झाबुआ

काले-काले मेघों के बरसने का हर किसी को इंतजार, झाबुआ में बारिश के लिए प्रार्थना के साथ अब टोने-टोटके का दौर भी शुरू……………..

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झाबुआ से दौलत गोलानी की रिपोर्ट…….
झाबुआ। पिछले एक महीने से जैसे झाबुआ शहर सूखे की मार से भयभीत हो गया है। आसमान में एकत्रित हो रहे काले-काले मेघ (बादल) बरसने का नाम नहीं ले रहे है। जिस श्रावण माह में सावन के सेरो का लोगों को इंतजार होता है, वह नहीं होने से शहरवासी सहित विशेषकर ग्रामीण अंचलों के किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरे खींच गई है। हर किसी को अच्छी बारिश का इंतजार है। इस बीच शहर में प्रार्थनाओं के दौर के बीच लोगों ने टोने-टोटके करना भी आरंभ कर दिए है।
गत दिनों स्थानीय छोटे तालाब स्थित श्री मनकामेवर महादेव मदिर में जहां शिवलिंग को मंदिर समिति की महिला सदस्यों ने पूरी तरह से जलमग्न कर भगवान शिवजी से क्षेत्र में अच्छी वर्षा हेतु प्रार्थना की थी एवं भगवान के जल बरसाने के जयकारे लगाए थे, वहीं 26 जुलाई, शुक्रवार को दोपहर 11.30 बजे अयोध्या बस्ती के कुछ रहवासियों ने मिलकर अच्छी वर्षा के लिए ही ठेलागाड़ी पर जिंदा व्यक्ति का शव निकाला। आगे ढोल बजते रहे तो पीछे ठेलागाड़ी पर शराब पिलाकर एक व्यक्ति को सुलाकर उसे सफेद कपड़ों से ढ़ककर एवं बांधकर, बिल्कुद हुबहू मुर्दे की तरह उसे कफन पहनाकर शहर में घूमाया गया। इस बीच अनजान लोग यह समझ नहीं पाए कि आखिर मृत व्यक्ति की शव-यात्रा कंधों पर निकालने की बजाय ठेलागाड़ी पर क्यो ले जाई जा रहीं है, वहीं जिन्हें पता है कि ऐसा क्षेत्र में अच्छी बारि के लिए किया जाता है, उन्होंने इसकी प्रसां करते हुए परंपरानुसार पैसे भी दान किए।
बारिश के साथ स्वयं की भी होती है कमाई
दरअसल ऐसा करने से माना जाता है कि इंद्रदेवता प्रसन्न होकर जल बरसाते है तो वहीं इस तरह से यात्रा निकालने वाले गरीब एवं निर्धन लोगों को जो पैसा मिलता है, उससे उनका प्रतिदिन का खर्चा भी निकल जाता है। खैर शहर में यह टोटका तो किया गया, जिसके बाद दोपहर करीब 2 बजे कुछ देर के लिए बारिश हुई, लेकिन उसके बाद फिर इंद्रदेवता और मेघों से होने वाली वर्षा थम सी गई।
फसलों को है समय-समय पर पानी की सख्त आवशयकता
मौसम विभाग की माने तो शहर में अब तक 323.2 मिमी, करीब 13 इंच वर्षा दर्ज हो चुकी है, यह ऑकड़ा 300 के बाद आगे बढ़ने का नाम नहीं ले रहा है, उधर इस कारण बैचेनी क्षेत्रवासियों सहित विशेषकर किसानों को हो रहीं है, चूंकि खरीफ फसलों को बड़ा होने के लिए समय-समय पर पानी की आवशयकता होती है, जो नहीं मिल पाने से पिछले दिनों भी फसलों में कीड़ों का प्रकोप बढ़ गया था, यदि आगामी दिनों में भी वर्षा की इसी तरह बेरूखी रहीं, तो फसलों को ओर अधिक नुकसान पहुंचने की संभावना है।

फोटो 004 -ः आसमान की ओर टक-टकी निगाह लगाए किसान अच्छी बारिश का इंतजार करते हुए।

फोटो 005 -ः खरीफ फसलों को बड़ा होने एवं पैदावार हेतु समय-समय पर पानी की है आवयकता। चित्र -ः झाबुआ के समीपस्थ ग्राम नवागांव का।

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