छप्पन भोग मनोरथ एवं पाटोत्सव शोभायात्रा पर जगह-जगह पुष्पवर्षा,
पालकी उठाने के लिए भक्तों में होड़। धूप से बचाव के लिए टेंट लगाए गए-
मेघराजा ने भी बरसात की बुंदो से किया भगवान का अभिनंदन ।
झाबुआ। श्री गोवर्धननाथ प्रभू की हवेली में 6 जून से चल रहे भव्याति भव्य 11 दिवसीय श्री दिव्य अलौकिक 151वे पाटोत्सव महोत्सव का पूज्य श्री दिव्येशकुमार के सानिध्य में गिरघर विलास वाडी में नगर के इतिहास में पहली बार स्वयं भगवान श्री गोवर्धन नाथ जी हवेली से बाजे गाजे के साथ श्री गिरधर विलास वाडी में बडे मनोरथ छप्पन भोग अर्पण के भव्य एवं ऐतिहासिक आयोजन ने श्रद्धालुओं को प्रेम एवं भक्ति से सराबोर कर दिया । प्रातःकाल से 16 जून रविवार को पाटोत्सव के अन्तिम दिन मुख्य बडा मनोरथ छप्पन भोग अर्पण एवं 150 साल में पहली बार भगवान श्री गोवर्धननाथजी का हवेली से नगर भ्रमण कर गिरधर विलास बाडी में हजारों श्रद्धालुओं को दर्शन प्रदान करना एक विरला ही क्षण था ।
प्रातः निकाली जल यात्रा
पुष्टिमार्गीय परम्परा के अनुसार पूज्य दिव्येशकुमार जी ने सपरिवार गोवर्धन नाथ जी की हवेली से भोज मार्ग स्थित तेजाजी महाराज के मंदिर के पीछे स्थित बाडी तक प्रातः 10-30 बजे से बेंड बाजों के साथ(जल भरने) जल यात्रा का आयोजन किया ।
भगवान गोवर्धननाथ के जय जय कारों के साथ पूज्य श्री बेंड बाजों के साथ बाडी स्थित बावडी में पहूंच कर वहां तीन बडे कलश में पानी खिंच कर भरा और मंत्रोच्चार के साथ पानी के घडो में पानी भर कर स्वयं, माता पूज्य लक्ष्मी बहुजी, अर्द्धांगनी पूज्य दिव्यश्री बहुजी, बहिनद्वय सुभी राजा एवं भामिनी राजा द्वारा कलश को बाजे गाजे के साथ हवेली में लाये ।
जहां कलश के पवित्र जल से भगवान का अभिषेक सोमवार को सुबह 9 बजे किया गया । इसके बाद भगवान गोवर्धननाथजी के दिव्य दर्शन एवं तिलक आरती की गई । इस कलश यात्रा जुलुस में बडी संख्या में महिला एवं पुरूष श्रद्धालुओं ने भाग लिया ।
भगवान गोवर्धननाथ ने पालकी मे बिराजित हो पहली बार नगर भ्रमण किया
प्राचीन गोवर्धननाथ जी की हवेली के 151वें पाटोत्सव के तहत 6 से 16 जून तक विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। रविवार शाम शहर के मध्य विराजित भगवान गोवर्धननाथजी 150 साल में पहली बार मंदिर से बाहर निकले। उन्होंने शहर का भ्रमण किया। खास बात यह रही कि भगवान की पालकी को सिर्फ पुष्टिमार्गीय वैष्णव संप्रदाय के लोग ही उठाकर चल रहे थे। पालकी उठाने के लिए होड़-सी मची रही। शोभायात्रा का जगह-जगह स्वागत किया गया। यात्रा के लिए मंदिर से लेकर बाड़ी हनुमान मंदिर तक कारपेट के साथ ही धूप से बचने के लिए पूरे शहर में छाव के लिये टेंट लगाया गया। रियासतकाल से भगवान पहली बार शहर भ्रमण पर निकले। यह पहला मौका है कि जब इस मंदिर में इतने भव्य पैमाने पर 11 दिवसीय आयोजन किए गए। शोभायात्रा की विशेषता यह थी कि पालकी पर विराजित भगवान को चारों ओर से ढंका गया था। यात्रा जब गिरधर विलास बाडी पहुंची, तथा करीब एक घंटे तक हजारों की संख्या में दर्शनार्थी भगवान के छप्पन भोग के दर्शन के लिये बेसब्री से इन्तजार करते रहे । अन्ततः रात्री 8- 30 बजे भगवान के छप्पन भोग अर्पण के दर्शन खुले
तब कतारबद्ध होकर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवान की अलौकिक छबि एवं छप्पनभोग के दर्शन लाभ लेकर अपने आप को धन्य किया । पालकी यात्रा का हर जगह पुष्पवर्षा करके भगवान का स्वागत किया गया ।
मंदिर के 151वें पाटोत्सव के तहत प्रतिदिन धार्मिक आयोजन किए गए। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए लोग दूर-दूर से गोवर्धननाथ मंदिर पहुंचे। रविवार शाम करीब 4 बजे भगवान की शोभायात्रा हवेली से निकाली जिसमें पूरे समय सांसद गुमानसिंह डामोर, श्रीमती सुरज डामोर, जिला भाजपाध्यक्ष ओम प्रकाष शर्मा, नपा अध्यक्षा श्रीमती मन्नु बेन डामोर सहित इन्दौर, निमाड, बांसवाडा, भोपाल, गुजरात, आलीराजपुर, रानापुर, थांदला, दोहद,राजकोट सहित दूर दूर से भगवान की छबि निहारने एवं भव्य छप्पनभोग मनोरथ के दर्शनों के लिये शोभायात्रा में शामील हुए ।
बेंड बाजों के साथ जब भगवान की शोभायात्रा राजवाडा पहूंची तो वहां ब्रजेन्द्र शर्मा चुन्नु भैया के नेतृत्व में सभी लोगों को शीतल पेय पदार्थ पीलाया गया वही चारभूजा मंदिर चौराहे पर नीमा समाज की ओर से सभी भक्तों को केशरिया दुध पीलाया गया । जगह जगह ठण्डे पानी की व्यवस्था की गई थी ।शोभायात्रा में आगे दो घोडो पर बिराजित सजे धजे बच्चे बैठे थे , बेंड बाजों के बाद पूज्य श्री देवकीनंदन का चित्र बिराजित था । इसके बाद पूज्य दिव्येशकुमारजी राजसी वेशभूषा में पैदल चल रहे थे ।
इसके बाद भगवान श्री गोवर्धननाथजी की पालकी को वैष्णवजन कांधे पर उठा कर जय घोष करते हुए चल रहे थे । महिलाओं एवं कन्याओं ने पूरे मार्ग पर अपनी धार्मिक भावना व्यक्त करते हुए नृत्य करते हुए चल रही थी ।
पुष्टिमार्गीय वैष्णव समाज ने उठाई पालकी, स्वयं मेघराज ने स्वागत मे की बौछारे
प्राचीन गोवर्धननाथ मंदिर से निकाली गई शोभायात्रा में विशेष पालकी पर भगवान को विराजित किया गया था। रियासत काल के बाद भगवान पहली बार शहर भ्रमण पर निकले। शोभायात्रा की विशेषता यह थी कि पालकी को सिर्फ पुष्टिमार्गीय वैष्णव समाज के लोग ही उठाकर चल रहे थे। यात्रा के दौरान करीब 40 वैष्णव जन घेरा डालकर रास्ता बनाते हुए चल रहे थे। पालकी उठाने वाले धोती व बंडी पहनकर यात्रा में शामिल हुए। पालकी को उठाने के लिए पुष्टिमार्गीय संप्रदाय के लोगों में होड मची रही।
जब भगवान श्री गोवर्धननाथ जी पालकी मे बिराजित होकर गिरघर विलास बाडी की ओर जारहे थे तभी राजवाडा चौक पर स्वयं मेघराजा ने कुछ पल के लिये बरसात की बौछारे करके भगवान का अभिनंदन स्वागत किया ।
जीवन में पहली बार लोगों ने देखा इस प्रकार का भव्य आयोजन
पाटोत्सव समिति के मीडिया प्रभारी राजेन्द्र सोनी के अनुसार पुष्टिमार्गीय परम्परा के अनुसार भगवान श्री गोवर्धननाथ जी का विग्रह कभी भी हवेली से बाहर नही जाता तथा निर्धारित समय पर ही मंदिर में ही इनके दर्शन होते है किन्तु 151 वें पाटोत्सव के ऐतिहासिक अवसर पर स्वयं भगवान गोवर्धननाथ जी राजसी ठाठ बाट के साथ नगर भ्रमण पर निकले तथा गिरधर विलास बाडी में भव्य छप्पन भोग मनोरथ में शामील होकर दर्शन दिये । वर्तमान एवं वृद्ध पीढी के लोगों का कहना था कि जीवन में पहली बार भगवान गोवर्धननाथजी 150 साल बाद हवेली से बाहर आये और दिव्य दर्शन दिये । ऐसा मौका न भूतों व भविष्यति कहावत को चरितार्थ करता है । छप्पन भोग के दर्शन के बाद देर रात्री में पूज्य दिव्येशकुमार जी ने भगवान गोवर्धननाथ, गोपालजी एवं राधारानी की त्रि प्रतिमाओं की आरती की तथा देर रात्री में भगवान के पट बंद हुए ।