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झाबुआ

सरपंच -सचिव ग्राम पंचायत छापरी (रणवास )द्वारा फर्जी बिल का किया लाखों का भुगतान……

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झाबुआ- जिले की ग्राम पंचायतों में सरपंच- सचिव की मनमानी का दौर लगातार जारी है सरपंच सचिव की मनमानी का आलम यह है कि उनके द्वारा लाखों के फर्जी बिलों का भुगतान किया जा रहा है साथ ही साथ जिले के बाहर की फर्मों से शौचालय निर्माण कार्य करवाया जा रहा है और भुगतान किया जा रहा है प्रश्न यह है कि कया यह शौचालय निर्माण हुए हैं या नहीं…..? यह जांच का विषय है…..|

झाबुआ जिले की जनपद पंचायत रामा अंतर्गत ग्राम पंचायत छापरी (रणवास), सरपंच सचिव द्वारा एक ऐसी फर्म का बिल लगाया गया है जो कि बिल्डिंग मेटीरियल की सामग्री का परिवहनकर्ता है | यह फार्म ना तो किसी सामग्री की अधिकृत विक्रेता है और न ही सप्लायर है सिर्फ परिवहनकर्ता के रूप में है इस फर्म के द्वारा ना तो जीएसटी नंबर दर्शाया गया है और ना ही बिल में जीएसटी की राशि को उल्लेखित किया गया है साथ ही साथ बील जींस वाइस नहीं बनाए गए हैं याने की जिस सामग्री पर 28 प्रतिशत टेक्स है उसका बिल अलग तथा जिस सामग्री पर 5 प्रतिशत टैक्स है उसका बिल अलग |इस प्रकार जींस वाइस बिल बना कर दर्शाया जाना था | इसके अलावा जिस माह में यह बिल प्रस्तुत किया गया तथा सीमेंट प्रति बैग ₹350 की दर से खरीदी की गई | दिसंबर 2019 में सीमेंट प्रति बैग ₹315 मे बाजार में उपलब्ध हो रही थी लेकिन बिल में ₹350 प्रति बैग राशि दर्शाई गई है जो कि करीब ₹35 प्रति बैग अधिक है | इस तरह सरपंच सचिव द्वारा फर्जी बिल प्रस्तुत कर बाजार भाव से अधिक दामों में सामग्री खरीदी कर, शासन को शासन को चूना लगाया गया |और सबसे बड़ी बात की बील तो श्री राज ट्रेडर्स कालीदेवी का लगाया गया है और भुगतान हरिसिंह परमार के नाम से किया गया है जबकि नियमानुसार बिल अनुसार फर्म के नाम पर भुगतान किया जाना था |

इसके अलावा सरपंच सचिव द्वारा मनमानी पूर्वक कार्य करते हुए शौचालय निर्माण की राशि ,ठेकेदार को भुगतान कर दी |जबकि जिला प्रशासन द्वारा यह प्रयास किया जाता है कि गांव के मजदूरों को गांव में ही रोजगार प्राप्त हो , ताकि उन्हें रोजगार की तलाश में पलायन न करना पड़े |इसके अलावा हमारे जिले मे कुशल, अकुशल व पूर्ण रूप से कुशल श्रमिकों की भरमार है हमारे यहां के श्रमिक राजस्थान, गुजरात , महाराष्ट्र आदि अन्य प्रदेशों में कार्य के लिए जाते हैं बड़े बड़े उद्योगों में कुशलतापूर्वक कार्य भी कर रहे हैं कई बार इनके ना होने से उद्योगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है लेकिन हमारे जिले के ग्राम पंचायत छापरी रणवास में , ग्राम के लोगों को रोजगार का अवसर न देते हुए बाहर के ठेकेदारों को अवसर दिया और शौचालय निर्माण की राशि उनके खाते में जमा की |जबकि संभवत: शौचालय निर्माण की राशि हितग्राही के खाते में जमा करनी होती है लेकिन यहां पर सरपंच सचिव की मनमानी से ठेकेदारों को भुगतान की गई |प्रश्न यह है कि बिल में 19 हितग्रहीयाे के शौचालय निर्माण होना दर्शाया गया है लेकिन हितग्राहियों द्वारा इस बिल पर किसी तरह का वेरिफिकेशन नहीं दिया गया है तो किस आधार पर इस फर्म को भुगतान किया गया है …?? प्रश्न यह भी है क्या वास्तव में यह शौचालय निर्माण हुए भी है या नहीं …?…. यह जांच का विषय है |क्या शासन प्रशासन इस ओर ध्यान देकर इस तरह के ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव के द्वारा प्रस्तुत किए जा रहे हैं फर्जी बिलों की ओर ध्यान देकर कोई कार्रवाई करेगा या फिर यह सरपंच सचिव यू ही मनमानी कर फर्जी भुगतान करते रहेंगे |

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