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झाबुआ

आओ पता लगाएं :- आखिर क्यों अवैध शराब माफियाओं और आनंद में हैं…फेविकोल का मजबूत जोड़..?

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झाबुआ :- जिले को अवैध शराब माफियाओं ने अपना घर बना लिया है और अब तो यह शराब माफिया जिले में अवैध शराब परिवहन कर दिन दुगनी रात चौगुनी विकास कर रहे हैं और प्रशासनिक कार्यवाही को लेकर आनंद पूर्ण रूप से.सहयोग कर माफियाओं को सुरक्षित कर रहा है और कागजी खानापूति हेतु छोटे-छोटे केस बनाकर , खानापूर्ति कर अपना भी आर्थिक विकास कर रहा है । आओ पता लगाएं :- आखिर क्यों अवैध शराब माफियाओं और आनंद में है ….फेविकोल का मजबूत जोड़ हैं…….?

आदिवासी बाहुल झाबुआ जिला जो कि गुजरात और राजस्थान की सीमा पर बसा हुआ है और साक्षरता के मामले में भी जिला पिछड़ा हुआ है वहीं जिले के गांव फलियों में अवैध रूप से शराब दुकान आसानी से देखी जा सकती है अशिक्षा और शराब माफियाओं के चलते जिला आज भी पिछड़ेपन का शिकार है जिला अवैध शराब माफियाओं के लिए मानो स्वर्गस्थली बना हुआ है जहां दिन के उजाले में और रात के अंधेरे में भी दो पहिया, तीन पहिया, चार पहिया वाहनों से आसानी से अवैध शराब गांव-गांव फलिये फलिये, किराना दुकानों तक और अवैध शराब के अड्डों तक बहुत आसानी से अवैध शराब को उपलब्ध करा रहे हैं.। एक तरफ तो गुजरात में शराब प्रतिबंध है वहीं दूसरी ओर गुजरात के सबसे निकटतम झाबुआ जिले से गुजरात राज्य में अवैध शराब का परिवहन सतत जारी है जिले की सीमा से गुजरात राज्य की ओर रोजाना अनेक वाहन शराब भरकर जा रहे हैं जिले में कई होटलों और ढाबों पर अवैध रूप से शराब जमकर परोसी जा रही है और इस सुलभता के कारण ही जिले के ग्रामीण युवा शराब की आगोश में आकर अपना भविष्य बिगाड़ रही है । एजेंट आनंद के संरक्षण में अवैध शराब माफियाओं की चांदी ही चांदी है वास्तविकता तो यह है कि अवैध शराब का अवैध कारोबार ठेकेदार का ही फंडा है ठेकेदार जो शराब का ठेका लेता है उस क्षेत्र में दर्जनों दुकान चलाता है कतिपय ढाबे वाले, होटल वाले, चाय की दुकान वाले , किराना दुकान की आड़ में , पान की दुकान की आड़ में आदि अनेक प्रकार से अवैध शराब का कारोबार होता है और यह अवैध शराब का व्यापार बिना पुलिस और आबकारी विभाग की निष्क्रियता के संभव नहीं है और इसी बात का फायदा उठाकर अवैध शराब माफिया जिले के गांव फलियों में बहुत आसानी से पहुंच कर अवैध शराब उपलब्ध करा रहे हैं वही पिटोल , वटठा गांव की आबादी के अनुरूप करोड़ों रुपए में शराब का ठेका इस बात का जीता जागता सबूत है कि किस प्रकार अवैध शराब माफिया जिले में कार्य कर रहे हैं और यह शराब माफिया जो कि बॉर्डर के पास की दुकानों की आड मे गुजरात में अवैध शराब को वाहनों के माध्यम से बहुत आसानी से उपलब्ध करा रहे हैं । और इन्हीं बातों का फायदा उठाकर अवैध शराब माफिया 3 से 4 गुना अधिक राशि में मोदी के गुजरात में अवैध शराब उपलब्ध करा रहे हैं । और इन सब के लिए आबकारी विभाग और पुलिस विभाग की निष्क्रियता आवश्यक है वही इस तरह के अवैध कारोबार के लिए अवैध शराब माफियाओं द्वारा एजेंट आनंद का पूर्ण सहयोग लिया जा रहा है जो जिले में तो सहयोग कर ही रहा है साथ ही साथ मोदी के गुजरात में भी अवैध शराब को पहुंचाने के लिए इन माफियाओं से सोना चांदी के सिक्के लेकर मदद भी कर रहा है । साथ ही साथ एजेंट आनंद छोटे-छोटे केस बनाकर शासकीय खानापूर्ति करने में भी मदद कर रहा है । इस तरह अवैध शराब माफिया और आनंद एक दूसरे को सहयोग करके मजबूत हो रहे हैं और इनकी जोड़ी फेविकोल से भी मजबूत होती जा रही है । विगत कई वर्षों से इस जिले में कार्य कर रहा है यह एजेंट आनंद अब तो जिले के अवैध शराब व्यापारियों के लिए किसी मंत्री से कम नहीं , जो पुलिस कार्रवाई से भी बचाता है और आबकारी विभाग की कार्रवाई से भी बचाता हैं । आखिर इस एजेंट आनंद को किसका संरक्षण प्राप्त है जो जिले में अवैध शराब व्यापारियों को मदद भी कर रहा है और जिला आबकारी अधिकारी को इसकी भनक तक भी नहीं लगने दे रहा है । जिले में अवैध शराब की आसानी से उपलब्धता को लेकर विगत दिनों ही जयस संगठन ने भी अपना विरोध दर्ज कराते हुए कलेक्टर के नाम अनुविभागीय अधिकारी झाबुआ को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें इन अवैध शराब माफियाओं को लेकर कार्यवाही की बात भी कही गई। अब तो यह कहने में भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि झाबुआ जिले में अवैध शराब व्यापारियों को यदि कार्य करना है तो बिना एजेंट आनंद की सहमति के संभव नहीं है और यदि वह करता भी है तो उसे सब तरह की कार्रवाई के लिए तैयार रहना हैं । अब तो चर्चा चौराहों पर चल पड़ी है कि आखिर क्यों अवैध शराब माफियाओं और एजेंट आनंद में है फेविकोल का मजबूत जोड़….?

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