50 वें श्री गीता जयंती महोत्सव में चारभूजानाथ मंदिर में त्रिदिवसीय गीता पाठ महोत्सव का हुआ समापन
झाबुआ । जिंदगी की हर परेशानी को दूर करने और बेहतर जिंदगी के लिए गीता जयंती का दिन बेहद खास माना जाता है. दरअसल, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी यानी कि मोक्ष वाली एकादशी कहा जाता है।. इस दिन को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है. इसी एकादशी पर भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था.। श्रीमद्भागवत गीता एकमात्र ऐसा ग्रंथ हैं, जिसकी जयंती मनाई जाती है, बाकी सभी ग्रंथों को मनुष्य द्वारा संकलित करा गया है। वहीं गीता के उपदेश साक्षात नारायण के अवतार भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से सामने आए हैं, ऐसे में गीता को महाग्रंथ का दर्जा दिया जाता है । उक्त बात दशा नीमा समाज द्वारा आयोजित श्री चार भूजा नाथ मंदिर में 12 से 14 दिसम्बर यानी मोक्षदा एकादशी के अवसर पर आयोजित 50 वें गीता जयंती समारोह के अवसर पर श्रीमद भगवद गीता के पाठ के दौरान पण्डित विश्वनाथ शुक्ला ने उपस्थित श्रद्धालुओं को व्यक्त किये । श्री शुक्ला ने कहा कि गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी वाले दिन श्रीमद्भागवद् गीता के साथ भगवान कृष्ण और महर्षि वेदव्यास की भी पूजा-अर्चना की जाती है। गीता के उपदेशों के जरिए भगवान ने जीवन का संपूर्ण सार बताया है। गीता के ज्ञान से हम धैर्य, दुख, लोभ व अज्ञानता से बाहर आते हैं. गीता मात्र ग्रंथ नहीं है, बल्कि अपने आप में संपूर्ण जीवन है। मान्यता है कि गीता जयंती के दिन श्रीमद्भागवत गीता के दर्शन मात्र से ही पुण्य की प्राप्ति हो जाती है। इस दिन गीता के श्लोकों को पढ़ा जाता है. इसका पाठ करने के लिए वाचन के पूर्व जन्म के दोष दूर हो जाते हैं। श्री चार भूजा नाथ मंदिर में सायंकाल 7 बजंे से 12 से 14 दिसम्बर तक गीता जयंती मोक्षदा एकादशी पर गीता जयंती समारोह समिति द्वारा श्री गीताजी का पाठ का अभिनव आयोजन किया गया । प्रतिदिन मां गीताजी की पूजा आराधाना विधिवत सम्पन्न की गई तथा उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रसादी का वितरण किया गया । मोक्षदा एकादशी के अवसर पर श्री गीता जयंती समारोह का समापन रात्री में किया गया । इस अवसर पर गीता श्लोकों के सामवेत पाठ के साथ हीमां गीीताजी की शास्त्रोक्त मंत्रों के साथ पूजा अर्चना की गई । पण्डित विश्वनाथ शुक्ला ने इस अवसर पर गीताजी के माहत्म्य पर उदबोधन दिया । इस अवसर पर श्री हरिश शाह, शेषनारायण मालवीय, कन्हैयालाल राठौर, सुधीर तिवारी, छोगालाल मालवीय, राजेन्द्र सोनी, रमेश मालवीय, शारदाबेन शाह, ज्योति शाह, श्रीमती तिवारी, शशिकांत वरदिया, श्रीमती शिवकुमारी सोनी, लाला शाह, ललीत शाह, जय प्रकाश शाह, पुरूषोत्तम चौहान सहित बडी संख्या में वुरूष एवं महिला श्रद्धालुजनों ने सहभागिता की । महामंगल आरती के बाद प्रसादी का वितरण किया गया ।
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