झाबुआ

1-1 रूपये के सहयोग से चल रही झाबुआ की सदगुरू गौशाला

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8 साल से शहर के सेवाभावी कर रहे गौशाला का संचालन
झाबुआ : हिन्दु मान्यता के अनुसार गाय में 33 कोटी देवी-देवताओं का वास होता है। गाय की पूजा करना हिन्दु धर्म में पुण्य माना जाता है मगर आज देश-प्रदेश में गायों की हालत काफी दयनीय होती जा रही है। शहरों से निकलने वाले कचरे में गाय अपना भोजन ढुंढने को विवश है जिसके चलते गाय प्लास्टि से अपना भेटभर रही है। गायां की कुछ ऐसी ही दशा देख कर झाबुआ शहर के युवाओं ने 8 साल पहले सदगुरू गौशाला के नाम से एक गौशाला की शुरूआत की और आज इस गौशाला में सैकड़ों गाय, बछड़े और नंदी की सेवा की जा रही है।
कहते है जहां चाह है वहां राह है। कुछ इसी सोच के साथ सदगुरू गौशाला के 30 से अधिक सदस्य जो अपने व्यावसाय से समय निकालकर यहां ना सिर्फ आर्थिक सहयोग वरन् श्रमदान करने आते हैं उनकी मेहनत ने एक बड़ा आकार ले लिया। आज शहर के लोगों को अपने जन्मोत्सव, वर्षगांठ या परिवार के किसी सदस्य की याद में गौसेवा की एक स्थाई जगह मिल गई। इस गौशाला को चलाने के लिए टिटु भगत जिले के सभी हाट बाजार में एक दान पात्र लेकर घुमत है जिसमें छोटे से लेकर बड़ा व्यक्ति अपनी आस्थानुरूप राशि का दान करता है। 1 रूपये की सहयोग राशि से शुरू हुई गौशाला आज वृहद स्वरूप में आ चुकी है, इसी दान के सहारे आज सदगुरू गौशाला में 100 से अधिक गाय, 20 बछड़े और आधा दर्जन नंदी की सेवा की जा रही है।
शहर में कोई बिमार या दुर्घाटनाग्रस्त गाय या नंदी दिखाई देता है तो समिति उसे गौशाला लाकर उसका उपचार करती है,प्रतिदिन 3 पशु चिकित्सक अपनी सेवाए देने यहां आते है। इन दिनों गर्मी का प्रकोप है लिहाजा गौशाला में गायों को गर्मी से बचाने के लिए जम्बों कुलर , पंखें लगाये गये हैं। पानी के लिए ट्युबवेल का खनन कराया गया और गौसवर्धन और संरक्षण के लिए प्रतिमाह दानदाताओं के माध्यम से 1 लाख रूपये का भूसा गायों के लिए लाया जाता है। झाबुआ की सद्गुरू गौशाला को सरकार से कोई आर्थिक सहयोग नहीं मिलता उसके बावजूद बुछड खानों में कटने जाने वाली गायों को यहां सहारा दिया जाता है। इस गौशाला में गाय का दुध उन्हीं के बच्चों को पिलाया जाता है। सरकार के वचन पत्र में हर ब्लॉक में गौशाला खोलने का वादा है यदि सरकार इसी गौषाला को आर्थिक मदद करे तो शायद यह जिले की सबसे बेहतरिन गौशाला के रूप में विकसित हो सकती है। समिति के अध्यक्ष पंकज सोनी , सोनु चौहान , मनीष माहेष्वरी ने बताया की वे और उनके साथी पिछले आठ सालों से इस गोशाला का सफल संचालन आम लोगों के सहयोग से करते आ रहे हैं। हाट बाजारों में सब्जी वालां से लेकर दुकानदारों तक गौसेवा के लिए आर्थिक मदद की जाती है। समिति के सदस्यों का मानना है की शहर के लोग यदि प्लास्टिक और पोलेथिन की थैलीयों का उपयोग बंद कर दे तो इससे गौसरंक्षण और संवर्धन में काफी मदद मिलेगी। प्लास्टि और पौलेथीन खाई हुई गाय भी गौशाला में लाई जाती है। अच्छा उपचार देने के बाद भी कई गायों की मौत हो जाती है यह बेहद ही पीड़ादायक होता है। समिति में सेवा दे रहे सदस्यों का कहना है की लोग मन से गौसेवा से जुड़े यहीं समिति का उदेश्य है।

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