प्रदेश के 90 फीसदी हिस्से को कवर करने वाले पश्चिम और पश्चिम रेलवे की ट्रैक सुरक्षा पर सवाल उठाती संवाददाता आशीष पाठक रिपोर्ट ने प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के डीआरएम ऑफिसर्स की नींद उड़ा दी। खबर प्रकाशित होते ही देश भर के 68 से ज्यादा डीआरएम गुरुवार की सुबह अपने-अपने फील्ड में इन्वेस्टिगेशन करते नजर आए।
प्रदेश में दौडऩे वाली ट्रेनों में भी सफर सुरक्षित नहीं है। ओडिशा के बालासोर में हुई रेल दुर्घटना के बाद पत्रिका ने पश्चिम और पश्चिम मध्य रेलवे से जुड़े दस्तावेज खंगाले तो साफ हुआ कि अफसरों की लापरवाही यहां भी कम नहीं है। प्रदेश के 90त्न हिस्से को कवर करने वाले पश्चिम व पश्चिम रेलवे के ट्रैक की सुरक्षा बड़ा सवाल है।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) रिपोर्ट बताती है, पश्चिम रेलवे के 4885 किमी. और पश्चिम मध्य रेलवे के 3011 किमी. के ट्रैक के निरीक्षण 39-39 बार ही किए गए। सभी 14 जोन के आंकड़े बताते हैं, 2017 से 2022 तक में 57566 किमी ट्रैक का 1895 बार निरीक्षण किया गया, जबकि यह लगातार होना था। रेलवे बोर्ड के इन्फ्रास्ट्रक्चर सदस्य आरएन सुनकर का कहना है, निरीक्षण शेड्यूल तय होता है।
पश्चिम मध्य…
पश्चिम मध्य रेलवे में शामिल भोपाल, जबलपुर, कोटा समेत अन्य क्षेत्र हैं। यहां 3011 किमी लंबी ट्रैक है। दूसरी ओर पश्चिम रेलवे में रतलाम, इंदौर समेत गुजरात के कुछ हिस्से हैं। यहां 4885 किमी लंबी ट्रैक है। ऐसे में प्रदेश की 7896 किमी रेलवे ट्रैक पर जिम्मेदारों ने पांच साल में महज 78 बार ही जांच की है।
57566 किमी लंबा रेल मार्ग, पांच साल में निरीक्षण केवल 1895 बार
हैरान करने वाली बात है कि देश के 14 जोन में शामिल 57566 किमी लंबे रेलमार्ग पर पांच साल में सिर्फ 1895 बार निरीक्षण।
मध्यप्रदेश के ये हालात
पश्चिम रेलवे 4885 किमी ट्रैक
पश्चिम मध्य रेलवे 3011 किमी ट्रैक
वर्ष जांच जांच
2017-18 01 08
2018-19 04 04
2019-20 18 18
2020-21 06 04
2021-22 10 05
(पश्चिम रेलवे के रतलाम मंडल में इंदौर भी शामिल है।)
(पश्चिम मध्य रेलवे में भोपाल, जबलपुर भी शामिल है।)
ये हादसे देते हैं सबक
– मप्र के इन जोन में दो साल में कई बार रेल दुर्घटनाएं हुईं। पश्चिम रेलवे के रतलाम रेल मंडल में रतलाम-गोधरा रेलखंड पर मालगाड़ी के 12 डिब्बे उतर गए थे। नई दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग पिछले साल ठप हो गया था।
– 6 जून को ही पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर में मालगाड़ी के 3 टैंकर पलटे थे।
– मंगलवार रात कोटा से आ रही दुर्ग-अजमेर एक्सप्रेस के व्हील ब्रेक शू में खराबी आई। यह कोटा से 150 किमी तक खराब ब्रेक शू के ही गुना पहुंची। लोको पायलट की सूझबूझ से बड़ी घटना टली।
इसलिए हादसे
जब मैं संरक्षा विभाग में था। सीनियर अफसरों के निरीक्षण के दौरान दिए निर्देशाें का पालन होता था। वे औचक निरीक्षण करते थे। अब यह बंद हो गया है, इसलिए कई बार रेल दुर्घटनाएं हो रही हैं।
– एसबी श्रीवास्तव, सेवानिवृत संरक्षा अधिकारी, भारतीय रेलवे(SABHAR DAINIK PATRIKA)