झाबुआ । पालको, विभिन्न संगठनों एवं समाचार पत्रों आदि के माध्यम से यह बिन्दु संज्ञान में लाया गया कि झाबुआ शहर के निजी स्कूलों के संचालकों द्वारा छात्रों एवं पालकों को निर्धारित दुकानों से ही यूनीफार्म, जूते, टाई, किताबें, कापियां आदि खरीदने के लिये बाध्य किया जाता है, जबकि मितव्ययी, गुणवत्तापूर्ण एवं सर्वसुलभ शिक्षा व्यवस्था का निर्माण लोक कल्याणकारी प्रशासन के सर्वाधिक महत्वपूर्ण उद्देश्यों में से एक है। स्कूल संचालकों व व्यवसायियों की सांठगांठ से इस प्रकार के कृत्य से विद्यार्थियों तथा उनके पालकों में रोष व्याप्त हो रहा है, साथ ही गरीब वर्ग के पालकों को कठिनाईयों का सामना करना पढ़ रहा है। यह तथ्य भी संज्ञान में आया है कि निजी विद्यालयों के संचालक स्टेशनरी यूनिफार्म, आदि के विक्रेताओं से सांठगांठ कर पालकों का शोषण करते आ रहे हैं।इसलिए कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी सुश्री तन्वी हुड्डा, जिला झाबुआ दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा-144 (1) (2) के तहत स्कूल संचालकों, पुस्तक प्रकाशकों एवं विक्रेताओं के एकाधिकार को समाप्त करने हेतु प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया गया है। स्कूल जिस नियामक बोर्ड यथा सी.बी.एस.ई/आई.सी.एस.ई/एम.पी.बी.एस.ई/माध्यमिक शिक्षा मण्डल आदि से संबंध है, उस संस्था के द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम व पाठ्यक्रम के अन्तर्गत नियामक संस्था अथवा उसके द्वारा विधिक रूप से अधिकृत एजेंसी एन.सी.ई.आर.टी. म.प्र. पाठ्य पुस्तक निगम आदि के द्वारा प्रकाशित एवं मुद्रित पुस्तकों के अतिरिक्त अन्य प्रकाशकों/मुद्रको द्वारा प्रकाशित की जाने वाली पुस्तकों को विद्यालय में अध्यापन हेतु प्रतिबंधित करेंगे। स्कूल संचालक/प्राचार्य सुनिश्चित करेंगे कि उक्त के अतिरिक्त अन्य विषयों जैसे नैतिक शिक्षा, सामान्य, ज्ञान, कम्प्यूटर आदि की निजी प्रकाशकों/मुद्रकों द्वारा प्रकाशित करने हेतु बाध्य नहीं किया जायेगा। स्कूल संचालक/प्राचार्य द्वारा विद्यार्थियों/अभिभावकों को पुस्तकें, कापियां, सम्पूर्ण यूनिफार्म आदि सम्बन्धित स्कूल/संस्था अथवा किसी भी दुकान/विक्रेता/ संस्था विशेष से क्रय किये जाने हेतु बाध्य नहीं किया जायेगा। स्कूल संचालक/प्राचार्य/पालक शिक्षक संघ (पी.टी.एम) सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी स्थिति में पुस्तकों के निजी प्रकाशन/मुद्रक/विक्रेता स्कूल परिसर में प्रचार प्रसार हेतु किसी भी स्थिति में प्रवेश नहीं करें। स्कूल संचालक/प्राचार्य/विक्रेता द्वारा पुस्तकों के सेट की कीमत बढ़ाने हेतु अनावश्यक सामग्री जो निर्धारित पाठ्यक्रम से सम्बन्धित ही नहीं है का समावेश सेट में नहीं किया जाये। कोई भी विक्रेता किसी भी कक्षा के पुरे सेट को क्रय करने की बाध्यता नहीं रखेगा। नोटबुक, कॉपी पर ग्रेड किस्म, साईज, मूल्य, पृष्ठ संख्या स्पष्ट रूप से अंकित होना चाहिये किसी भी पुस्तक, नोटबुक, कॉपी अथवा इन पर चढाये जाने वाले कवर पर विद्यालय का नाम मुद्रित नहीं किया जाये। कोई भी विद्यालय अधिकतम दो से अधिक यूनिफार्म निर्धारित नहीं कर सकेंगे ब्लेजर/स्वेटर इसके अतिरिक्त होगा। विद्यालय प्रशासन द्वारा यूनिफार्म का निर्धारण इस प्रकार किया जाये कि कम से कम 03 वर्ष तक इसमें परिवर्तन नहीं हो। विद्यालय प्रशासन द्वारा वार्षिकोत्सव अथवा अन्य किसी आयोजन पर किसी भी प्रकार की वेशभूषा को विद्यार्थियों/पालकों को क्रय करने हेतु बाध्य नहीं किया जायेगा। जिन विषयों के संबंध में नियामक संस्था के द्वारा कोई पुस्तक प्रकाशित/मुद्रित नहीं की गई है उस विषय से सम्बन्धित किसी अन्य पुस्तक को अनुशंसित करने के पूर्व स्कूल संचालक सुनिश्चित करेंगे कि उक्त पुस्तक की पाठ्य सामग्री ऐसी आपत्तिजनक नहीं हो जिससे कि लोक प्रशांति भंग होने की संभावना हो। यह आदेश 13 अप्रैल, 2023 से संपूर्ण झाबुआ जिले में प्रभावशील रहेगा एवं आदेश का उल्लंघन करने पर भा.द.वि. की धारा-188 के अंतर्गत कार्यवाही की जायेगी।
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