झाबुआ

नन्द के घर आनन्द भयो पर सैकडो पावं थिरके । कमल तलाई मनारेथ के दर्शनों के लिये रही बेतहाशा भीड।

Published

on

भगवान ही स्वयं वक्ता भी है और श्रोता भी है – पण्डित सतीष शर्मा शास्त्री
भागवत कथा में राम, परशुराम एवं श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का प्रसंग सुनाया

झाबुआ । श्री गोवर्धननाथ जी की हवेली की स्थापना के 151 वें वर्ष पर परम पूज्य गोस्वामी दिव्येश कुमार जी की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन में 11 दिवसीय भव्य पाटोत्सव की कडी में जहां भगवान गोवर्धननाथ के मंदिर में उल्लासपूर्वक नंदमहोत्सव मनोरथ का आयोजन दिन को हुआ वही पैलेस गार्डन में पण्डित सतीषजी शर्मा शास्त्री के श्रीमुख से भागवत कथा में रविवार को श्रीराम जन्म, श्री कृष्ण जन्म एवं नंद महोत्सव का प्रसंग सुनाया गया ।

भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्योत्सव पर खचाखच भरे कथा पाण्डाल में महिला एवं पुरूष र्हशित होकर नृत्य करने लग गये । पूरा माहौल गोकूल मथुरा में तब्दिल हो गया । भागवत कथा में भगवान श्रीराम के चरित्र का वर्णन करते हुए पण्डित सतीषजी शास्त्री ने कहा कि राम का वनवास मे जाना केवल उनकी लीला मात्र थी । राम का बनवास भी असूरों के संहार के साथ ही धर्म की स्थापना का रहा है। उन्होने कहा कि राम को सबसे अधिक अपनी माता कैकई प्रिय थी, और राम के अनुरोध पर ही कैकई ने अपने पति दशरथ की जान की पर्वाह किये बिना राम केआग्रह पर ही उनका वनवास वरदान में मांगा था । यह रहस्य सिर्फ राम एवं कैकई ही जानते थे । कैकई ने राम के लिये अपने पति, अपने सुहाग तक को कुर्बान कर दिया । कैकई का पात्र बडा ही विलक्षण है जिसे समझ पाना आम जनों के लिये मुमकीन नही है । पण्डित सतीषजी ने आगे कहा कि स्वर्ग वही जाना चाहते है जिनमें स्वार्थ होता है । असूरों के बढते पापाचार को देखते हुए देवताओ ने मां सरस्वती से वंदना करके कैकई के जिव्हा पर बिरिजित होने का आग्रह किया ताकी राम वनवास को जाये और दुष्टो का संहार हो सकें । कथा में उन्होने परशुराम अवतार की भी विद व्याख्या करते हुए कहा कि इस अवतार मेंभी कई रहस्य छिपे हुए है । जब सुखदेवजी भागवत कथा स्रुना रहे थे तब वे समाधिस्थ हो गये तब भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं ने सुखदेवजी कें शरीर मे प्रवेश कर राजा परिक्षित को भागवत कथा सुनाई थी । इसलिये भागवत कथा के लिये यह कहना सार्थक होगा कि भगवान ही स्वयं वक्ता भी है और श्रोता भी है । श्री कृष्ण के प्राकट्योत्सव के बारे में बताते हुए उन्होने कहा कि जब कंस के अत्याचारों से चारों तरफ पाप बढ़ने लगा तो भगवान कृष्ण बाल रूप में माता देवकी के जन्म लेकर यशोदा मैया के घर पर यशोदा का पुत्र बनकर धरती पर आए पापियों का संहार किया।
उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन आदमी को बार-बार नहीं मिलता है। इसलिए इस कलयुग में दया, धर्म व भगवान के स्मरण से ही सारी योनियों को पार करते हुए मनुष्य जीवन का महत्व समझते हुए भगवान भक्ति में अधिक से अधिक समय देना चाहिए। उन्होंने भगवान कृष्ण के जन्म का वर्णन कर श्रोताओं का मन मोह लिया। भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं, क्योंकि यह दिन भगवान श्रीष्ण का जन्मदिवस माना जाता है। इसी तिथि की घनघोर अंधेरी आधी रात को रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के कारागार में वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। द्वापर युग में भोजवंशी राजा उग्रसेन मथुरा में राज्य करता था। उसके आततायी पुत्र कंस ने उसे गद्दी से उतार दिया और स्वयं मथुरा का राजा बन बैठा। कंस की एक बहन देवकी थी, जिसका विवाह वसुदेव नामक यदुवंशी सरदार से हुआ था। एक समय कंस अपनी बहन देवकी को उसकी ससुराल पहुंचाने जा रहा था। रास्ते में आकाशवाणी हुई- हे कंस, जिस देवकी को तू बड़े प्रेम से ले जा रहा है, उसी में तेरा काल बसता है। इसी के गर्भ से उत्पन्न आठवां बालक तेरा वध करेगा। यह सुनकर कंस वसुदेव को मारने के लिए उद्यत हुआ। तब देवकी ने उससे विनयपूर्वक कहा- मेरे गर्भ से जो संतान होगी, उसे मैं तुम्हारे सामने ला दूंगी। बहनोई को मारने से क्या लाभ है ? कंस ने देवकी की बात मान ली और मथुरा वापस चला आया। उसने वसुदेव और देवकी को कारागृह में डाल दिया। वसुदेव-देवकी के एक-एक करके सात बच्चे हुए और सातों को जन्म लेते ही कंस ने मार डाला। अब आठवां बच्चा होने वाला था। कारागार में उन पर कड़े पहरे बैठा दिए गए। उसी समय नंद की पत्नी यशोदा को भी बच्चा होने वाला था। उन्होंने वसुदेव-देवकी के दुखी जीवन को देख आठवें बच्चे की रक्षा का उपाय रचा। जिस समय वसुदेव-देवकी को पुत्र पैदा हुआ, उसी समय संयोग से यशोदा के गर्भ से एक कन्या का जन्म हुआ, जो और कुछ नहीं सिर्फ माया थी। जिस कोठरी में देवकी-वसुदेव कैद थे, उसमें अचानक प्रकाश हुआ और उनके सामने शंख, चक्र, गदा, पद्म धारण किए चतुर्भुज भगवान प्रकट हुए। दोनों भगवान के चरणों में गिर पड़े। तब भगवान ने उनसे कहा- अब मैं पुनः नवजात शिशु का रूप धारण कर लेता हूं। तुम मुझे इसी समय अपने मित्र नंदजी के घर वृंदावन में भेज आओ और उनके यहां जो कन्या जन्मी है, उसे लाकर कंस के हवाले कर दो। इस समय वातावरण अनुकूल नहीं है। फिर भी तुम चिंता न करो। जागते हुए पहरेदार सो जाएंगे, कारागृह के फाटक अपने आप खुल जाएंगे और उफनती अथाह यमुना तुमको पार जाने का मार्ग दे देगी। उसी समय वसुदेव नवजात शिशु-रूप श्रीष्ण को सूप में रखकर कारागृह से निकल पड़े और अथाह यमुना को पार कर नंदजी के घर पहुंचे। वहां उन्होंने नवजात शिशु को यशोदा के साथ सुला दिया और कन्या को लेकर मथुरा आ गए। कारागृह के फाटक पूर्ववत बंद हो गए। कंस को सूचना मिली कि वसुदेव-देवकी को बच्चा पैदा हुआ है। उसने बंदीगृह में जाकर देवकी के हाथ से नवजात कन्या को छीनकर पृथ्वी पर पटक देना चाहा, परंतु वह कन्या आकाश में उड़ गई और वहां से कहा- अरे मूर्ख, मुझे मारने से क्या होगा? तुझे मारनेवाला तो वृंदावन में जा पहुंचा है। वह जल्द ही तुझे तेरे पापों का दंड देगा। कृष्ण गोकुल पहूंच गये और नन्द यशोदा के घर पुत्र जन्म पर खुशिया मनाई गई,नन्दोत्सव मनाया गया ।

भगवान कृष्ण को देवकीनंनद भी कहा जाता है और यशोदा का लाल भी पुकारा जाता है ।
कथा में पण्डित जी बताया कि आज कल हमारी प्राचिन पंरपरा का ह्रास हो रहा है और आधुनिक परिवेश केचलते मर्यादायें भी भंग होने लगी है ।हमे सत्कर्म करके अपने जीवन को बचाना चाहिये ताकि प्रभू कृपा सतत बरसती रहे ।
कथा में नन्द के घर आनन्द भयो जय कन्हैयालाल की, हाथी घोडा पाकली जय कन्हैया लाल की भजन पर हजारोंपाव थिरक उठे ।महिलाओं एवं पुरूषो ने जमकर नृत्य कर अपनी भक्ति भावना प्रवाहित की ।

इस अवसर पर पूज्य दिव्येशकुमारजी द्वारा भागवतजी की आरती करके नन्दोत्सव के दौरान अपने हाथो से श्रद्धालुओं के बीच मीठाई, एवं खिलोने लुटाये जिसे प्राप्त करने के लिये सभी मचल उठे । माखन मिश्री एवं पंजरी की प्रसादी का वितरण किया गया ।
कमल तलाई मनोरथ के दर्शन के लिये उमडे श्रद्धालु जन
रात्री शयन काल में ’’बैठे व्रजराज कुंवर प्यारी संग यमुना तीरे ’’ भजन के साथ भगवान गोवर्धननाथजी,श्रीकृष्ण जी एवं राधे रानी बनाई गई कमल तलाई में सुंदर कमल के फुलो से सजी झांकी मे बिराजित हुए जहां पूज्य दिव्येकुमारजी ने उनकी पूजा अर्चना के साथ लाड लडाने का अनुशठासन किया । पूरा मंदिर खचाखच भर गया था कतार बद्ध होकर लोगों ने भगवान के इस मनोहारी स्वरूप का दर्शन किया ।

—————————————————

Click to comment

Trending