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RATLAM

चित्त की वृत्तियों को अनुशासित करना ही योग है- चन्दनमल घोटा योग के अनुसार, जिसका मन रोगी व कमजोर है, उसका शरीर भी अवश्य रोगी व कमजोर होगा-डा. रवीन्द्र उपाध्याय। तनाव चाहे भावनात्मक हो या मानसिक, यह हमारी पीयूष ग्रंथि को प्रभावित करता है-डा.पवन मजावदिया । योग परिवार ने दीवाली मिलन समारोह का किया आयोजन ।

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चित्त की वृत्तियों को अनुशासित करना ही योग है- चन्दनमल घोटा
योग के अनुसार, जिसका मन रोगी व कमजोर है, उसका शरीर भी अवश्य रोगी व कमजोर होगा-डा. रवीन्द्र उपाध्याय।
तनाव चाहे भावनात्मक हो या मानसिक, यह हमारी पीयूष ग्रंथि को प्रभावित करता है-डा.पवन मजावदिया ।
योग परिवार ने दीवाली मिलन समारोह का किया आयोजन ।

 

रतलाम । आमतौर पर लोग यह स्वीकार ही नहीं करते कि उन्हें कोई मानसिक समस्या है। यही वजह है कि समय पर उपचार न होने के कारण तनाव, अवसाद, अनिद्रा, याददाश्त खोना या अधिक खाना जैसी समस्याएं बढ़ती जाती। एक शोध में ध्यान व आसन दोनों ही रूपों में योग का मानसिक समस्याओं पर सकारात्मक असर देखा गया है। शोध में मानसिक सेहत के लिए सप्ताह में 3 बार, 30 मिनट तक योग करने की सलाह दी गई है। उक्त उदबोधनगर के प्रसिद्ध योगाचार्य,आयुर्वेद शिरोमणी श्री चन्दनमल जी घोटा ने रविवार को ब्राह्मण बोर्डिग हाउंस मेेंप्रातः 8 बजे आयोजित योग परिवार के सदस्यों को आयोजित दीपावली मिलन समारोह मे सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये । श्री घोटा ने योग के महत्व को बताते हुए कहा कि चित्त की वृत्तियों को अनुशासित करना ही योग है। मन में असीम शक्ति है, पर सबसे अधिक दुरुपयोग हम इसी शक्ति का करते हैं। इससे 95 प्रतिशत मानसिक शक्ति व्यर्थ चली जाती है। मन जितना शक्तिशाली होता है, उतना ही चंचल और अस्थिर भी होता है और इस चंचलता को नियंत्रित करने की योग से बेहतर शायद ही कोई दूसरी विधा हो। योग मन को नियंत्रित कर उसे दिशांतरित करने की तकनीक देता है।

 

 

जीजी जियाजी योग परिवार के सदस्यों द्वारा आयोजित दिपाली मिलन समारोह में अन्दनमल जी घोर, सुरेन्द्र जैन, डा. रवीन्द्र उपाध्याय, पर्वतारोही अनुराग चौरसिया, मंगल पिरोदिया, मोहन पिरोदिया, डा. पवन मजावदिया, राजेन्द्र कुमार सोनी, मोहनललाल पिरोदिया, योग गुरू प्रमोद पाठक, योग गुरू श्रीमती इन्दू पाठक का सदस्यों की ओर से सम्मान किया गया ।
मंचासीन डा. रवीन्द्र उपाध्याय ने कहा कि मोटे तौर पर बीमारियां दो प्रकार की होती हैं, शारीरिक (व्याधि) तथा मानसिक (आधि)। योग के अनुसार, जिसका मन रोगी व कमजोर है, उसका शरीर भी अवश्य रोगी व कमजोर होगा। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान जहां रोग को शरीरगत मानता है, वहीं योग में मन पर अधिक जोर दिया जाता है। मानसिक समस्याओं में अवसाद, तनाव, चिड़चिड़ापन, क्रोध, मोह, लोभ, पार्किन्सन, एल्जाइमर्स, सिजोफ्रेनिया, भय व असुरक्षा आदि आते हैं। कैवल्य धाम, लोनावला के एक शोध के मुताबिक डायबिटीज, उच्च रक्तचाप जैसे शारीरिक रोगों समेत कई ऐसे मानसिक रोग हैं, जिन्हें आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में स्थायी बीमारियां माना जाता है, जबकि नियमित योगाभ्यास से न सिर्फ उन पर सकारात्मक असर होता है, बल्कि मानसिक रोगों को तो शत प्रतिशत ठीक किया जा सकता है।
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डा. पवन मजावदिया ने योग के शरीर पर प्रभाव के बारे में बताया कि यदि मन के तनाव का विज्ञान समझें तो पाएंगे कि तनाव चाहे भावनात्मक हो या मानसिक, यह हमारी पीयूष ग्रंथि को प्रभावित करता है। यह ग्रंथि शरीर की मास्टर ग्रंथि है। इस कारण यह ग्रंथि असंतुलित हार्माेन निकालने लगती है, जिसके असंतुलित हार्माेन स्राव के कारण थाइरॉएड ग्रंथि भी असंतुलित हो जाती है। इससे पूरे शरीर का मेटाबॉलिज्म प्रभावित होने लगता है और उसे हाइपो या हाइपर थाइरॉएडिज्म का शिकार होना पड़ता है। इसी तरह अधिक तनाव से हृदय गति तथा पल्स गति बढ़ जाती है, क्योंकि उस समय शरीर की कोशिकाओं को अधिक रक्त की आवश्यकता होती है। हृदय को अधिक कार्य करना पड़ता है, जिससे थकते-थकते एक दिन शरीर रोगी हो जाता है। इसका परिणाम हाइपरटेंशन और हृदय रोग होता है। अधिक मानसिक तनाव से हमारी सेक्स ग्रंथियां भी असंतुलित हार्माेन निकालने लगती हैं, जिससे नपुंसकता या अति सक्रियता जैसी समस्याएं जन्म लेने लगती हैं।

 

योग माता श्रीमती इन्दु पाठक ने कहा कि मन को ठीक करने के लिए यौगिक क्रियाएं जैसे पद्मासन, वज्रासन, शीर्षासन, सर्वांगासन, हलासन, भुजंगासन, जानुशिरासन, त्रिकोणासन तथा उष्ट्रासन आदि उपयोगी हैं। इसके अलावा नाड़ी शोधन, उज्जायी प्राणायाम एवं ध्यान का नियमित अभ्यास तन व मन दोनों के लिए उपयोगी है। योग का नियमित अभ्यास स्मरणशक्ति को बढ़ाता है। याददाश्त क्षमता दुरुस्त रखता है। साथ ही रक्त संचालन व पाचन क्षमता में वृद्धि, नसों व मांसपेशियों में पर्याप्त खिंचाव उत्पन्न करने के अलावा योग से मस्तिष्क को शुद्ध रक्त मिलता है। इसके लिए खासतौर पर सूर्य नमस्कार, शीर्षासन, पश्मिोत्तानासन, उष्ट्रासन व अर्धमत्स्येन्द्र आसन आदि करने चाहिए।
श्री अनुराग चौरसिया ने अफ्रीका महाद्वीप में विश्वकी सबसे बडी पर्वत चोटी माउंट कीली मंजारों पर अपने पत्नी श्रीमती सोनाली परमार के साथ जाकर वहा जकार तिरंगा झंडा फहराने तथा सूर्य नमस्कार करके भारत का विश्व स्तर पर नाम रोशन कर कीर्ति पताका फहराने के बारे में अपने अनुभव सांझा किये । उन्होने इस चोटी सूर्य नमस्कार करने वाले पहले भारतीय बताया । उन्होने बताया कि आगामी समय मंे विश्व के सातों महाद्वीपों में जाकर पर्वतों की चोटी पर तिरंगा फहराने तथा योग क्रिया की प्रस्तुति देने के बारे में भी उनके द्वारा प्रयास किया जा रहा है। योग परिवार के सदस्यों ने करतल ध्वनि के साथ उनका स्वागत किया गया ।
इस अवसर पर योग परिवार की श्रीमती शर्मीला पाठक, श्रीमती निशा मोरवाल , मोहनलाल पिरोदिया ने भी अपने विचार व्यक्त किये । कार्यक्रम का सफल संचालन राहूल उपाध्याय एवं श्रीमती किरण उपाध्याय ने किया । आभार प्रदर्शन योग गुरू प्रमोद पाठक ने व्यक्त कर सभी को नियमित योगाभ्यास करने का आव्हान किया ।

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