झाबुआ

भारतीय जनता पार्टी ने बाबा साहब आम्बेडकर को स्मरण कर उनके पद चिन्हो पर चलने का संकल्प लिया

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झाबुआ से……. राजेंद साेनी……

उत्साह के साथ मनाई आम्बेडकर जयंती
झाबुआ । भारतीय जनता पार्टी द्वारा रविवार को बाबा साहब आम्बेडकर जयंती को पूरी श्रद्धा एवं उत्साह के साथ मनाया गया । स्थानीय आम्बेडकर पार्क में भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा, पूर्व विधायक शांतिलाल बिलवाल,, जिला कार्यालय प्रभारी ओपी राय, अजय पोरवाल, जुवानसिंह गुण्डिया, भूपेश सिंगोड, कल्याणसिंह डामोर, नरेन्द्र जैन, नाना राठौर, अजय सोनी, मनोज अरोडा,सहित बडी संख्या में भाजपा पदाधिकारियो ने बाबा साहब की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके उन्हे राषट्र निर्माता बताया । इस अवसर पर जिला भाजपा अध्यक्ष ओम प्रकाशशर्मा ने कहा कि भारत के लोगों के लिये उनके विशाल योगदान को याद करने के लिये बहुत ही खुशी से भारत के लोगों द्वारा अंबेडकर जयंती मनायी जाती है। डा भीमराव अंबेडकर भारतीय संविधान के पिता थे जिन्होंने भारत के संविधान का ड्रफ्ट (प्रारुप) तैयार किया था। वो एक महान मानवाधिकार कार्यकर्ता थे जिनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। उन्होंने भारत के निम्न स्तरीय समूह के लोगों की आर्थिक स्थिति को बढ़ाने के साथ ही शिक्षा की जरुरत के लक्ष्य को फैलाने के लिये भारत में वर्ष 1923 में “बहिष्त हितकरनी सभा” की स्थापना की थी। इंसानों की समता के नियम के अनुसरण के द्वारा भारतीय समाज को पुनर्निर्माण के साथ ही भारत में जातिवाद को जड़ से हटाने के लक्ष्य के लिये “शिक्षित करना-आंदोलन करना-संगठित करना” के नारे का इस्तेमाल कर लोगों के लिये वो एक सामाजिक आंदोलन चला रहे थे।
पूर्व विधायक शांतिलाल बिलवाल ने इस अवसर पर बाबा साहेब आम्बेडकर को स्मरण करते हुए कहा कि बाबा साहेब आम्बेडकर ने अस्पृश्य लोगों के लिये बराबरी के अधिकार की स्थापना के लिये महाराष्ट्र के महाड में वर्ष 1927 में उनके द्वारा एक मार्च का नेतृत्व किया गया था जिन्हें “सार्वजनिक चदर झील” के पानी का स्वाद या यहाँ तक की छूने की भी अनुमति नहीं थी। जाति विरोधी आंदोलन, पुजारी विरोधी आंदोलन और मंदिर में प्रवेश आंदोलन जैसे सामाजिक आंदोलनों की शुरुआत करने के लिये भारतीय इतिहास में उन्हें चिन्हित किया जाता है। वास्तविक मानव अधिकार और राजनीतिक न्याय के लिये महाराष्ट्र के नासिक में वर्ष 1930 में उन्होंने मंदिर में प्रवेश के लिये आंदोलन का नेतृत्व किया था। उन्होंने कहा कि दलित वर्ग के लोगों की सभी समस्याओं को सुलझाने के लिये राजनीतिक शक्ति ही एकमात्र तरीका नहीं है, उन्हें समाज में हर क्षेत्र में बराबर का अधिकार मिलना चाहिये। 1942 में वाइसराय की कार्यकारी परिषद की उनकी सदस्यता के दौरान निम्न वर्ग के लोगों के अधिकारों को बचाने के लिये कानूनी बदलाव बनाने में वो गहराई से शामिल थे।
ओपी राय ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बाबा साहअ आम्बेडकर ने भारतीय संविधान में राज्य नीति के मूल अधिकारों अर्थात सामाजिक आजादी के लिये, निम्न समूह के लोगों के लिये समानता और अस्पृश्यता का जड़ से उन्मूलन और नीति निदेशक सिद्धांतों याने संपत्ति के सही वितरण को सुनिश्चित करने के द्वारा जीवन निर्वाह के हालात में सुधार लाना को सुरक्षा देने के द्वारा उन्होंने अपना बड़ा योगदान दिया। बुद्ध धर्म के द्वारा अपने जीवन के अंत तक उनकी सामाजिक क्रांति जारी रही। भारतीय समाज के लिये दिये गये उनके महान योगदान के लिये 1990 के अप्रैल महीने में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
बाबा साहब के बताये रास्तों पर चलने का संकल्प लेते हुए भाजपा पदाधिकारियों ने बाबा साहब के बताये मार्ग का अनुसरण करते हुए सभी वर्गो के विकास एवं भा्तृत्व की भावना के साथ देश के विकास के लिये अपनी भूमिका निर्वाह लेने का संकल्प भी लिया ।

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