झाबुआ

भ्रष्टाचार की खबर लगते ही नगर पालिका में मची खलबली……

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झाबुआ से राधेश्याम पटेल की रिपोर्ट…….

झाबुआ – नगर पालिका द्वारा पेयजल टैंकर में सामग्री खरीदी घोटाले की खबर लगने पर किस तरह नगर पालिका द्वारा भ्रष्टाचार को दबाने के लिए फाइल गुम या चोरी होना बताया जाकर किस तरह मामले को दबाया जा सकता है और जांच से बचा जा सकता है उसका उदाहरण देखने को मिला।
नगर पालिका में जनता के पैसों की बंदरबांट की खबर जैसे ही वायरल हुई , नगर पालिका परिषद में हड़कंप व कोताही मच गई । हड़कंप मचना स्वाभाविक ।ही था क्योंकि जिस तरह से लोक सभा निर्वाचन 2019 के कार्य के अंतर्गत पेयजल टेंकरो में लगने वाली सामग्री खरीदी के कागजों को गोलमाल तरीके से फाइल पेश की गई, साफ लगता था कि इस कार्य में घोटाला किया गया है सिर्फ कागज की आपूर्ति की गई | नगर पालिका इस तरह की जांच से बचने के लिए संभवत एफआयआर भी कर सकती है | निम्न बिंदु से यह भी स्पष्ट बता रहे हैं कि कहानी कुछ और है
1. भाव पत्र निविदा दिनांक 2 मई 2019 तक निविदा दी जावे |समयावधि बाद मंजूर नहीं की जाएगी |
2. भाव पत्र में दिनांक 5 मई 2019 डाली गई जबकि दिनांक 2 मई 2019तक ही भाव पत्र लिए जाने थे |
3 .प्रदाय आदेश दिनांक 4 मई काे ही दे दिए गए , जबकि निविदा भाव पत्र 5 मई 19 को प्राप्त हुए तो प्रदाय आदेश 1 दिन पूर्व याने 4 मई 19 को कैसे दे दिए गए |
4 .भाव पत्र बाजार भाव से दो से 3 गुना अधिक दामों पर खरीदी की खबर, वायरल हुई ताे नगरपालिका कर्मचारी काे लगा की बुरी तरह फस गए हैं | क्या किया जाए ? विशेष सूत्रों से पता चला है कि इस झंझट से बचने के लिए योजना बनाई गई कि कार्य से संबंधित पूरी फाइल गुम हो गई है व कोतवाली में फाइल चोरी की रिपोर्ट लिखवा देते है ताकि कोई जांच या अन्य कार्रवाई बचा जा सके | ऐसी प्रक्रिया से लगता है कि कार्य में भारी गड़बड़ी चल रही है जो जांच का विषय है पूर्व में भी झूला चकरी कांड की फाइल गुम हो गई थी उस समय भी संबंधित कर्मचारी को कार्य में लापरवाही बरतने पर संभवत सस्पेंड कर दिया गया था तो क्या इस बार भी ऐसी कोई कार्रवाई की जावेगी ? ताकि भ्रष्टाचार करने के बाद इस तरह फाइल गुम होने का बहाना ना बनाया जा सके ? या फिर नगर पालिका में यूं ही भ्रष्टाचार होता रहेगा और फाइलें गुम होती रहेगी |

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