झाबुआ

मम्स संक्रमण मामले में जिम्मेदारों को बचाया जा रहा और छोटों को फंसाया जा रहा।

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मम्स संक्रमण मामले में ग्रामीण स्वास्थ्य विभाग के बी. पी. एम को हटाया

स्वास्थ्य मंत्री से शिकायत के बाद सी.एम.एच.ओ झाबुआ ने की एक तरफा कार्यवाही…..

झाबुआ- मेघनगर विकासखंड के ग्राम फुलेडी में फरवरी माह में बच्चों में मम्स राेग का संकमण मामले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा जिम्मेदारों को बचाया जा रहा है। और छोटे कर्मचारियों को फंसाया जा रहा है। जबकि इस लापरवाही में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत संपूर्ण टीम की जवाबदारी है। जबकि कारवाई सिर्फ छोटे कर्मचारियों पर ही की गई है। कहीं ना कहीं सीएचएमओ की कार्यप्रणाली भी संदेहास्पद है।

मामला यह है -/- मेघनगर विकासखंड के ग्राम फुलेडी में 9 फरवरी को 5 बच्चो में मम्स संक्रमण फेल गया था। स्कूली बच्चों में संक्रमण फैलता देख शिक्षक ने ग्राम फुलेड़ी की आशा कार्यकर्ता व एनम को सूचना दी थी। बाद में यह रोग करीब 9 से 10 बच्चों में फैल गया। 10 दिन बीत जाने के बाद भी मेघनगर राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य विभाग द्वारा डॉ. की टीम मोके पर नही पहुची थी। जिससे संक्रमण की गंभीर बीमारी अत्यधिक बच्चों में फैल जाने के कारण उक्त विभाग की घोर लापरवाही नजर आई थी ।जिसकी शिकायत ग्राम के प्रबुद्ध नागरिक जनों ने झाबुआ एक दिवसीय निजी दौरे पर आए स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट को की थी। मंत्री तुलसी सिलावट द्वारा आम ग्रामीणों के स्वास्थ्य के प्रति चिंता एवं सख्त रवैया को देखते हुए 2 दिन में जांच रिपोर्ट पेश करने के आदेश झाबुआ जिला चिकित्सा अधिकारी बी. एस. बारिया को दिए थे। जिसके बाद झाबुआ जिला चिकित्सा अधिकारी ने जांच करवाकर मेघनगर राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन विभाग के बी.पी.एम अनिल बिलवाल पर कार्रवाई करते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से पद से हटा कर अन्य जगह स्थानांतरण कर दिया। ..साथ ही संबंधित विभाग की नर्स को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। यदि नर्स द्वारा जवाब में संतुष्ट उत्तर दिया जाता है तो ठीक है नहीं तो इनकरेजमेंट , पदोन्नति कटौती की कार्रवाई जिला चिकित्सा अधिकारी द्वारा दोषी पाए जाने पर की जाएगी।

प्रश्न यह उठता है कि। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत इस लापरवाही की जवाबदारी संपूर्ण टीम की है। फिर कार्रवाई ….छोटे कर्मचारियों पर ही क्यों? जिम्मेदारों को क्यों बचाया जा रहा है और छोटों को क्यों फसाया जा रहा है? जानकारी अनुसार प्रत्येक ब्लॉक में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत टीम का चयन होता है और उस टीम की जवाबदारी होती है कि वह ब्लॉक के प्रत्येक स्कूल व आंगनवाड़ी केंद्र पर बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण करें। इसके लिए बकायदा टूर प्लान भी बनाया जाता है। इस टीम में 2 डॉक्टर,काउंसलर आदि होते थे। साथ ही इसके लिए शासन द्वारा टीम काे वाहन भी उपलब्ध कराया गया है इस तरह प्रत्येक माह.लाखों रुपए खर्च भी किए जा रहे हैं। लेकिन फिर भी संक्रमण फैलने मामले में यह टीम जागरूक ही नहीं रही। | नाम ना बताने की शर्त पर कई गांव के ग्रामीणों व बच्चों ने बताया कि सिर्फ आरबीएसके की टीम में सिर्फ एक ही डॉक्टर.आता था और दूसरा डॉक्टर महिला चिकित्सक कभी कभी ही आती थी। कई ग्रामीणों का तो यह भी कहना है कि। हमने तो प्रथमबार ही इस महिला चिकित्सक को देखा है। जो यह दर्शाता है कि महिला चिकित्सक अपने कार्य में लापरवाही करती थी। एक और हम डिजिटल इंडिया की बात कर रहे हैं। और दूसरी और जहां स्मार्टफोन गांव गांव फलिये फलिये तक पहुंच चुके हैं फिर भी मेघनगर ब्लॉक के ग्राम फुलेडी में बच्चों में मम्स राेग के संक्रमण फैलने के 10 से 12 दिन बाद यह टीम पहुंची। क्यों ? कहीं यह बीमारी स्कूल के सभी बच्चों में फैल जाती तो इसके लिए जवाबदार कौन होता …? कहीं ना कहीं यह टीम अपने कार्यों में लापरवाही के कारण ही इतने कितने दिनों बाद पहुंची | बाद में भी यह टीम अपनी जवाबदारी से पल्ला झाडती हुए नजर आई। जब इस संबंध मे स्वास्थ्य मंत्री से शिकायत की ताे जांच के आदेश दिए। तो सीएचएमओ ने कागजी खानापूर्ति करते हुए आशा कार्यकर्ता पर कार्रवाई की और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के बीपीएम पर कार्रवाई की । जब इस बारे में स्वास्थ्य विभाग के गलियाराे से जानकारी निकाली तो पता चला कि.आरबीएसके की टीम में एक महिला डॉक्टर सरिता पटेल है जो कि सुभाष बिंजारे ..(शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र )पर कार्यरत अधिकारी की धर्मपत्नी है। इसी बात का फायदा उठाकर यह महिला चिकित्सक कभी-कभार ही ड्यूटी पर जाती है। चूकि टूर प्लान के हिसाब से.ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल और आंगनवाड़ी। केंद्र पर बच्चाे के स्वास्थ्य परीक्षण हेतु जाना होता है। लेकिन यह महिला डॉक्टर कभी कभी ड्यूटी पर जाती है। बाकी सारी कागजी खानापूर्ति अन्य डॉक्टर व स्टाफ द्वारा कर दी जाती हैं। क्योंकि अधिकारी की धर्मपत्नी है। इसलिए दूसरे कर्मचारी कहने से डरते थे |मम्स राेग के संकमण मामले मे भी यह महिला डॉक्टर अपनी जवाबदारी के प्रति पल्ला झाड़ती हई नजर आई। प्रश्न यह है कि क्या कारण है कि सीएमएचओ द्वारा भी इस महिला चिकित्सक पर काई कार्रवाई क्यों नहीं की ..? क्यों सीएचएमओ इस चिकित्सक पर कार्रवाई करने से डर रहे हैं? जबकि इसके लिए संपूर्ण टीम पूर्ण रूप से जिम्मेदार है। शासन दारा लाखाे रुपए खर्च करने के बाद भी यदि इस तरह से लापरवाही सामने आती है तो संपूर्ण टीम पर कार्रवाई हाेनी चाहिए। ना की छाेटे कर्मचारियों पर । शासन प्रशासन इस ओर ध्यान देकर जिम्मेदारों पर भी कोई कार्रवाई करेगा या फिर यूं ही छोटे कर्मचारी कार्रवाई के शिकार होते रहेंगे।

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