झाबुआ

कला,साहित्य एवं संस्कृति मंच द्वारा राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी का आयोजन

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प्रथम ऑन लाइन राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया……..


झाबुआ – कला, साहित्य एवं संस्कृति मंच द्वारा कच्छ गुजरात की कवयित्री डॉ.संगीता पाल की पहल एवं धार जिले के वरिष्ठ साहित्यकार श्रीराम शर्मा “परिंदा” के मार्गदर्शन में प्रथम ऑन लाइन राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया । कार्यक्रम का शुभारम्भ ग्रुप संचालक रचनाकार प्रदीप कुमार अरोरा द्वारा माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण, दीप प्रज्ज्वलन तथा आशुतोषजी पाल ‘आशु’ की सरस्वती वंदना के साथ किया गया ।
गोष्ठी में शामिल रचनाकारों ने जिनमे सर्वप्रथम जौनपुर उ. प्र. से श्री आशुतोषजी पाल ‘आशू’ ने बात उसकी सही नहीं जाती, फिर भी दिल की लगी नहीं जाती…. कच्छ गुजरात से डॉ संगीता पाल ने समसामयिक रचना कोरोना से कैसी मुसीबत है आई ,बेबस हुए हैं मजदूर भाई….उदयपुर राजस्थान से डॉ. रेणु सिरोया ने प्रेमगीत किसी की याद का दीपक जलाकर आज बैठी हुँ… जयपुर से तरुण सोनी”तनवीर” ने मै शांति चाहता हुँ, वे युद्ध चाहते हैं….मुम्बई से डॉ अर्चना दुबे ने जो जीवन करें समर्पित उसे इंसान कहते हैं.. भिंड से विमल भारतीय “शुक्ल” ने एक शहर था हंसता हुआ लोग अब तो डर गए…खरगोन से कांताप्रसादजी ‘कमल ने प्रेम के बिना नहीं, साथ प्रेम का सही हैं….मनावर से विश्वदीपजी मिश्र ने देखो यह कैसा मंजर है, चारों ओर कोरोना का कहर है… वरिष्ठ रचनाकार श्रीराम शर्मा “परिंदा” ने टीवी और मोबाइल नहीं था, ना पबजी का फंडा, एक हाथ में गिल्ली थी और एक हाथ में डंडा….झाबुआ से रत्नदीप खरे ने इधर हल्की नहीं रखी, उधर भारी नहीं रखी ,बराबर सबको दहशत की तरफदारी नहीं रखी… डॉ. अनिल श्रीवास्तव ने उंगलियां लट पर ना तुम यूं फेरो कभी….श्रीमती भारती सोनी ने शब्दों की अथक यात्राएं समुद्र की गहराइयों से,…. प्रदीप कुमार अरोरा ने टूटी हुई चप्पल जगह-जगह तार से बंधी हुई एवं अंत मे प्रवीण कुमार सोनी ने खबरदार हुँ मैं, पत्रकार हुँ मैं जैसी पत्रकारों के मनोभाव को दर्शाती कविता प्रस्तुत की । इस प्रकार देश के कई राज्यों से गोष्ठी में शामिल हुए रचनाकारों ने विविध विषयों पर अपनी सुंदर रचनाओं की प्रस्तुति दी । कार्यक्रम के अंत में रचनाकार और श्रोताओं का आभार ग्रुप संचालक प्रदीप कुमार अरोरा ने व्यक्त किया तथा कार्यक्रम का संचालन प्रवीण कुमार सोनी द्वारा किया गया ।

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