झाबुआ

तीन दिवसीय भव्य प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का होगा आयोजन। मंदिर में श्री सच्चियायमाता ओसियाजी एवं श्री सोनाणा खेतलाजी भैरव महाराज की प्रतिमा होगी विराजमान

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झाबुआ। जिले के सेठो की नगरी बामनिया में 12 से 14 जून तक 3 दिवसीय भव्य प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन होगा। जिसमें मप्र में प्रथम मंदिर में ओसवाल वंश की कुलदेवी राजराजेश्वरी श्री सच्चियायमाताजी ओसियाजी व 36 कोम के कुलदेवता भैरूजी श्री सोनाणा खेतलाजी बामनिया की भव्य प्रतिष्ठा 14 जून को होगी।
जानकारी देते हुए खेतलाजी महाराज के परम भक्त विवेक लुणावत ने बताया कि,आयोजन की शुरुआत 12 जून को को ज्योत एवं ध्वजा आगमन से होगी। दोपहर में भोजन प्रसादी एवं शाम को सोनू सिसोदिया, लहरुदास वैष्णव एंड पार्टी एवं सृष्टि बीकानेर (नृत्य कलाकार) द्वारा दी जाएगी। आयोजन के दूसरे दिन 13 जून को प्रातः 09 बजे भव्य विशाल कलश यात्रा (भीनमाल लेझिम पार्टी) हाथी, घोड़ा, ऊंट, बग्गी, बैंड बाजो के साथ नगर में निकाली जाएगी। दोपहर में भोजन प्रसादी एवं शाम 8 बजे सरिता खारवाल एंड पार्टी पंचपदरा, रमेश माली (पाली), दिलीप गवैया (जोधपुर), नृत्य कलाकार धर्मेंद्र, हेमा जोड़ी नंबर वन राजस्थान द्वारा रंगारंग प्रस्तुतियां दी जाएगी। आयोजन के तीसरे दिन 14 जून शुक्रवार को प्रातः शुभ बेला में देवों का प्रसाद, प्रवेश तथा शिखर,ध्वज, कलश आदि देव प्रतिष्ठा स्थापना, प्रसाद प्रबोधन, उत्तर पूजन, दिगपाल पूजन, बलिदान, पूर्णाहुति, महाआरती, महाप्रसादी, ब्राह्मण पूजन, घट चालान होगा। दोपहर में विशाल भंडारे (फले चुंदडी) प्रसादी का आयोजन होगा।
पहले दर्शन के लिए जाना पड़ता था राजस्थान, अब बामनिया में ही होंगे दर्शन
श्री लुणावत ने आगे बताया कि कार्यक्रम आयोजन श्री सांचला सोनाणा तीर्थ धाम, पेटलावद रोड़ बामनियापर भव्य रूप से संपन्न होगा। आयोजन के पूर्व आयोजन स्थल पर समस्त कार्यकताओं द्वारा भव्य तैयारियां की जा रही है। साथ ही आमंत्रक समिति श्री सोनाणा खेतलाजी भैरूजी ट्रस्ट 36 कौम सेवार्थ बामनिया ने समस्त माता ,भैरव भक्तो को सादर आमंत्रित किया है। अपील की है कि सभी अधिक से आधिक तादात में पधार कर आयोजन को सफ

ल बनाएं और अपनी प्रभु भक्ति का परिचय दे। खेतलाजी के परम भक्तो ने बताया कि उक्त आयोजन में राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, निमाड़ सहित कई स्थानों ने बड़ी संख्या में भक्तगण पधार कर हिस्सा लेंगे। ज्ञातव्य है कि पहले माता भैरव भक्तो को अपने कुल देवी, कुल देवता के दर्शन हैतु राजस्थान जाना पड़ता था अब वही स्थान के नाम से बामनिया में ही यह तीर्थ मशहूर होगा। भक्तो को दर्शन हेतु भी बड़ी आसानी होगी।

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