झाबुआ से दाैलत गाैलानी………
राजेन्द्र कोठारी परिवार ने एकासने और गुरूदेवजी की आरती का लिया लाभ
झाबुआ। भक्ति से स्वयं का कल्याण होता है और स्तुति से दूसरो का भी कल्याण होता हे। अनेक भाषाओं से भरपूर भक्तामर स्त्रोत परमात्मा के 18 दोषों से रहित होने के कारण इस जीवन में बाधक तत्व और घातक तत्व से बचाता है, क्योकि परमात्मा निर्दोष रहित है।
उक्त उद्गार स्थानीय श्री ऋषभदेव बावन जिनालय के पोषध शाला भवन में 3 अगस्त, शनिवार को सुबह आयोजित धर्मसभा में प्रवचन देते हुए अष्ट प्रभावक आचार्य देवे श्रीमद् विजय नरेन्द्र सूरीशवरजी मसा ने व्यक्त किए। आचार्य श्रीजी ने आगे कहा कि मन को मजबूत बनाने के लिए आलंबन ऊंचा होना चाहिए। आराधना आत्म की राह पर चलने के लिए धर्म करेंगे, तो नाम रोशन होगा, यह बात आचार्य श्रीजी ने अपने प्रवचन में आराधना शब्द की सार्थकता और आराधना का शब्दार्थ बताते हुए कहीं। नरेन्द्र सूरीशवरजी मसा ने कहा कि तन-मन स्वस्थ रहेगा, तभी मानव मस्त रहेगा, निमित्त त्रस्त नहीं करेगा। दिल-दिमाग में हमे खुी भक्तामर दिलाता है।
तप करने में जीवन में आनंद की प्राप्ति होती है
आचार्य श्रीजी ने आगे कहा कि संसार में कोई चाल मस्त है, कोई गाल मस्त है तो कोई माल मस्त है, परन्तु परमात्मा का भक्त हर हाल में मस्त है। आगम की परिभाषा करते हुए आचार्य देवे ने श्रुत धर देवर्धी का उदाहरण प्रस्तुत किया। यह आगम कोई निबंध नहीं है, आगम आदरणीय है। आचार्य भगवंत मानतुंगजी बीसवे नंबर के आचार्य है। अष्ट प्रभावक ने कहा कि धर्म में आडंबर नहीं आराधना करना चाहिए। तप कर्म निर्जरा के लिए किया जाता है। उत्साह उमंग से तप करेंगे तो जीवन में आनंद ही आनंद प्राप्त होगा।
एकासने एवं गुरूदेवजी की आरती-पूजा का लाभ कोठारी परिवार ने लिया
धर्म सभा में श्री नमस्कार महामंत्र की आराधना के एकासने के लाभार्थी स्व. नेमीचंद कोठारी एवं स्व. श्रीमती सूरजबाई कोठारी की पुण्य स्मृति में राजेन्द्रकुमार किरणबाला कोठारी परिवार ने लिया। साथ ही दादा गुरूदेव श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरीशवरजी मसा की आरती एवं पूजा का लाभ भी कोठारी परिवार ने लेते हुए गुरूदेव की आरती एवं पूजा की। लाभार्थी राजेन्द्र कोठारी का बहुमान श्री नवल स्वर्ण जयंती चातुर्मास समिति के वरिष्ठ एवं समाजरत्न सुभाषचन्द्र कोठारी परिवार ने किया। दोपहर में सभी आराधकाें ने एकासने का लाभ लिया।
भक्तामर महापूजन 4 अगस्त को
झाबुआ की धन्य धरा पर श्री नवल स्वर्ण जयंती चातुर्मास के अंतर्गत भक्तामर महातप के तपस्वियों एवं सकल संघ द्वारा आयोजित श्री भक्तामर महापूजन का आयोजन 4 अगस्त को रविवार को दोपहर विजय मुर्हुत 12.39 बजे से आरंभ होगा। पूजन अष्ट प्रभावक राजस्थान केसरी आचार्य देवे श्रीमद् विजय नरेन्द्र सूरीवरजी मसा ‘नवल’ एवं प्रन्यास प्रवर मालव भूषण श्री जिनेन्द्र विजयजी मसा की निश्रा में आरंभ होगी। नवल एवं जलज द्वारा यंत्र-तंत्र-मंत्र से भरपूर भक्तामर महापूजन का रसास्वादन करवाया जाएगा।
फोटो 001 -ः लाभार्थी परिवार प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयजी मसा को गोचरी व्होराते हुए।