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रतलाम जिले में रेरा के तहत संतुष्टिदायक कार्य रेरा के सचिव श्री नीरज दुबे ने रतलाम में जागरूकता कार्यशाला में दी जानकारी

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रतलाम जिले में रेरा के तहत संतुष्टिदायक कार्य

रेरा के सचिव श्री नीरज दुबे ने रतलाम में जागरूकता कार्यशाला में दी जानकारी

       रतलाम / रतलाम जिले में रेरा के तहत संतुष्टिदायक कार्य किया जा रहा है। रेरा का उद्देश्य आमजन के हितों की रक्षा करना है। किसी भी तरह की गड़बड़ियों को रोकना है। यह बात मध्यप्रदेश भूसंपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) के सचिव श्री नीरज दुबे ने मंगलवार को रतलाम कलेक्टर सभाकक्ष में आयोजित जागरूकता कार्यशाला में कहीं। कार्यशाला का विषय भू संपदा क्षेत्र एवं उनकी चुनौतियां था। इस दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती लालाबाई शंभूलाल चंद्रवंशी, रेरा के अपर सचिव श्री उमाकांत पांडे, कलेक्टर श्री नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी, जिले के  एसडीएम श्री त्रिलोचन गौड़, श्री संजीव पांडे, मनीषा वास्कले, तहसीलदार, कॉलोनाइजर, डेवलपर आदि उपस्थित थे।

        कार्यशाला में रेरा के सचिव श्री दुबे ने प्रदेश भू संपदा विनियामक प्राधिकरण के कार्य उद्देश्य, इसकी शक्तियां, स्टॉक होल्डर्स अधिनियम, इसकी संरचना, दांडिक शक्तियों आदि के  बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि रेरा में रतलाम जिला अच्छा कार्य कर रहा है। जिले में कुल पंजीकृत परियोजना 104 हैं जो परियोजनाएं व्यपगत नहीं है, उनकी संख्या 33 है। कुल व्यपगत परियोजना 71 हैं। 49 परियोजनाएं ऐसी हैं जिनमें पूर्णता प्रमाण पत्र अपलोड किया गया है। ऐसी परियोजनाएं 5 हैं जिनमें 100 प्रतिशत कार्य हुआ है परंतु पूर्णता प्रमाण पत्र अपलोड नहीं है। 9 परियोजनाओं में कार्य पूर्ण नहीं हुआ है तथा 8 परियोजनाओं के संबंध में जानकारी नहीं मिली है।

        श्री दुबे ने बताया कि जिन परियोजनाओं में समय सीमा समाप्त हो चुकी है उनके लिए आवेदन करने पर रेरा द्वारा अतिरिक्त समय सीमा दी जा सकती है ताकि परियोजना का कार्य पूर्ण हो सके। अनुमति लेने पर रेरा द्वारा समय सीमा बढ़ा दी जाती है परंतु डेवलपर, कॉलोनाइजर को चाहिए कि समय सीमा में कार्य पूर्ण करने का सदैव प्रयास करें। उन्होंने बताया कि परियोजना की 70 प्रतिशत राशि विशेष खाते में जो रखी जाती है उसको भौतिक प्रगति के आधार पर निकाला जा सकता है। रेरा की अनुमति प्रक्रिया का सरलीकरण किया गया है। इस दौरान श्री दुबे ने बैठक में उपस्थित कॉलोनाइजर्स की जिज्ञासाओं को शांत किया। उनके द्वारा पूछे गए प्रश्नों का समाधानपूर्वक उत्तर दिया। साथ ही कहा कि जो भी अन्य समस्याएं हैं, उनके बारे में लिखित में देवें।

रेरा के संबंध में जानकारी देते हुए श्री दुबे ने बताया कि रेरा की आवश्यकता इसलिए हुई कि परियोजना में पारदर्शिता रहे, जानकारी में एकरूपता रहे। परिवारों का त्वरित निराकरण हो, कब्जा नहीं देने, करार से अधिक राशि प्राप्त कर लेने, आवंटित की समिति नहीं बनने, आधिपत्य प्रमाण पत्र नहीं देने, रहवासी क्षेत्रों की सार्वजनिक संपत्तियों की व्यवस्था नहीं होने, करारनामा के अनुसार जनसुविधाओं का विकास नहीं होने, रेरा के संधारण की कोई समुचित व्यवस्था नहीं होने, पार्किंग एवं खुले क्षेत्र के लिए कोई व्यवस्था नहीं होने, बिल्डर्स की संभावनाओं पर प्रश्नचिन्ह होने जैसी कई स्थितियों के निवारण हेतु रेरा बनाया गया है। रियल स्टेट से संबंधित प्रमुख कानूनों में भारतीय स्टांप अधिनियम भारतीय सुखाधिकार अधिनियम 1842 तथा इंडियन कॉन्ट्रैक्ट एक्ट 1872 शामिल है।

        रेरा सचिव श्री दुबे ने प्राधिकरण के कार्यों में बताया कि भू संपदा परियोजनाओं का पंजीयन परियोजना अवधि का विस्तार परियोजनाओं को अधिनियम की धारा 8 के अंतर्गत पूर्ण करें। भू संपदा अभिकर्ता का पंजीयन एवं उनका नवीनीकरण तथा अधिनियम की धारा 31 के अंतर्गत प्राप्त परिवारों पर सुनवाई प्रमुख कार्यों में है। रेरा को जो शक्तियां प्राप्त हैं, उन्हें प्राधिकरण की सूचना मंगाने, अन्वेषण करने की शक्ति, अंतरिम आदेश जारी करने की शक्ति, निर्देश जारी करने की शक्ति, अधिनियम, नियम एवं विनियम का उल्लंघन होने पर प्राधिकरण को शास्ति  ब्याज अधिकृत करने की शक्ति सम्मिलित है।

        बताया गया कि रेरा में पंजीकृत परियोजनाओं की वर्षगांठ जानकारी के तहत के रतलाम जिले में वर्ष 2017-18 में पंजीकृत परियोजनाएं 18 थी। व्यपगत परियोजना 6 थी। इसी तरह वर्ष 2018-19 में पंजीकृत परियोजनाएं 18 तथा व्यपगत परियोजना 4 थी। वर्ष 2019-20 में पंजीकृत परियोजनाएं 16, व्यपगत परियोजना एवं पूर्ण परियोजनाएं 3 थी। वर्ष 2020-21 में पंजीकृत परियोजनाएं 14, व्यपगत परियोजना 16 तथा पूर्ण परियोजनाएं 2 थी। वर्ष 2021 में पंजीकृत परियोजना 21, व्यपगत परियोजनाएं 18 थी। वर्ष 2022 में रतलाम जिले में पंजीकृत परियोजनाएं 19, व्यपगत परियोजना 12 एवं पूर्ण परियोजनाएं तीन है।

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