मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पेंशनरों के हितो की अनदेखी करके उन्हे नाहक आर्थिक नुकसान पहूंचा रही है- अरविन्द व्यास ।
महंगाई राहत बढ़ाने के लिए बार-बार छत्तीसगढ़ सरकार से अनुमति लेने की बात की जाती है, जिसकी जरूरत नहीं है- उप प्रांताध्यक्ष विद्याराम शर्मा ।
झाबुआ । मध्यप्रदेश पेंशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अरविन्द व्यास ने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पेंशनरों के हितो की अनदेखी करके उन्हे नाहक आर्थिक नुकसान पहूंचा रही है । श्री व्यास ने बताया कि पूर्व में पेंशनर्स की मांगों के संबंध में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान, मुख्य सचिव एवं अपर मुख्य सचिव, वित्त को दिए कई ज्ञापनों की अनदेखी की जा रही है एवं राज्य पुनर्गठन अधिनियम-2000 की धारा – 49 (6), जो 1 नवंबर 2000 से पूर्व के पेंशनर्स के वित्तीय दायित्वों पर प्रभावशील हैं, को 1 नवंबर 2000 के बाद सेवानिवृत्त कर्मचारियों पर जबरिया थोपते हुए 22 वर्षों से वित्तीय स्वत्वों का भुगतान न कर मानसिक एवं आर्थिक यातनाएं दी जा रही हैं। इस धारा 49(6) को तत्काल प्रभाव से मध्यप्रदेश में समाप्त किया जाना चाहिये ।
श्री व्यास ने बताया 15 मई 2018 को मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चैहान द्वारा बुलाई पेंशनर्स पंचायत में सातवें वेतन आयोग का लाभ 1 जनवरी 2016 से दिए जाने का आश्वासन आज तक पूरा नहीं किया। महंगाई राहत का भुगतान भी केंद्रीय तिथि से नहीं किया जा रहा है। प्रदेश के कोषालय से भुगतान किए जा रहे प्रदेश के अखिल भारतीय संवर्ग के अधिकारियों को केंद्रीय तिथि से महंगाई राहत का भुगतान किया जा रहा, वहीं प्रदेश के पेंशनर्स को मनमर्जी माह का निर्धारण (कट ऑफ डेट) कर महंगाई राहत के भेदभावपूर्ण आदेश जारी किए जा रहे हैं। महंगाई का सबसे पहले प्रदेश के अखिल भारतीय संवर्ग के अधिकारी पर प्रभाव पड़ता है, बाद में पेंशनर्स पर। इस तरह पेंशनर्स के साथ लगातार अन्याय किया जा रहा है।
जिलाध्यक्ष अरविन्द व्यास ने बताया जनवरी- 2020 से जून 2021 को सेवानिवृत्त कर्मचारियों को केंद्र सरकार द्वारा जारी 7 सितंबर – 2021 पत्र के अनुरूप खंडित किए गए महंगाई राहत की गणना कर उपदान एवं अवकाश नकदीकरण का भुगतान करने एवं हिमाचल सरकार के समान प्रदेश के पेंशनर्स को 65, 70, 75 वर्ष की आयु में प्रवेश करते ही 5-5 प्रतिशत की मूल पेंशन में वृद्धि करने सहित 11 सूत्रीय मांगों को लेकर मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव एवं अपर मुख्य सचिव, वित्त को पूर्व में ज्ञापन प्रस्तुत किया जा चुका है। इसका निराकरण न होने एवं सरकार द्वारा संवादहीनता की स्थिति निर्मित करने के कारण प्रदेश के सभी पेंशनर्स संगठन में व्यापक असन्तोष व्याप्त है ।
मध्यप्रदेश पेंशनर्स एसोसिएशन के उप प्रान्ताध्यक्ष श्री विद्याराम शर्मा के अनुसार पेंशन नियम-1976 में आज तक संशोधन न करने के कारण पेंशनर्स की अविवाहित विधवा तलाकशुदा पुत्री जीवनकाल में केंद्र के समान परिवार पेंशन से वंचित है। उन्होने आगे कहा कि पेंशनरों ने सरकार कई गंभीर आरोप लगाए हैं। जिसमें कहा है कि सरकार पेंशनरों पर ध्यान नहीं दे रही हैं। असंवेदनशील रवैया अपनाया जा रहा है जिसकी वजह से पेंशनरों को बुढ़ापे में परेशान होना पड़ रहा है। महंगाई राहत बढ़ाने के लिए बार-बार छत्तीसगढ़ सरकार से अनुमति लेने की बात की जाती है, जिसकी जरूरत नहीं है। केंद्र व दूसरे राज्यों के समान पेंशनर्स से जुड़े नियमों में संशोधन नहीं किया जा रहा है। तलाकशुदा व अविवाहित बेटी को पेंशनर्स के लाभ देने संबंधी प्रावधान नहीं है और जो है भी वह बहुत कठिनाई वाले हैं जिनका लाभ ठीक से नहीं मिल रहा है। केंद्र और दूसरे राज्यों की सरकारों ने नियमों को काफी आसान बनाया है लेकिन मध्य प्रदेश सरकार बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही है।
श्री व्यास के अनुसार प्रदेश की शिवराजसिंह सरकार ने राज्य कर्मचारियों को स्वीकृत डीए के अनुरूप 1 जनवरी से ड्यु हो चुकी 5 प्रतिशत की दर से महगांई राहत तथा 1 जुलाई 2022 से ड्यु हो चुकी 4 प्रतिशत महंगाई राहत इस प्रकार कुल 9 प्रतिशत महंगाई राहत का अभी तक भुगतान नही किया है तथा छत्तिसगढ सरकार का बहाना बना कर पेंशनरों के हितलाभ को रोका जारहा है जो उनका मौलिक अधिकार है अतः तत्काल ही बढी हुई दर से महंगाई राहत का प्रभावशील तिथि से भुगतान करने का प्रदेश सरकार से अनुरोध किया है ।
श्री शर्मा एवं श्री व्यास ने बताया कि मध्यप्रदेश में कर्मचारी जगत की नाराजगी का खामियाजा भी बीजेपी को चुनावों में भुगतना पड़ा था। पेंशनर्स पदाधिकारियों ने केंद्र सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होने आरोप लगाया कि दोनों ही सरकार कर्मचारियों के हितों में निर्णय नहीं ले पा रही हैं। लिहाजा पेंशनर्स एसोसिएशन के पास अब आंदोलन के अलावा कोई दूसरा रास्ता भी नहीं बचा है।यदि पेंशनरों को जल्द ही महंगाई राहत का भुगतान नही किया तो इस मुद्दे को लेकर आंदोलन की शुरूआत की जाएगी।