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झाबुआ

वृद्धजनों का सम्मान करना हमारा नैतिक दायित्व है – अरविन्द व्यास’~~ वृद्ध घर के लिए बोझ नहीं होते अपितु उनके सम्मान से ही आपका सम्मान है- विद्याराम शर्मा~~ संगठन द्वारा पेंशनर्स का उनके आवास पर सम्मान’

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वृद्धजनों का सम्मान करना हमारा नैतिक दायित्व है – अरविन्द व्यास’

वृद्ध घर के लिए बोझ नहीं होते अपितु उनके सम्मान से ही आपका सम्मान है- विद्याराम शर्मा

संगठन द्वारा पेंशनर्स का उनके आवास पर सम्मान’

झाबुआ । पेंशनर्स एवं वृद्धजन समुचे समाज की थाती होते है। जीवन के उतार चढाव के बाद सरकारी सेवाओं में उनकी सहभागिता के साथ ही उनके अनुभवोें का लाभ समाज को नया दिशा बोध प्रदान करता है । वृद्धजनों का सम्मान करना हमारा नैतिक दायित्व होता है और इसी कडी में मध्यप्रदेश पेंशनर्स एसोसिएशन की जिला शाख झाबुआ अपने कर्तव्य बोध का निर्वाह करती आ रही है। पेंशनरों का सम्मान करके हमे सुकुन के साथ ही आनन्द की जो अनुभूति होती है उसको शब्दोें मे नही आंका जासकता है। उक्त उदगार जिला पेेंशनर्स एसोसिएशन झाबुआ के जिलाध्यक्ष अरविन्द व्यास ने 75 वर्ष से अधिक आयु के पेंशनरों के सम्मान तथा जो पेंशनर्स अपरिहार्य कारणों, स्वास्थ्य कारणों से उपस्थित नही रह पाये थे उन्हे घर घर जाकर उनका सम्मान करने का क्रम जारी है । श्री व्यास ने बताया कि विगत दिनों पेंशनर्स एसोसिएशन जिला झाबुआ द्वारा 75 वर्ष से अधिक आयु प्राप्त पेंशनर्स के सम्मान में भव्य समारोह का आयोजन प्रांताध्यक्ष श्री बुधोलिया जी की गरीमामय उपस्थिति में किया गया था । समारोह में सम्मानित 20 पेंशनर्स के अतिरिक्त कमजोरी, अस्वस्थता या दिव्यांगता के कारण 11 पेंशनर्स सम्मान समारोह में सम्मिलित नहीं हो पाए थे,। ऐसे सभी सदस्यों का सम्मान उप प्रांताध्यक्ष विद्याराम शर्मा एवं अध्यक्ष अरविन्द व्यास द्वारा संगठन के पदाधिकारीगण के साथ उनके आवास पर पहुंच कर किया गया और उनके अच्छे स्वास्थ्य तथा दीर्धायु होने की शुभकामना व्यक्त की गई। श्री व्यास के अनुसार उप प्रांताध्यक्ष श्री विद्याराम शर्मा के मार्ग दर्शन में सभी 75 वर्ष या इससे अधिक आयु वर्ग के पेशनरों के घर घर जाकर इस पुनित कार्य को किया जारहा है ।

इस अवसर पर उप प्रान्ताध्यक्ष श्री विद्याराम शर्मा ने अपने सदेंश में कहा कि वृद्ध घर के लिए बोझ नहीं होते अपितु उनके सम्मान से ही आपका सम्मान है जो बुजुर्गों का अनादर करते हैं वह कभी सुख प्राप्त नहीं कर पाते। निजी स्वार्थ में व्यक्ति रिश्ते नातों को भूल रहा है। जीवन की अनमोलता और खूबसूरती का सही और सच्चा अनुभव हमें उम्र के इसी दौर में होता है । शायद इसीलिए बुढ़ापे को ‘बचपन का दूसरा दौर’ भी कहा जाता है । कहावत भी है- ‘बच्चा-बूढ़ा एक समान’ । कहीं इसका यह मतलब तो नहीं कि हम चिर-अबोध हैं । सही अर्थों में बौद्धिक परिपक्वता तो बुढ़ापे में ही मिलती है ।श्री शर्मा ने वृद्ध पेंशनरों के घर घर जाकर सम्मान किये जाने के कार्य को पूण्य का काम बताते हुए कहा कि यह एक अनुकरणीय कदम है

घर घर जाकर वृद्ध पेंशनरों के सम्मान के अवसर पर पीडी रायपुरिया, सुभाषचन्द्र दुबे, राजेन्द्र जोशी, रूपसिंह खपेड, प्रदीप पण्डिया, श्रीमती अरूणा वरदिया, पुरूषोत्तम ताम्रकार,बहादूरसिंह सहित बडी संख्या में जिलाशाखा एवं तहसील शाखा के पदाधिकारीगणों ने सहभागिता की । ज्ञातव्य है कि जिला पेंशनर्स एसोसिएशन द्वारा इसके अतिरिक्त सौजन्यकर्ता जिला कोऑपरेटिव बैंक के आरएस वसुनिया,एस बी आई बैंक के शाखा प्रबन्धक इंद्रजीत चैधरी तथा एच. जोएल का सम्मान भी पेंशनर्स एसोसिएशन को सक्रिय सहयोग के लिये उनके कार्यालय में जाकर सम्मान किया गया।

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