झाबुआ- निर्भया के दोषियों को शुक्रवार तड़के तिहाड़ जेल में फांसी दिए जाने के बाद लंबे समय से पीड़िता को इंसाफ मिलने की राह देख रहे लोगों ने राहत की सांस ली। दिसंबर 2012 में एक मेडिकल छात्रा के साथ निर्मम तरीके से सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के दोषियों को आखिरकार उनके किए की सजा मिल गई, जिससे समाज में जघन्य अपराध की सोच रखने वालों के मन में भी डर पैदा होगा और शहर वासियों ने इस तरह के फैसले का खुले मन से स्वागत भी किया |
जानकारी अनुसार आज से करीब 7 साल 3 महीने पहले वह घनी रात थी जब पूरा देश दहल गया था जब देश की राजधानी एक नेशंस हत्या की गवाह बनी थी उस रात हमारे देश की बेटी के साथ चलती बस में कुछ दरिंदों ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थी | बेटी अपने दोस्तों के साथ रात करीब 12:00 बजे के आसपास घर लौट रही थी तभी बस में मौजूद 6 मनचलो ने उसके साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी |छेड़छाड़ का विरोध करने पर उन्होंने लड़की और दोस्तों के साथ मारपीट की |उसके बाद उन्होंने लड़की को घसीट कर बस के पिछले हिस्से में ले गए ले गए और बारी-बारी से बलात्कार किया और गुप्तांगों को पूरी तरह क्षतिग्रस्त किया | इसमें लड़की बुरी तरह घायल हो गई उसके बाद लड़की और मित्रों को बस के बाहर फेंक दिया गया |
निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के चारों गुनहगारों को आज फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। दिल्ली के तिहाड़ जेल परिसर के जेल नंबर 3 में आज सुबह 5.30 बजे निर्भया के दोषियों पवन, अक्षय, विनय और मुकेश को फांसी पर लटकाया गया। आजाद भारत के इतिहास में पहली बार किसी अपराध के लिए चार दोषियों को एक साथ फांसी की सजा दी गई है। पिछले तीन दशकों में 1991 के बाद से 16 दोषियों को भारत में मौत की सजा दी गई है, जिसमें 14 वर्षीय छात्रा का बलात्कार करने के बाद हत्या करने पर सजा दी गई थी। 14 अगस्त 2004 : बलात्कार और हत्या के दोषी धनंजय चटर्जी को कोलकाता में फांसी दी गई थी। धनंजय को कोलकाता में एक स्कूली छात्रा के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या के जुर्म में तड़के साढ़े चार बजे फांसी पर लटकाया गया था। 14 वर्ष तक चले मुक़दमे और विभिन्न अपीलों और याचिकाओं को ठुकराए जाने के बाद धनंजय को कोलकाता की अलीपुर जेल में फांसी दी गई | सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्भया हत्याकांड में दिए गए फैसले का जगह-जगह स्वागत हुआ और महिलाओं ने खुलकर न्यायालय के इस फैसले का सम्मान किया |
निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा देने के बाद आइए जानते हैं महिलाओं के विचार……
……….मैं निर्भया की मां को सलाम करती हूं कि उन्होंने अपने बेटी को न्याय दिलाने के लिए एक लंबी जंग लड़ी और दोषियों को सजा दिलवाई |
श्रीमती अल्का दातला, मेडिकल संचालिका झाबुआ |
आज मिला है न्याय। आज हुआ है इंसाफ़।। आइये आज के दिन हम सभी मिलकर यह संकल्प ले …देश समाज मे इस तरह की घटनाओं की पुनरावर्ती न हो, जब कभी भी इस तरह कोई “निर्भया” बेबस दिखाई दे ,तो हम उसका सुरक्षा कवच बनकर खड़े रहेंगे, ढाल बनकर खड़े रहेंगे।। तभी देश की इस बेटी ,इस बहन को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।।. ….
कु एेंजल गादीया , विद्यार्थी कक्षा दसवीं ,आईपीएस स्कूल ,झाबुआ |
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए इस फैसले का हम सम्मान करते हैं आज इस फैसले से निर्भया और उसकी मां को ही न्याय नहीं मिला , बल्कि देश की हर मां और बेटी को न्याय मिला है | इस तरह के रेप और जघन्य हत्याकांड के मामले में जल्द से जल्द सुनवाई हाे और कार्रवाई हो ऐसे प्रयास होने चाहिए , जिससे आमजनों का न्यायपालिका पर भरोसा कायम रह सके | श्रीमती स्वाति सुराणा ,बुटीक संचालिका ,झाबुआ |
मैं उस मां को सलाम करती हूं जिसने अपनी बेटी के साथ हुए कृत्य के खिलाफ आवाज उठाई और करीब 7 वर्षों तक न्याय के लिए ,कानूनी लड़ाई लड़ते हुए उन दोषियों को सजा दिलाने में अहम भूमिका निभाई | आशा करती हूं इस तरह के मामले में कानून सख्त से सख्त हो और जल्द से जल्द न्याय मिले |
श्रीमती हंसा गादिया ,ग्रहिणी झाबुआ. |
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्भया कांड में दोषियों को फांसी की सजा दी गई …… उस मां ने न्याय के लिए करीब 7 वर्षों तक जंग लड़ी |इससे यह साबित होता है कि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं |
कु कृतिका गादीया, विद्यार्थी बीकॉम , झाबुआ |
ये वही चार दरिंदे है,जिनकी करतूतों से हैवानियत भी काप उठी थी । यह निर्णय सालो पहले ही हो जाना था पर आज वो सुनहरा दिन आ ही गया जब निर्भया की आत्मा को शांति मिली । आज गुजारिश है उन सभी महिलाओं से —–खुद को कर बुलंद इतना की हैवान भी हैवानियत करने से पहले सोचे ।.
श्रीमती डॉक्टर चारुलता दवे , झाबुआ |
निर्भया के लिये 15-16 दिसम्बर की रात बेहद डरावनी खौफनाक और दर्दनाक थी ।कल की रात निर्भया के बलात्कारियों के लिए मुश्किल थी जब मौत उनके सामने खडी थी।नहीं जानती कि उन्हें पछतावा हो रहा होगा या नहीं, पर उम्मीद है इनकी खौफ़नाक मौत से सब वहशी दरिन्दे सुधर जायेंगे।.
श्रीमती धनश्री लटटू ,शिक्षिका व ट्रेनर, झाबुआ |
एक ऐसा दिन आया है जहां निर्भया के रेपिस्टाे को फांसी की सजा मिली है मेरा उस मां को सलाम है जो करीब 7 वर्षों तक अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए लड़ी , वह इसलिए कि जो उसकी बेटी के साथ हुआ वाे किसी और के साथ ना हो |मेरा न्यायपालिका से निवेदन इस तरह के केसों में जल्द से जल्द सुनवाई हो और दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिले |
आज का दिन जीत का दिन है देश की बेटी को न्याय मिला है दर्द भरे 7 साल का अंत हुआ है उस मां को सलाम जिसने विभिन्न परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी और दोषियों को सजा दिलवाई और अपनी बेटी को न्याय दिलाया |
श्रीमती दीपाली पटेल , ग्रहिणी ,झाबुआ |
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए इस फैसले का हम सम्मान करते हैं जिसमें निर्भया के साथ हुए रेप कांड और हत्या के मामले में दोषियों को सजा सुनाई | साथ ही न्यायपालिका से यह निवेदन भी है कि इस तरह के मामलों में सख्त से सख्त कानून हो , जल्द से जल्द सुनवाई हो और दोषियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाए |
कुमारी अंजली सोलंकी, विद्यार्थी ,बीबीए, झाबुआ |
मैं उस मां को सलाम करती हूं जिसने अपने बेटी के साथ हुए रेप और हत्याकांड के मामले में करीब 7 वर्षों तक विभिन्न परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी और अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करती रही और अंत: उन दोषियों को फांसी की सजा दिलाने में अहम भूमिका निभाई |
श्रीमती रानी कोठारी , झाबुआ |
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