झाबुआ

झाबुआ विधानसभा उपचुनाव में भाजपा से टिकट के दावेदार हुए सक्रिय…………

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झाबुआ से पीयूष गादीया व नरेंद्र राठौर की रिपोर्ट….

मध्यप्रदेश की झाबुआ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव का शंखनाद हो गया है. झाबुआ विधानसभा सीट के मतदाता 21 अक्टूबर को मतदान होंगे तो वहीं 24 अक्टूबर को परिणाम जनता के सामने होगा.

झाबुआ। मध्यप्रदेश की सियासत में एक बार फिर चुनावी मौसम का दौर आया है. आखिरकार लंबे इंतजार के बाद मध्यप्रदेश की झाबुआ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव का शंखनाद हो गया है. झाबुआ विधानसभा सीट के मतदाता 21 अक्टूबर को एक बार फिर अपने नए विधायक के चुनाव के लिए मतदान करेंगे. तो वहीं 24 अक्टूबर को ईवीएम से निकलने वाले नतीजों के साथ झाबुआ के नए वजीर का फैसला हो जाएगा.बीजेपी सांसद जीएस डामोर के रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट पर जीत हासिल करने के चलते झाबुआ विधानसभा सीट खाली हुई थी. बात अगर झाबुआ विधानसभा सीट के सियासी समीकरणों की जाए तो यहां सीधी लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही होने के आसार है. लेकिन इस बार इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस कोई कसर नहीं छोड़ना चाहेगी. क्योंकि इस सीट पर जो भी जीत दर्ज करेगा विधानसभा में उसकी स्थिति मजबूत होगी.किसके सिर होगा झाबुआ उपचुनाव का ताजझाबुआ विधानसभा सीट पर कुल 2 लाख 76 हजार 982 वोटर हैं. जिनमें 1 लाख 39 हजार 97 पुरुष वोटर तो 1 लाख 37हजार 882 में महिला वोटर शामिल हैं. जबकि थर्ड जेंडर की संख्या 3 है. बात अगर झाबुआ विधानसभा सीट के सियासी इतिहास की जाए तो यहां शुरुआत में कांग्रेस का ही दबदबा था. लेकिन बदलते वक्त में यहां बीजेपी की जड़े भी मजबूत हुईं हैं. 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की अंतरकलह से यहां बीजेपी ने बाजी मार ली थी.2018 में कांग्रेस ने जेवियर मेडा की जगह पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को चुनावी मैदान में उतारा था. लेकिन जेवियर मेड़ा बगावत करते हुए निर्दलीय मैदान में उतर गए. जिसका सीधा फायदा बीजेपी के जीएस डामोर को मिला और उन्होंने विक्रांत भूरिया को 10 हजार वोटों से हराया. इस बार भी कांग्रेस की तरफ से विक्रांत और जेवियर मेड़ा के साथ-साथ कांतिलाल भूरिया भी कांग्रेस की तरफ से टिकट की रेस में हैं. ऐसे में भूरिया और मेड़ा के बीच के इस विवाद को सुलझाना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती होगी.बात अगर बीजेपी की करें तो यहां बीजेपी किस पर दांव लगाती है. इसका अभी तक कोई अंदाजा नहीं है. लेकिन बीजेपी भी यहां दमदार प्रत्याशी उतराने की जुगत में है. क्योंकि बीजेपी अपनी जीती हुई सीट को बरकरार रखने की पुरजोर कोशिश करेगी. वहीं आदिवासी संगठन जयस यहां प्रमुख भूमिका निभा सकता है. क्योंकि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के चलते जयस यहां प्रभावी भूमिका में रहेगा. ऐसे में जयस का समर्थन भी महत्वपूर्ण रहेगा.अब देखना दिलचस्प होगा कि इस बार झाबुआ में जीत किसे मिलती है. क्योंकि झाबुआ उपचुनाव केवल बीजेपी और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है. जीएस डामोर, भूरिया परिवार को दो बार चुनावी शिख्सत दे चुके हैं. यही वजह है कि कांग्रेस इस बार पलटवार का कोई मौका नहीं छोड़ेगी. जबकि सीएम बनने के बाद कमलनाथ के लिए भी यह चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा. ऐसे में इस सीट का नतीजा सूबे की सियासत का नया समीकरण तय करेगा. जिस पर पर पूरे प्रदेश की नजरे रहेगी.
बीजेपी से टिकट के प्रबल दावेदार………

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शांतिलाल बिलवाल –विधानसभा चुनाव 2018 के पहले बीजेपी की ओर से झाबुआ के विधायक थे सीटिंग एमएलए रहे हैं संगठन ने जब झाबुआ से गुमान सिंह डामोर को टिकट दियाा तो प्रारंभिक तौर पर उन्होंने विरोध किया लेकिन बाद मेंं पार्टी केेेे लिए काम किया | आपने पूर्व में भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के लिए विभिन्न पदों पर रहकर कार्य भी किया है । लेकिन आपने अपने विधायक रहने के दौरान इस विधानसभा क्षेत्र की जनहित समस्याओं की ओर कुुुुुछ खास ध्यान नहीं दिया |

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भानु भुरिया- भानु भुरिया मूल रूप से ग्राम दातेड तहसील राणापुर के निवासी हैं आपने सन 1998 से 2003 तक विद्यार्थी परिषद के ब्लॉक संयोजक एवं प्रांतीय कार्यकारी सदस्य के रूप में सक्रिय रुप से कार्य किया | आपने 2002 से 2013 तक युवा मोर्चा में मंडल उपाध्यक्ष से जिला कार्यसमिति सदस्य के रूप में कार्य किया | 2013 से आज तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष पद पर काबिज है युवा मोर्चा में आपने करीब 35000 से अधिक सदस्य बनाए हैं युवाओं की एक बड़ी टोली आपके साथ सक्रिय रूप से कार्य कर रही है झाबुआ विधानसभा उपचुनाव में आप भी टिकट के प्रबल दावेदारों में से एक है |

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कल्याण डामोर – कल्याण सिंंह डामोर का कल्याण गुमानसिंह डामोर ही कर सकते है कल्याण सिंह पूर्व में अजजा मोर्चा के प्रदेश महामंत्री रहे | भाजपा ग्रामीण मंडल अध्यक्ष के पद पर भी कार्य किया | पूर्व में युवा मोर्चा में कार्य किया |विधानसभा चुनाव व लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के लिए सक्रिय रूप से कार्य किया | वैसे फग्गन सिंह ; रंजना बघेल के साथ साथ वत॔मान सांसद गुमानसिंह डामोर के भी बेहद करीब है । वह भी भाजपा से टिकट के प्रबल दावेदार हैं|

निर्मला भूरिया – दिवंगत आदिवासी नेता दिलीप सिंह भूरिया की बेटी एवं पेटलावद से पूर्व में विधायक रही निर्मला भूरिया को विधानसभा चुनाव के दौरान झाबुआ से चुनाव लड़ने हेतु टिकट दिया जा रहा था लेकिन वह पेटलावद से चुनाव लड़ने की बात पर अड़ी रही | उस दौरान गुमान सिंह डामोर व निर्मला भूरिया के बीच कुछ आंतरिक मतभेद भी हुए | संभावना है कि इस बार वे झाबुआ विधानसभा से टिकट की मांग करें | सूत्रों अनुसार भाजपा के कद्दावर नेता निर्मला भूरिया को टिकट देने के पक्ष में है भाजपा आलाकमान में अगर उपरोक्त दिए गए नामों पर सहमति नहीं बनी तो पेेटलावद की पूर्व विधायक निर्मला भूरिया को झाबुआ विधानसभा उपचुनाव में मैदान में उतारा जा सकता है।

विनाेद मेडा – भाजपा अगर विधानसभा उपचुनाव में टिकट देने के मामले में अगर लीक से हटकर कुछ करना चाहती है और एक युवा और ईमानदार व्यक्ति को टिकट देना चाहती है तो एक कड़े निर्णय के साथ युवा पीढ़ी को मौका देना चाहिए |इसमें सबसे युवा भाजपा नेता विनोद मेडा दावेदार है | विनोद मेडा विगत 20 वर्षों से भाजपा के कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रहे हैं वे पूर्व में भाजपा नगर मंडल के कार्यालय मंत्री रह चुके | विनोद युवा होने के साथ-साथ शहरी व ग्रामीण युवाओं की लंबी टीम इन के साथ सक्रिय रूप से जुड़ी हुई है विनोद मेडा अजजा मोर्चा के नगर अध्यक्ष पद पर कार्य कर चुके हैं साथ ही साथ में पूर्व में नगर महामंत्री भी रह चुके हैं झाबुआ विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव मैं भी विनोद मेडा ने सक्रिय रूप भाजपा का प्रचार प्रसार किया |अगर विनोद मेडा के राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें , ताे पूर्व में भाजपा के प्रदेश महामंत्री रहे व वर्तमान में प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य महेश तिवारी के दामाद हैं इसका राजनीतिक लाभ तो मिलेगा ही , साथ ही साथ मध्य प्रदेश कोर कमेटी के सदस्य व भाजपा के वरिष्ठ नेता कृष्ण मुरारी मोघे से भी अच्छे राजनीतिक संबंध हैं और वह दोनों ही शिवराज सिंह चौहान के बेहद करीबी माने जाते हैं अगर राजनीतिक समीकरण बदलते हैं तो विनोद मेडा को टिकट मिलने की संभावना है |

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