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रतलाम में समोसा, कचोरी, सेव खाने से पहले सावधान, मिलावट का बड़ा खेल उजागर

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रतलाम ~~मध्यप्रदेश के रतलाम में पाम ऑयल से लेकर कपास के तेल से नमकीन का निर्माण हो रहा है। मंगलवार को जिले के खाद्य सुरक्षा व नापतोल विभाग के अधिकारियों ने जलाराम नमकीन दुकान पर जाकर जांच की तो फलाहार के दौरान खाए जाने वाले मुंगफली के दाने कपास के तेल से तलते हुए पाए गए। इसके बाद हमारे होनहार अधिकारी सिर्फ नमूने लेकर आ गए। जिले में धड़ल्ले से पाम ऑयल का इस्तेमाल बढ़ रहा है। हालत यह है कि रतलाम में लगभग 300 टन पाम ऑयल की खपत हर महीने होती है। स्ट्रीट व पैक्ड फूड में 90 फीसदी पाम ऑयल का ही इस्तेमाल हो रहा है। क्योंकि, यह सस्ता पड़ता है। इसके ज्यादा इस्तेमाल से तमाम बीमारियां हो रही हैं। लेकिन, लोग इससे अनजान हैं।

यहां हो रहा है इस्तेमालबिस्किट, नमकीन, चिप्स, कुकीज आदि के निर्माण में मल्टी नेशनल कंपनियां पाम आयल का इस्तेमाल कर रही हैं। रतलाम की सेव, नमकीन, स्ट्रीट वेंडर इसका उपयोग कर रहे है। ब्रेड, मिठाइयों व नमकीन से लेकर साबुन, डिटर्जेंट, लिपिस्टिक जैसी चीजों को बनाने में भी पाम ऑयल इस्तेमाल होता है। इंडोनेशिया और मलेशिया से आयात होकर ये रतलाम तक पहुंच रहा है।

यह हो रहा असरपाम ऑयल में अन्य तेलों के मुकाबल 50% ट्राइग्लिसराइड्स अधिक होता है। जिससे दिल की बीमारी होती हैं। डायबिटीज, रक्तचाप, दिमाग व दिल से जुड़ी बीमारीं भी हो रही हैं। धमनियों में ब्लॉकेज के साथ प्रजनन क्षमता पर बुरा असर पड़ रहा है। बेड कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है और गुड कम करता है। शरीर में कई बीमारियां पैदा करता है।

नमकीन निर्माण में अधिक उपयोगपाम ऑयल की बिक्री जिले में सबसे अधिक होती है। पाम ऑयल से बना नमकीन लंबे समय तक खराब नहीं होता है।– जगदीश मंत्री, तेल के थोक विक्रेता

दिल से लेकर दिमाग के स्वास्थ्य को खराबजंक फूड में मिला पाम ऑयल सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचा रहा है। इसलिए घर के खानपान में कम मात्रा में घी व सरसों के तेल का इस्तेमाल करें। खाने के पैकेट पर इंग्रीडिएंट्स को चेक करें। यदि उसमें पाम यानी पामोलिन ऑयल मिला है तो ऐसे फूड के सेवन से बचें। ये दिल से लेकर दिमाग के स्वास्थ्य को खराब करता है।– डॉ. विनय शर्मा, वरिष्ठ चिकित्सक, रतलाम मेडिकल कॉलेज                                                                                                                                                     (Ashish Pathak से साभार)

 

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