झाबुआ। पहले तो गांव के ग्रामीण कच्चे मार्ग को पक्की सड़क बनाने के लिए प्रशासन को आवेदन देकर गुहार लगाते हैं, प्रशासन के बाद फिर नेता नगरी को सड़क बनाने के लिए गुहार लगाते फिरते हैं, ऐसा करते हुए गांव के ग्रामीणों द्वारा सड़क निर्माण की मांग करते हुए कई साल बीत जाते हैं और बड़ी मुश्किल से मांग पूरी होने के बाद सड़क बनाने की स्वीकृति मिलती है, ग्रामीणों की मांग पर सरकार लाखों रुपए सड़क निर्माण के लिए स्वीकृत करती है लेकिन सड़क निर्माण से पहले ही ठेकेदार और अधिकारियों के बीच सदभाव का प्लान तैयार हो जाता है और लाखों रुपए की राशि का बंदरबाट कर गुणवत्ताहीन सड़क बनाकर कागजों पर बेस्ट सड़क बताकर सड़क निर्माण कर लिया जाता है। शासकीय कागजों पर बेस्ट सड़क दिखती है वही जमीनी धरातल पर वहीं सड़क गारंटी की समया अवधि में ही भ्रष्टाचार की मारी नजर आती है। ऐसा ही मामला झाबुआ से 5 किमी दूर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना द्वारा भोयरा रोड से महुरी डुगरी रोड़ पर देखने को मिल रहा है, जो सड़क गारंटी अवधि में ही जगह-जगह से खस्ता हाल नजर आ रही है, जिस पर राहगीरों का निकलना दुश्वार हो चला है। ग्रामवासी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से लेकर ठेकेदार को कोनसे से नही चुक रहे हैं। सड़क की गारंटी जनवरी 2026 तक 2024 में ही हो हुई गायब प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत बनाई गई सड़क जिसके रोड किनारे चस्पा जानकारी के अनुसार मार्ग का नाम भोयरा रोड से महुरी डुगरी लम्बाई 1.72 कि.मी, मार्ग की लागत 19.07 लाख, गारंटी अवधि की पूर्णता 3 जनवरी 2026, आगामी पांच वर्षो हेतु संधारण, रखरखाव कार्य का विवरण, मप्र शासन के ग्रामीण विकास विभाग द्वारा वित पोषित, रखरखाव कार्य हेतु नियुक्त ठेकेदार श्री कंस्ट्रवशन राजकोट (गुजरात) पैकेज क्रमांक एमपी 19 पीटी 022, कार्य प्रारभ तिथि 4 जनवरी 2021, कार्य पूर्णता 3 जनवरी 2026, पांच वर्षों के रखरखाव कार्य की लागत 4.61 लाख, कियान्वयन एजेंसी महाप्रबंधक मप्रग्रासविप्राधि परि क्रिया इकाई झाबुआ अंकित है, जबकि जानकारी अनुसार सड़क निर्माण कार्य तिथि 4 जनवरी .2021 में प्रारंभ हुआ और अभी वर्ष 2024 चल रहा है, इस साल को खत्म होने में भी डेढ माह से अधिक का समय शेष है, वही सड़क की गारंटी दिनांक 3 जनवरी 2026 तक है और 2026 आने में करीब 14 माह का समय बाकी है, उसके पहले ही सड़क अपना अस्तित्व भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने के कारण खो चुकी है। सड़क गारंटी समय में ही हो गई गायब प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना द्वारा बनाया भोयरा रोड से महुरी डुगरी रोड़ जिसकी लम्बाई 1.72 कि.मी है और उसका निर्माण 19.07 लाख की लागत से किया है, लाखों की राशी खर्च कर बनाई सड़क गारंटी अवधि मंें ही सड़क बनाने का नमोनिशान खत्म होता दिखाई दे रहा है और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी सड़क पर सड़क से गुजरते समय लगता है कि कभी सड़क बनी भी थी या नहीं…? रोड से निकलने वाले वाहन चालक विकास मेड़ा व दिलीप भूरिया ने बताया कि यह रोड बनी उसके बाद हुई पहली बारिश में ही रोड खस्ता हाल हो गया। ग्रामवासियों द्वारा कई बार शिकायत करने के बाद थोडा बहुत रिपेरिंग कार्य हुआ, लेकिन जगह-जगह से रोड उखड चुकी है। हमारे गांव वालों का दो पहिया वाहन से रोजाना झाबुआ आना जाना इसी रोड से होता है लेकिन इस रोड पर बड़ी सावधानी से निकालना पड़ता है कभी भी जर्जर रोड की वजह से दुर्घटना का हमेशा भय बना रहा है। सड़क बनाने वाले अधिकारी और ठेकेदार ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी खराब सड़के बनाकर मलाई सुतने में लगे हुए हैं और यहां वाहन चालक से लेकर पैदल तक निकलने वाले ऐसी खराब सड़कों की वजह से जान जोखिम में डालकर निकल रहे हैं, लेकिन उन्हें लोगों की जान की चिंता नही है, इसीलिए ऐसे घटिया निर्माण कर रहे है। ग्रामीण लगा रहे घोटाले के आरोप भोयरा रोड़ से महुरी डुगरी आये दिन निकलने वाले ग्रामीण राजेश वसुनिया, कसना, अनिल भूरिया व पूर्व पंच का आरोप है कि घटिया सड़क बनाकर ठेकेदार और विभाग ने शासन की राशि का गलत उपयोग किया है, इसकी जांच होना चाहिए और और भ्रष्ट लोगों पर कड़ी कार्रवाई होना चाहिए, ना कोई सड़क की सही ढंग की मोटाई बनाई और ना हीं आइड साइड की किनोरे सही बनाई, जगह-जगह से टूट-फूट होकर कुछ ही समय में सडक जर्जर हो गई, इस सड़क से निकलना मतलब मौत को दावत देने जैसा है। ऐसे लोगों पर तो कड़ी कार्रवाई होना चाहिए, जिससे इस तरह के घोटालेबाजों का सबक मिल सके और इस तरह घटिया सडक बनाने का कोई अन्य व्यक्ति साहस ना कर सके। सड़क बनाने के पहले निर्धारित होते हैं मापदंड सड़क बनाने के नाम पर किस तरह से भ्रष्टाचार किया जाता है. इसका अंदाजा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना द्वारा भोयरा रोड से महुरी डुगरी तक बनाये गये रोड़ पर इसका जीता जागता उदाहरण भ्रष्टाचार का दिखता है, यहां कुछ वर्ष पहले बनी सड़क अपनी इस दशा पर आंसू बहाते दिख रही है। ग्रामीण सड़क हो या शहरी उसके लिए विभाग पहले से ही मापदंड निर्धारित कर देता है उसमें कौन सी क्वालिटी की सीमेंट, गिट्टी, डामर, कौन सी रेत व अन्य सब कुछ निर्धारित मापदंड के आधार पर रहता है, जैसे तय मापदंड के मुताबिक सड़क पर कितने इंच का डामर होना है लेयर में बिछाने का प्रावधान है, कोैन सी कांक्रीट बिछाई जानी है, गिट्टी के साथ डामर कितना होना है, अच्छे से रोलिंग किया जाना होता है, सड़क का थिकनेस कितने इंच का होना है, डामर वाली सड़क पर कार्पेट लेयर का काम करना होता है, वही अनेकों कार्य कर सड़क निर्माण कार्य बेहतर करना होता है। लेकिन यदि ठेकेदार और विभाग मापदंड के आधार पर बेस्ट काम करने लग जाए तो इस प्रकार की घटिया सड़कें बने ही नहीं.! लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता ? यह सिर्फ कागजों और कम्प्युटर स्क्रीन पर ही अच्छा लगता है जमीनी धरातल पर देखा जाए तो भ्रष्टाचार की इन कार्यों में बु सुनाई देती है। अब देखना यह है कि उक्त सडक की रिपेरिंग होती है या मार्ग से गुजरने वाले ग्रामीण भाई बहनों को आगे भी अपनी जान जोखिम में डालकर सडक से गुजरना होगा ?
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