पेसा कानून के जनक स्वर्गीय श्री दिलीप सिंह जी भूरिया की सातवीं पुण्यतिथि मनाई गई
स्व. सांसद भूरियाजी को स्मरण कर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धासुमन अर्पित किये ।
झाबुआ । आदिवासियों के मसीहा, आदिवासी समाज के उत्थान और सर्वांगीण विकास के लिए जीवन भर संघर्ष करने वाले दिलीप सिंह भूरिया की सातवी पुण्यतिथि आज उनकी दिलीप गेट स्थित प्रतिमा पर समारोह पूर्वक मनाई गई। इस अवसर पर विभिन्न सामाजिक संस्थाओं एवं राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों ने उन्हें अपने श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्री भूरिया को याद किया ।
इस अवसर पर भाजपा जिला अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह नायक ने कहा कि वे विद्यार्थी जीवन से भूरिया जी को देखते आ रहे उनकी संगठन क्षमता और कार्यकर्ताओं के लिए सहज रूप से उपलब्धता, उनकी लोकप्रियता रही । इसी कारण वे सरपंच से लेकर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के अध्यक्ष तक निर्वाचित हुए। पूर्व जिला अध्यक्ष शैलेश दुबे ने भूरिया जी को याद करते हुए कहां की दिलीप सिंह भूरिया छोटे से ग्राम माछलियां में जन्म लेकर राष्ट्रीय राजनीति में सिरमौर रहे , सहकारिता जगत के जानेमाने नेता भूरिया जी प्राथमिक सहकारी समिति से राष्ट्रीय सहकारी संघ एवं अंतर्राष्ट्रीय सहकारी संघ के उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए । श्री भूरिया ने आदिवासी हितों के लिए अनेक कानून बनाएं जिनमें आदिवासी समाज सशक्त हुआ है । इस अवसर पर पूर्व विधायक शांतिलाल बिलवाल ने कहा कि भूरिया जी की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा 24 अप्रैल 1996 को पेसा कानून बनाया गया जिसके तहत ग्राम सभाओं को व्यापक अधिकार दिए गए ग्राम सभा को भूमि अधिग्रहण पुनर्वास काम की शक्तियां दी गई वहीं खनिजों के लाइसेंस पट्टा देना अधिसूचित क्षेत्रों में स्थानीय संस्थाओं में जनजाति के व्यक्तियों को स्थान दिया गया, खनिज संपदा लघु वनोपज सुरक्षा संरक्षण का अधिकार ग्राम सभाओं को दिया गया ऐसा कानून लाकर भूरिया जी ने ग्रामसभा को सशक्त किया एवं अधिसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों की सरकार बनी। श्री बिलवाल ने कहा कि ग्राम सभा में आदिवासी समाज की परंपरा और रीति रिवाज संस्कृति पहचान के आधार पर समुदाय के संसाधन और विवादों के निपटारे के लिए सक्षम बनाया गया इसी एक्ट के तहत स्थानीय संस्थाओं में आदिवासी वर्ग के लोगों को अधिकार दिए गए पूर्व जिलाध्यक्ष दौलत भावसार ने कहा कि दिलीप सिंह भूरिया देश के कद्दावर आदिवासी नेता रहे एवं उन्होंने आदिवासी विकास के लिए आजीवन संघर्ष किया क्षेत्र की पूर्व विधायक और दिलीपसिंह जी की पुत्री निर्मला भूरिया ने कहां की भूरिया जी आखरी सांस तक आदिवासियों के हित के लिए क्षेत्र के विकास के लिए संघर्ष करते रहे उन्होंने उनके विकास और अधिकारों के लिए अनेक कानून बनाएं जिससे देश के आदिवासियों को व्यापक अधिकार मिले एवं उनका विकास हुआ है। क्षेत्र के विकास के लिए भूरिया जी लगातार प्रयासरत रहे आज दिवंगत भूरिया जी के कारण क्षेत्र में हरित क्रांति दिखाई दे रही है श्री भूरिया के प्रयासों से तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 28 वर्षों से बंद पडी माही सिंचाई परियोजना को भूरिया जी के निवेदन पर त्वरित सिंचाई योजना में स्वीकृत कर क्षेत्र के विकास को नई गति दी है । इस अवसर पर आदिवासी चेतना शिक्षण समिति, बचपन बचाओ आन्दोलन, जय भील जाग्रति समिति, अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार काउसिंल सहित अनेक संस्थाओं अनेक वक्ताओं ने भूरिया जी को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए दिलीपसिह भूरिया अमर रहे जब तक सूरज चांद रहेगा भूरिया जी का नाम रहेगा के नारे लगाये । इस अवसर पर भाजपा जिला अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह नायक, शांतिलाल बिलवाल ,शैलेश दुबे, भानु भूरिया, दौलत भावसार, बालू भूरिया, यशवंत भंडारी, विजय नायर, प्रवीण सुराणा, अंकुर पाठक, पेटलावद नगर पंचायत अध्यक्ष मनोहर लाल भटेवरा, हेमंत भट्ट, संजय कहार ,जितेन्द्र मेहता, बेनेडिक डामोर, रामप्रसाद वर्मा, महेन्द्रसिहं भूरिया, सहित अनेक ग्रामीण जनप्रतिनिधि एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।