हनुमान जी की कथा हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और प्रेरणादायक मानी जाती है। वे भगवान शिव के रुद्रावतार और भगवान श्रीराम के परम भक्त हैं। उनकी जीवन गाथा वाल्मीकि रामायण, तुलसीदास रचित रामचरितमानस और अन्य ग्रंथों में विस्तृत रूप से वर्णित है।
हनुमान जी का जन्म
हनुमान जी का जन्म अंजना और केसरी के पुत्र के रूप में हुआ। वे वानरराज केसरी और माता अंजनी के पुत्र थे, इसलिए उन्हें “आंजनेय” भी कहा जाता है। यह भी कहा जाता है कि वे स्वयं भगवान शिव के अवतार हैं और वायुदेव के आशीर्वाद से उत्पन्न हुए थे, इसलिए वे “पवनपुत्र” कहलाते हैं।
बाल्यकाल की घटनाएँ
बाल्यकाल में हनुमान जी अत्यंत बलशाली और चंचल थे। एक बार उन्होंने सूर्य को एक लाल फल समझकर निगलने का प्रयास किया, जिससे संपूर्ण ब्रह्मांड में अंधकार छा गया। इस पर देवताओं ने इंद्र से सहायता मांगी, और इंद्र ने वज्र से हनुमान जी पर प्रहार किया, जिससे वे मूर्छित हो गए। तब वायुदेव ने क्रोधित होकर सृष्टि में वायु प्रवाह रोक दिया। तब सभी देवताओं ने मिलकर हनुमान जी को अनेक वरदान दिए, जिससे वे महाबली, अमर और अजेय हो गए।
हनुमान जी और श्रीराम
हनुमान जी ने श्रीराम के वनवास काल में सुग्रीव की सहायता की और पहली बार श्रीराम से उनकी भेंट ऋष्यमूक पर्वत पर हुई। वे श्रीराम के परम भक्त बने और सीता माता की खोज के लिए लंका गए।
लंका विजय और रामसेतु निर्माण
हनुमान जी ने रावण की अशोक वाटिका में माता सीता का पता लगाया और उन्हें श्रीराम का संदेश दिया। उन्होंने रावण को भी चेताया, पर जब रावण नहीं माना, तो अपनी पूंछ में आग लगवाकर लंका दहन कर दिया। श्रीराम की सेना जब समुद्र पार नहीं कर पा रही थी, तब नल-नील के साथ मिलकर रामसेतु निर्माण में भी हनुमान जी की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
राम-रावण युद्ध में योगदान
राम-रावण युद्ध में हनुमान जी ने कई चमत्कार दिखाए। जब लक्ष्मण मूर्छित हो गए, तो वे संजीवनी बूटी लाने के लिए हिमालय गए और पूरा पर्वत उठा लाए, जिससे लक्ष्मण पुनः जीवित हो सके।
अमरता और भक्ति
रामजी के अयोध्या लौटने के बाद हनुमान जी उनके साथ ही रहे। जब श्रीराम ने पृथ्वी छोड़कर वैकुंठ जाने का निर्णय लिया, तो हनुमान जी ने प्रार्थना की कि वे यहीं रहकर सदा राम कथा का गुणगान करें। श्रीराम ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया।
हनुमान जी की उपासना
हनुमान जी को संकटमोचन, अंजनीसुत, पवनपुत्र, महावीर, बजरंगबली आदि नामों से जाना जाता है। हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, बजरंग बाण आदि का पाठ करने से भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त होती है।
हनुमान जी की कथा से हमें भक्ति, सेवा, शक्ति और समर्पण का संदेश मिलता है।
दिव्य दरबार
श्रीधर बैरागी, रतलाम जिले के गडावदिया बालाजी महाराज के परम उपासक हैं, जिन्होंने झाबुआ जिले के झकनावदा क्षेत्र में 17 और 18 अक्टूबर को श्री हनुमंत कथा एवं दिव्य दरबार का भव्य आयोजन किया। इस आयोजन में उन्होंने भक्तों को श्री हनुमान जी की कथा का श्रवण कराया और दिव्य दरबार में भक्तों के नाम से पर्चे खोलकर उनकी समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया। इस दौरान, उन्होंने भक्तों के नाम और उनके परिवार के सदस्यों के नाम मंच से बताए, जिससे उपस्थित श्रद्धालु अचंभित हो गए और बालाजी महाराज के जयकारे लगाने लगे। दो दिवसीय इस आयोजन में लगभग 50 भक्तों की बालाजी ने अर्जी स्वीकार की। आयोजन के अंत में महाआरती उतारी गई और प्रसाद वितरण किया गया।
दिव्य दरबार सांरगी व थांदला मै भी लग चुके है
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