ऐसी वैभवता ऐसा दिखावा ।एक उदाहरण के माध्यम से उन्होने बताया कि यदि पत्नी को साडिया, गहने आदि सब देकर एक कमरे में बंद कर दे और कमरे में आइना ही नही हाे तो उसका श्रृंगार बेकार ही माना जावेगा । रिशतो ही एहमियत भी आईने जेसी ही होती है । उन्होने आगे कहा कि पैसो से निषठा नही खरीदी जासकती है । आज की जनरेशन पर कटाक्ष करते हुए उन्होने कहा कि बच्चें गाली गलौच, हिंसा की ओर क्यो अग्रसर हो रहे है इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिये । स्वर्ग एवं नर्क का उदाहरण देते हुए उन्होने कहा कि मरने पर इंसान के साथ कुछ नही जाता है सिकंदर भी खाली हाथ ही गया था । कोई् भी व्यक्ति मौत से बच नही सकता है । इसलिये जो जिंदगी मे जल्द समझ लेते है उनकी जिंदगी सहज हो जाती हे । आज पुत्र को अपने पिता से बात करने का वक्त ही नही है । महिलाओं पर भी उन्होने कटाक्ष करते हुए कहा कि परिवार के लिये उन्हे गोरी चिट्टी, स्लीम संस्कारी बहु चाहिये । बहुत पढी लिखी लडकिया भी कम पढे लिखे लडकें से क्या जोडिया नही बन सकती है । आज अपनी हैसीयत के अनुसार ही जोडी बनाई जाती है क्या हम डिग्रियों, प्रतिषठा, बंगले, गाडियों से शादी कराते है ? उन्होने कहा कि कुण्डली, राशी पर विशवास किया जाता हे। ह र व्यक्ति अखबारों में अपना भविषय फल पढता है तो क्या सबकी राशी एक जेसी हो गई । कृषण,संकस, राम, रावण, शबरी, सूर्पणखा, की एक ही राशी होने के बाद भी अंहे | ईश्वर तेल, दीपक, फुल मीठाई से प्रसंन्न होता तो सबसे अधिक फल हलवाई को मिलना चाहिये । इसलिये ईशवर के इस संसार को बेहतर बनाये ।
उन्होने कहा कि पति घर मे लाकर पैसा पत्नी को देता है । जब उसे कुछ रकम की जरूरत होती है तो पत्नी उससे पुछ ही लेती है किस लिये चाहिये । इस तरह इस देश की महिलाये ही एंपायर होती है। सीता जी ने स्वयं वनवास का निर्णय लिया , दा्ैपदी एवं कैकई का चरित्र में हमे शिक्षा देता है । कभी की महिला की दुसरों के साथ तुलना नही होना चाहिये । क्यो परमात्मा में हर व्यक्ति के चहरे एवं फिंगरप्रिंट अलग अलग ही बनाये है तो फिर तुलना का कोई मतलब नही होता है । स्त्री को मां बना कर ईशवर ने उसे अपने समतुल्य बना दिया है । माताये ही ईशवर के करीब होती है । स्त्री मे श्रद्धा बहुत होती है किन्तु जो नही दिखता उसका भी अस्तित्व हे । ईशवर मे पुरूष एवं महिला को अलग अलग बनाया है । स्त्री जीवन मे कई भूमिका निभाती है । वह हजार हाथ वाली दुर्गा के समान होती है किन्तु जरूरी नही है कि उसके हजार दिखाई दे । वह अपने कर्तव्यों का संपादन इसी रूप मे करती है । इसलिये हर परिवार मे थोडी सी सहिषणुता होना चाहिये । जो मां कभी गुस्सा नही करती यदि एक दिन वह गुस्से में बात नही करें तो सभी एकत्रित होकर कारणा जानना चाहते है किन्तु जो हमेशा मुह चढा कर रह ती है उसके पास कोई फटकता भी नही है ।
उन्होने नसीहत देते हुए कहा कि सफलता का प्रर्दशन पावर से हाेता है। इसलिये जरूरी की पावर को कंट्रोल करना ही सबसेबडा पावर है । अच्छा बोलने वाला ही इम्प्रेशन लेकर जाता है । उन्होने कहा कि जीवन में तीन बातों का ध्यान रखे कि पैसा चाहे दुनिया में महत्वपूर्ण हो किन्तु जिंदगी में बेसीक सुविधायें होना चाहिये । जो क्षमा कर सकता है उसके लिये ही पुरी दुनिया खुली है। कडुवाहट को जीवन से निकाल दो आनंद आयेगा । उन्होने आगे कहा कि हम दुसरों के लिये तो न्याधी बनते है किन्तु अपने लिये अलग पैमाना होता है । पेसा भी मिले प्यार भी मिले और परिवार भी सुखी रहे ये बाते एक दुसरे से परस्पर जुडी हुई है । बच्चों को संस्कार देने के साथ ही संर्घषा करने की ताकत देवे । हम अभी तक पास बुक भरे रहे है अब वासबुक भरना चाहिये । हर सदी को गांधी चाहिये और इसलिये हमे बच्चों कोतेयार करना होगा ।
इस कार्यक्रम में पद्मश्री महेश शर्मा, डा. विक्रांत भूरिया, विधायक गुमानसिंह डामोर, निर्मल मेहता, ओमशशर्मा, जगदीचंद नीमा, यशवंत भंडारी, डा.केके त्रिवेदी, रतनसिंह राठौर, संजय कांठी, अजय रामावत, पीएन यादव,मनोज भाटी, संजय माहेशवरी, ओपी राय, धर्मैन्द्रजी, वैभव सुराणा, धनसिंह बारिया सहित बडी संख्या में नगर के नागरिक एवं बुद्धिजीवी उपस्थित रहे ।
दीप प्रज्वलन कागज ओझा के अलावा महेशशर्मा, बद्रीलाल सोनी, संजय काठी,एवं समिति के कार्यकर्ता उपस्थित रहे । काजल औझा का स्वागत मातृ शक्ति एवं पुरूष वर्ग जिसमें राकेश झरबडे, गिडवानी,मुकेश नीमा, पल्लुसिंह चौहान आदि ने किया । स्मृति चिन्ह अरूण भावसार, प्रेम अदीब पंवार, पुपेन्द्र नीमा, अशोकशर्मा ,मोहित उपाध्याय आदि ने किया । समिति के प्रतिवेदन का वाचन गजेन्द्रसिंह चन्द्रावत ने प्रस्तुत किया । इस अवसर पर 18 एवं 19 अप्रेल को हनुमान जयंती महोत्सव की पत्रिका का विमाचन में किया गया । कार्यक्रम का संचालन दिनेश चौहान ने किया तथा आभार डा. चारूलता दवे ने व्यक्त किया ।—————————————————–