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झाबुआ

झाबुआ के फूल धावड़ी गांव में 45 आदिवासियों द्वारा ईसाई धर्म छोड़कर आदिवासी संस्कृति में घर वापसी की गई

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झाबुआ – झाबुआ के .फूलधावडी गांव के 5 परिवारों से आने वाले 45 आदिवासियों द्वारा पूर्व में अपने द्वारा अपनाया गया ईसाई धर्म छोड़कर वापस आदिवासी संस्कृति को अंगीकार किया गया। घर वापसी के आयोजन के संदर्भ में जानकारी देते हुए आदिवासी समाज सुधारक संघ एवं आदिवासी धर्म रक्षा समिति की ओर से पुना महाराज द्वारा बताया गया कि फूल धावड़ी गांव में निवासरत जोगड़ी बाई पति पंगु एवं उनके परिवारों द्वारा बीमारी का इलाज करवाने के प्रलोभन में आकर आदिवासी संस्कृति छोड़ ईसाई धर्म अपना लिया गया था। इन लोगों ने समाज द्वारा दी गई समझाइश के बाद अपने साथ हुए षड्यंत्र का एहसास होने के उपरांत घर वापसी करने का निर्णय लिया। घर वापसी करने वाली जोगड़ी बाई के अनुसार उसके तीन बेटों के एक के बाद एक शांत हो जाने के चलते उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ गई। इसके उपरांत जब अपने पोतों की तबीयत बिगड़ते देखी तो लाचार होकर संपर्क में आए कुछ धर्म प्रचारको की बातों में आकर उपचार करवाने के लिए ईसाई धर्म अपना लिया। आदिवासी संगठन के संरक्षक आजाद प्रेम सिंह डामोर के अनुसार गरीब एवं अशिक्षित आदिवासियों को इलाज करवाने से पहले ईसाई धर्म अपनाने पर ईसाई मिशनरी के लोग मजबूर करते हैं, दशकों से झाबुआ जिले में मुफ्त शिक्षा और वैज्ञानिक तरीके से किए जाने वाले उपचार, मुफ्त गाड़ी एवं धन का प्रलोभन एवं लालच देकर अशिक्षित आदिवासियों का धर्मांतरण विधि विरुद्ध तरीके से करवाया जा रहा है। घर वापसी करने वाले परिवारों की आपबीती दुखद है एवं झाबुआ जिले में गरीब आदिवासियों की स्वास्थ्य से जुड़ी मजबूरी का लाभ उठाकर ईसाई मिशनरी आस्था से खिलवाड़ का षड्यंत्र संचालित कर रही है। इस विषय को गंभीरता से लिया जाएगा एवं माननीय राष्ट्रपति महोदय एवं मुख्यमंत्री महोदय के नाम ज्ञापन सौंपकर सर्व आदिवासी संगठनों द्वारा ईसाई मिशनरियों के खिलाफ निर्णायक आंदोलन का आगाज किया जाएगा। जब तक अवैध धर्मांतरण की गतिविधियां समाप्त नहीं होती तब तक क्षेत्र में वामपंथी एवं जातिवादी संगठन फलते फूलते रहेंगे जिससे सांप्रदायिक सौहार्द लगातार भंग होता रहेगा। शांति व्यवस्था एवं समरसता बनाए रखने के लिए धर्मांतरण मुक्त झाबुआ की परिकल्पना को साकार करना एकमात्र विकल्प होना बताया। आयोजन के घटनाक्रम की जानकारी देते हुए कमल सिंह महाराज द्वारा बताया गया कि सर्वप्रथम घर वापसी करवाने हेतु हवन कुंड में आहुति दिलवाकर सभी 45 लोगों की शुद्धि कराई गई, जिसके उपरांत बॉबी माता के मंदिर में ध्वज चढ़वाया गया , अंत में घर वापसी करने वाले परिवार के घर,गांव के सभी लोगों द्वारा भोजन ग्रहण कर, परिवार को पुनः अपने समाज में शामिल किया गया।

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