दूसरे दिन आचार्य श्रीजी ने अपने प्रवचनों में गुरू पूर्णिमा का महत्व समझाया
झाबुआ। जो चरित्र को पवित्र करे, वह आध्यात्मिक पर्व कहलाता है, जो बुद्धि की शुद्धि और जीवन की दशा और दिशा बदलने का कार्य करे, वह आध्यात्मिक पर्व कहलाता है। गति से प्रगति की ओर से तथा साधन सुविधा से अलग हटकर साधनाओं का मार्ग प्रशस्त करे, वह सद्गुरू कहलाता है। जो ना तेरापन ना मेरापन बस अपनापन मैं जीए और जो भूल का सांधन करना सीखाएं, वह गुरू कहलाता है।
उक्त प्रेरणादायी प्रवचन स्थानीय जैन तीर्थ श्री ऋषभदेव बावन जिनालय में श्री नवल स्वर्ण जयंती चातुर्मास के दूसरे दिन धर्मसभा को संबोधित करते हुए अष्ट प्रभावक परम् पूज्य आचार्य देवे श्रीमद् विजय नरेन्द्र सूरीवरजी मसा ने दिए। 16 जुलाई, मंगलवार को गुरू पूर्णिमा पर्व होने से आचार्य देव ने ‘गुरू का जीवन में महत्व’ पर उद्बोधन दिया। आचार्य श्रीजी ने आगे कहा कि गुरू वह होता है जो ज्ञान का मार्ग प्रशस्त करवाएं। मनुष्य को मोक्ष मार्ग की ओर ले जाएं। मायावी जीवन से बाहर सुखमय और शांतिमय जीवन जीने की ओर ले लाए। आचार्य ने बताया कि आज सद्गुरू मिलना मुकिल है, जिसको सद्गुरू मिल जाता है, उसका भव पार हो जाता है। धर्मसभा में प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयजी मसा ने भक्तामर स्त्रोत की विशेषता के बारे में बताते हुए सभी श्रावक-श्राविकाआें को तप और धर्म से जुड़ने की प्रेरणा दी। प्रवचन सुबह 9 से 10 बजे तक चले।
इन्होंने किया लाभ प्राप्त
धर्मसभा के दूसरे दिन श्री भक्तामर स्त्रोत ग्रंथ सूत्र वोहराने का लाभ अंतिमकुमार, गौरवकुमार पोरवाल हस्ते जीवनबाला पोरवाल, श्री भक्तामर स्त्रोत आधारित चरित्र वोहराने का लाभ धर्मचन्न्द, संयजकुमार, पंकजकुमार मेहता परिवार, दोनो सूत्र एवं चरित्र ज्ञान पूजन का लाभ महेकमार न्यायसिंधु कोठारी परिवार, दादा गुरूदेव श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरीवरजी मसा एवं देवेन्द्र विजयजी मसाजी की मूर्ति पर गुरू पूजा का लाभ निलेकुमार अक्षयकुमार लोढ़ा एवं दादा गुरूदेवजी की आरती का लाभ सोहनलाल सतीशकुमार कोठारी परिवार ने लेते हुए गुरूदेवजी की आरती की।
पूणे से आचार्य एवं मुनिराज के र्दशन हेतु पहुंचे गुरूभक्त
पिछले दिनों जहां आचार्य नरेन्द्र सूरीजी एवं प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयजी मसा के र्दान-वंदन हेतु दे की महानगरी मुंबई से सीधे झाबुआ चेतन्यकुमार जैन ‘कल्याण ज्वेलर्स’ ने हुंचकर आचार्य एवं मुनिराज के र्दान-वंदन का लाभ प्राप्त किया था वहीं 15 जुलाई, सोमवार शाम को पुणे से आचार्य श्रीजी के र्दान हेतु जैन समाजजन आए। इसके साथ ही मप्र के विभिन्न शहरों से भी नवल एवं जलज के र्दाव-वंदन हेतु गुरू भक्त पहुंच रहे है।
गुरूपूर्णिमा पर पांचों जिनालयों में लगा रहा समाजजनों का तांता
16 जुलाई, मंगलवार को गुरूपूर्णिमा पर्व होने से अलसुबह से ही श्री ऋषभदेव बावन जिनालय, श्री नाकोड़ा पार्वनाथ मंदिर, दादावाड़ी, महावीर बाग, श्री गोड़ी पार्वनाथ मंदिर के साथ रंगपुरा जैन तीर्थ पर भी दादा गुरूदेव एवं भगवान के र्दान-पूजन के लिए श्रावक-श्राविकाओं की भीड़ लगी रहीं। साथ ही मंदिरों में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम भी संपन्न हुए। वहीं गुरूपूर्णिमा पर श्री मोहनखेड़ा तीर्थ पर भक्तों का मेला लगा। यहां देभर से जैन समाजजन सहित गुरू भक्त राजेन्द्र सूरीवरजी मसा के र्दान-पूजन के लिए पहुंचे। श्री नागेवर महातीर्थ पर भी र्दान-वंदन हेतु झाबुआ श्री संघ के कई सदस्यगण गए। इसके साथ ही इंदौर में गच्छाधिपति आचार्य श्री ऋषभचन्द्र सूरीवरजी मसा का चातुर्मास चल रहा है, यहां भी समाजजनों ने पहुंचकर गुरूपूर्णिमा पर ज्योतिष सम्राट के र्दान का लाभ लिया।
फोटो 002 -ः दूसरे दिन आचार्य नरेन्द्र सूरीवरजी ने धर्मसभा में समाजजनों को गुरू के महत्व के बारे में बताया।
फोटो 003 -ः गुरू पूजा का लाभ लेते निलेकुमार अक्षयकुमार लोढ़ा परिवार।