शनिवार को चांद नजर नहीं आने के बाद मुस्लिम समाज रविवार को रमजान का 30 वा रोजा रखेगा तथा रमजान माह के 30 रोजे पूरे होने के बाद मुस्लिम समाज द्वारा लॉक डाउन 4.0 के नियमों का पालन करते हुए सोमवार को ईद मनाई जाएगी । जिला अंजुमन कमेटी के सदर नोमान खान ने बताया कि समाज द्वारा लॉक डाउन 4.0 के नियमों का पालन करते हुए सोमवार को ईद मनाई जाएगी । इस दिन मस्जिद में सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए सिर्फ 5 लोग ही ईद की नमाज अदा करेंगे । मस्जिद में ईद की नमाज होने के बाद एलान होगा जिसके बाद समाज के बाकी के लोग अपने-अपने घरों मे चार रकअत चाश्त की नमाज पढ़ेंगे । जिला सदर ने जिले की सभी मुस्लिम पंचायतों के सदर से गुजारिश है कि हम सब मिलकर लॉक डाउन के नियमों का पालन करते हुए प्रशासन की गाइडलाइन का सही तरीके से निर्वाहन करना है और जिले के सभी शहरो मे मस्जिद मे सिर्फ 5 लोगो को ही ईद की नमाज अदा करना है सभी लोग घर मे ही रहे बीना वजह घर से ना निकले। सदर ने काज़ी-ए-हिन्दुस्तान मुफ्ती मुहम्मद असजद रज़ा खाँ साहब किब्ला, बरेली शरीफ का हवाले से कहा की कोरोना वायरस की तबाह-कारीयों के सबब लॉकडाउन में पंज वक्ता नमाज़ों और जुमआ के लिए मसाजिद की हाज़री नहीं हो पा रही हैं, नमाज़े ईद भी हस्बे सादिक नहीं होती नज़र आ रही, जो निहायत ही तकलीफ़ दाँ हैं लेकिन हम माज़ूर हैं और ब-वजह मजबूरी हमें दर्ज-ज़ील (निचे दिए) शरई हिदायात पर अमल करना चाहिए: फ़तावा हिन्दीयाह में हैं, “नमाज़े ईद उन्हीं पर वाजिब हैं जिनपर नमाज़े जुमआ फर्ज़ हैं, और ईद की वहीं शर्तें हैं जो नमाज़े जुमआ के शरायत हैं सिवाय खुतबा के” [जिल्द-1 सफ़ह:150] लिहाज़ा लॉकडाउन में हुकूमत की तरफ़ से जितने लोगों को इजाज़त हैं वोह ईद की नमाज़ जमाअत से मसाजिद में या ईदगाह में अदा करें, बाकी हाज़रात के ज़िम्मा से ईद की नमाज़ साकित होगी, वोह अपने घरों में चार रकअत चाश्त पढ़ें, घरों में जुमआ और ईदैन की नमाज़ नहीं हो सकती के यहाँ ईज़ने-आम व अकामते ईद की शरायत नहीं पाई जाती। जुमआ का बद्ल शरीयत में ज़ोहर मौजूद हैं लेकिन ईद का कोई बद्ल नहीं हैं, हाँ एक रिवायत के मुताबिक जो लोग ईद की नमाज़ पढ़ने से रह जाएँ वोह चार रकअत नफ़्ल अदा कर लें, हदिसे पाक में हैं.. हज़रते अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद रदिअल्लाहु-तआला-अन्हूमा से रिवायत के उन्होंने फ़रमाया: जिसकी नमाज़े ईद छुट जाए वोह चार रकअत (नमाज़े नफ़्ल) इस तरह पढ़ें के पहली रकअत में (अलहम्द के बाद) सुरतूल आ’अला, दुसरी रकअत में सुरतूल शम्स, तीसरी रकअत में सुरतूल लैल और चोथी रकअत में सुरतूल दुहा पढे़, इसपर रसुले करीम सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम से उम्दा वादा और बेशुमार सवाब मरवी हैं। अगर कोई नमाज़े ईद पढ़ने से रह जाए तो वोह मज़कुरा तरीके पर चार रकअत नफ़्ल अदा करे जैसे चाश्त की नमाज़ पढ़ते हैं।