स्थल-नामली से धराड़ होकर प्रकाश नगर पुलिया तक।

कुल दूरी-38 किमी

विशेषज्ञ- मनोज शर्मा (तकनीकी विशेषज्ञ)

कमियां- रोड डिवाइडर टूटे हुए, सड़कों पर ड्रम रखने के साथ ही चौराहों, पुलियाओं की कमियों को चिन्हित किया गया।

नामली पंचेड़ फंटा- जावरा से नामली तक आते समय फोरलेन पर पंचेड़ फंटे पर सर्वाधिक हादसे होते हैं। गोकुल होटल के पास क्रासिंग पर संकेतक या स्पीड ब्रेकर नहीं है। यहां लगातार हादसे हो रहे हैं। फंटे पर पंचेड़ की ओर से वाहनों के अचानक फोरलेन पर आने से हादसे होते हैं। ग्रामीणों के विरोध प्रदर्शन, धरने के बावजूद यहां कोई स्थाई सुधार नहीं हो पाया।

अमानक पैचवर्क- फोरलेन पर मरम्मत के लिए किए गए पैचवर्क में मानकों का पालन नहीं किए जाने से वाहन चालक परेशान होते हैं। कई बार वाहन अनियंत्रित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। सेजावता, सालाखेड़ी, धराड़ तक पेचवर्क से सड़क असमतल होने से गति प्रभावित हो रही है।

सालाखेड़ी चौराहा- रतलाम से छह किमी दूर सालाखेड़ी चौराहा भी फोरलेन पर हादसों का केंद्र बना हुआ है। जानकारों के अनुसार इंदौर से आने वाले वाहनों के सीधे रतलाम जाने के लिए फोरलेन पर सर्विस लेन बनी हुई है, लेकिन जावरा की ओर से आने वाले वाहन चौराहे को क्रास करके लंबा टर्न लेते हैं। इससे इंदौर की ओर से सीधे जावरा जाने वाले वाहनों के टकराने का अंदेशा बना रहता है। रात में पर्याप्त लाइटिंग भी नहींं है।
पलदूना फंटा- फोरलेन पर नामली के समीप पलदूना फंटे पर भी हादसे होते हैं। नौगांवा मार्ग पर स्थित स्कूल व धार्मिक स्थलों पर आने जाने के लिए वाहन फोरलेन क्रास कर जाते हैं। यहां सुरक्षा संबंधी इंतजाम अधूरे हैं।

सेजावता फंटा-नामली से रतलाम की ओर सेजावता फंटे पर हमेशा हादसे की आशंका बनी रहती है। रतलाम जाने के लिए फोरलेन क्रास करना पड़ती है। यहां फोरलेन का घुमावदार मोड़ होने से वाहन तेज गति से आते हैं और रतलाम के लिए जाने वाले वाहनों से उनके टकराने का अंदेशा बना रहता है। कई बार बड़ी दुर्घटनाएं हुई हैं।

प्रकाश नगर पुलिया- फोरलेन पर रतलाम से इंदौर की ओर करीब 24 किमी दूर स्थित प्रकाश नगर पुलिया को मौत की पुलिया कहा जाने लगा है। यहां फोरलेन एस आकार में है। इसके चलते वाहन तेज गति में होने पर अनियंत्रित होकर पुलिया से गिर जाते हैं। कई बड़े हादसे यहां हुए हैं। कुछ सख्ती करने पर संकेतक लगाने के साथ ही रैलिंग आदि लगाई गई है, लेकिन अभी भी हादसे हो रहे हैं।

स्थल: महू-नीमच राजमार्ग पर बोतलगंज से शुरू करते हुए गुराड़िया देदा, नयाखेड़ा, फतेहगढ़, दलौदा होते हुए वापस मंदसौर तक।

कुल दूरी : करीब 40 किमी।

सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ : अजय बडोलिया

(युवा सिविल इंजीनियर हैं। महू-नीमच राजमार्ग को फोरलेन में बदलने के बाद से ही खामियों को उजागर कर रहे हैं।)

– बोतलगंज से कचनारा तक कुछ प्रमुख डेंजर जोन। विशेषज्ञों से बात की।

बोतलगंज- गांव का मुख्य चौराहा सड़क की ढलान पर है। यहां दोनों तरफ से वाहन तेज गति से आते है। कोई ओवरब्रिज, अंडरपास नहीं होने से चौराहा डेंजर जोन बन गया है।

एमआईटी चौराहा- यह चौराहा लगभग 20 गांवों के लोगों के आने व मंदसौर के चार प्रमुख स्कूलों, पालीटेक्निक कालेज, शासकीय नर्सिंग कालेज, इंजीनियरिंग कालेज के विद्यार्थी भी यही से आते जाते हैं। यहां ब्लिंकर नहीं लगे हैं, रेवास देवड़ा व अन्य गांवों से तेज गति से आने वाले वाहन दुर्घटना का कारण बनते हैं।

कृषि उपज मंडी चौराहा दलौदा- दलौदा नगर के बीच से गुजर रहे महू-नीमच राजमार्ग पर कृषि उपज मंडी चौराहा डेंजर झोन में है। यहां भी सबसे ज्यादा हादसे हुए है।

यह मार्ग पहले महू- नसीराबाद राष्ट्रीय राजमार्ग क्रं. 79 के नाम से जाना जाता था

2008 में प्रदेश सरकार ने इसे महू-नीमच राजमार्ग क्रं. 31 घोषित कर फोर लेन में बदला गया।

निर्माण के समय ही खामियां होने से काफी हादसे हुए। लोगों ने बीच में कई जगह डिवाइडर तोड़कर रास्ते निकाल लिए। 2010 में यहां पर यातायात प्रारम्भ हुआ। 12 साल में दो हजार से ज्यादा दुर्घटनाएं इस मार्ग पर हो चुकी है। इसमें 200 लोगों की मौत हुई है। थीं

– मंदसौर जिले में 17 ब्लैक स्पाट चिन्हित किए गए थे।

– दलौदा, नयाखेड़ा तिराहा, पिपलियामंडी चौपाटी, मल्हारगढ़, एमआईटी चौराहा, गुराड़िया देदा चौराहा, मुलतानपुरा चौराहा पर ओवरब्रिज की जरूरत बताई गई थी, पर उसके बाद इस रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

–  एमआईटी चौराहे, नयाखेड़ा चौराहे, दलौदा में कृषि उपज मंडी चौराहे का आडिट किया। इसमें सिविल इंजीनियर अजय बडोलिया ने यहां पर होने वाली दुर्घटनाओं के कारण बताते हुए उसके निवारण के उपाय बताए कि ज्यादा यातायात वाले चौराहे पर ओवरब्रिज बनाना ही रास्ता है। चौराहे पर ब्लिंकर नहीं है।