झाबुआ। प्राकृतिक संपदाओ से भरपूर, जिला झाबुआ खनिज अधिकारी की लापरवाही व निष्क्रियता से, झाबुआ की छाती को छलनी करती जा रही है। अवैध उत्खनन से झाबुआ जिला खून के आंसू रो रहा है जिले में खनन माफिया लगातार प्राकृतिक संपदाओं का खनन व दोहन कर जिले की सुंदरता को नष्ट करने के साथ-साथ शासन को राजस्व का नुकसान भी पहुंचा रहे हैं। वही जिला खनिज विभाग की कार्यशैली से माफिया खनन कर जिले को कंकाल के रूप में तब्दील करते जा रहे हैं। साथ ही जिले में अवैध रूप से ओवरलोड ट्रकों से लदी रेत का परिवहन बदस्तूर जारी है।
न नदियों की चिंता…….. ना पर्यावरण का ध्यान…… खनिज विभाग की लापरवाही.से झाबुआ जिले की नदिया से लगातार रेत का उत्खनन और पत्थरों का जमकर दाेहन हो रहा है यह खनन माफिया नदियों के शरीर को कंकाल बना रहे है जिले में एनजीटी के नियम विरुद्ध जमकर खनन व दोहन हुआ ,लेकिन खनिज विभाग की लापरवाही का आलम यह कि उनहे खनन नजर ही नहीं आता । वर्ष 2018 में केंद्रीय खनन मंत्रालय ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में माना था कि मध्यप्रदेश अवैध उत्खनन के मामले में नंबर दो पर है। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2013-14 से 17 -18 के बीच अवैध उत्खनन के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में आए। मध्यप्रदेश में भी 50249 मामले अवैध खनन के सामने आए जिसमें से मात्र 516 मामलों में एफआयआर हुई। खुद मुख्यमंत्री ने झाबुआ उपचुनाव में अपने उद्बबोधन में लगातार यहां पर माफियाओं पर कार्रवाई के आदेश प्रशासन को दिए। उसके बावजूद भी उनके आदेश को ना मानते हुए जिम्मेदार उस आदेश से बेखबर नजर आए। इसी कारण अवैध उत्खनन मामले में माफिया लगातार सक्रिय होकर जिले को खोखला करता जा रहे हैं। जिले में एनजीटी के नियम विरुद्ध पहाड़ियों को भी खाेदा जा रहा है और प्राकृतिक संपदा को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।जिले के पिपलिया और धरमपुरी के बीच अनास नदी से अवैध रेत खनन और पत्थरों का खनन लगातार जारी है।
अवैध रेत का परिवहन लगातार जारी।……. पड़ोसी जिले अलीराजपुर से भी रोजाना दर्जनों ओवरलोड रेत से भरे ट्रक जिले के सीमा में प्रवेश कर रहे हैं और जिले के गांव गांव फलिये -फलिये मे खाली हो रहे हैं और जिला मुख्यालय पर भी यह अवैध रेत के ओवरलोड ट्रैक्टर- ट्राले.आसानी से देखे जा सकते हैं जो संभवत बिना रायल्टी के होते हैं। इन ट्रकों को माफियाओं द्वारा खनिज विभाग से सांठगांठ कर जिले के कस्बाे और मुख्यालय में भेजे जा रहे हैं। जिससे शासन को राजस्व का नुकसान हो रहा है। लेकिन खनिज विभाग आंखें मूंद कर बैठा है। अब तो खनिज विभाग की उदासीनता और निष्क्रियता से जिला मुख्यालय पर एक अवैध रेत मंडी विकसित हो चुकी है। जहां पर ओवरलोड ट्रक ट्राले रोजाना रेत से भरे देखे जा सकते हैं।
जिले में रेत माफिया सूखी नदियों से सरेआम खनन कर सरेआम बाजारों में लाकर भेज रहे हैं पूर्व में खबरों के माध्यम से भी हमने यह बताना चाहा था कि खनिज विभाग के कर्मचारी ने रेत , गिट्टी भंडारण के अस्थाई लाइसेंस हेतु आवेदन प्रक्रिया के बाद स्थलों का जाकर निरीक्षण किया। नाम न बताने की शर्त पर कई आवेदन कर्ता ने बताया भी था कि उनसे अस्थाई लाइसेंस हेतु राशि की मांग भी की थी। और राशि ना देने के एवज में कार्रवाई की बात भी कही थी। इस तरह विभाग के कर्मचारी निजी स्वार्थ के लिए छोटे-छोटे रेत के ट्रैक्टर चालको से भी उगाई करने में कोई परहेज नहीं करते।