झाबुआ

बदहाली के आंसू रो रहा ऐतिहासिक बहादुर सागर तालाब…….. जिम्मेदारों ने मूंदी आंखें…..

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झाबुआ- सत्रहवीं शताब्दी में जनता की सेवा के लिए बना बहादुर सागर तालाब आज पूरी तरह से प्रदूषित हो चुका है. तालाब में साफ पानी के बजाय सीवरेज का पानी और गंदगी देखने को मिलती है, जिसके चलते तालाब आज अपना अस्तित्व खो रहा है.
रियासत काल के राजा बहादुर सिंह ने सागर तालाब का निर्माण कराया था, ताकि आने वाले समय में लोगों को पानी की समस्या से जूझना ना पड़े, लेकिन वो तालाब आज बदहाली के आंसू रो रहा है. इस अमूल्य धरोहर को लालची लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है और यहां चारों ओर गंदगी का आलम है. इसके चलते तालाब सिकुड़ा जा रहा है.

बदहाल बहादुर सागर तालाब 1766 ईस्वी में ढाई हजार की आबादी के लिए 68.7 बीघा जमीन पर बहादुर सागर तालाब का निर्माण कराया गया था. राजा ने उस समय तालाब में 12 घाट भी बनवाए थे, ताकि भविष्य में लोगों को पानी के लिए जद्दोजहद ना करना पड़े. अब हालात ये है कि तालाब के एक दर्जन घाट में से अब 4 ही घाट दिखाई देते हैं.झाबुआ की रियासत के इतिहास में इस तालाब का जिक्र भी है, लेकिन नगर पालिका और जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते लोगों ने इस तालाब को गंदगी का स्टोरेज बना दिया है. शहर की नामी कॉलोनी, यहां तक कि विश्राम गृह के सीवरेज का पानी भी इसी तालाब में मिलता है.सौंदर्यीकरण के नाम पर कई बार शासन से करोड़ों की राशि नगरपालिका को मिल चुकी है, लेकिन तालाब की ना सफाई हो रही है और ना तो जीर्णोद्धार. पहले भी तालाब में नाव चलाने और सौंदर्यीकरण के नाम पर नगरपालिका परिषद को लाखों की राशि दी गई, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ.आज यह तालाब गंदगी और कीचड़ से भर गया है, बावजूद इसके जिम्मेदार सिर्फ मामले को आगे देखने की बात कर रहे हैं. बदतर हालात होने के बावजूद कोई भी जिम्मेदार इसकी सफाई या रखरखाव की बात नहीं करता है.

जल्द ही तालाब की सफाई करवाई जायेगी व गहरीकरण भी कराया जायेगा | एल.एस.डाेडीया. मुख्य न.पा. अधिकारी. झाबुआ |

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