जी 20 शिखर सम्मेलन ने एक वैश्विक नेता के रूप में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का कद और बढ़ा दिया है।- सांसद श्री गुमानसिंह डामोर ।
समृद्ध जनजातीय विरासत और शिल्प कौशल का प्रदर्शन रहा मुख्य आकर्षण का केन्द्र ।
जी-20 सम्मेलन के सफल आयोजन पर संसदीय द्वोत्र की जनता की ओर से श्री डामोर ने प्रधानमंत्री श्री मोदी का धन्यवाद ज्ञापित किया ।
झाबुआ । क्षेत्रीय सांसद श्री गुमानसिंह डामोर ने विश्व स्तरीय सम्मेलन की सफलता को लेकर संसदीय क्षेत्र की जनता की ओर से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को बधाईया प्रेषित करते हुए कहा है कि जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन एवं उसकी सफलता भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी कामयाबी माना जावेगा । उन्होने कहा कि यूं तो यह ग्लोबल विदेश नीति का आयोजन था, लेकिन चुनावी साल में हर मुद्दे की अंतिम परिणति राजनीतिक मुद्दे में हो ही जाती है। ऐसे में इस आयोजन को सफलता का कीर्तिमान माना जावेगा । श्री डामोर के अनुसार 2014 के बाद एक बड़ा फैक्टर जो सामने आया और जो पीएम नरेंद्र मोदी और सरकार की लोकप्रियता का एक बड़ा कारण बना, वह है ग्लोबल स्तर पर भारत की ताकत बढ़ना। तमाम सर्वेक्षणों में आया कि नरेंद्र मोदी सबसे ताकतवर ग्लोबल लीडरों में शामिल हैं। एक बड़ा बदलाव यह भी आया कि अब तक ग्लोबल इवेंट और डिप्लोमेसी आम जनता तक नहीं जाती थी। लेकिन नरेंद्र मोदी की अगुआई में भाजपा इसे नीचे लोगों तक ले जाने में सफल रही। अब जब भारत में सबसे बड़ा कूटनीतिक इवेंट हुआ, जिसमें विश्व के तमाम ताकतवर नेता जुटे,यह मोदी के ग्लोबल फैक्टर को और मजबूत ही करेगा।
श्री डामोर ने कहा कि जहां तक इस शिखर सम्मेलन की उपलब्धियों की बात है तो सबसे बड़ी कामयाबी यह रही कि आम सहमति से संयुक्त घोषणा पत्र जारी हुआ। यूक्रेन युद्ध के चलते पश्चिमी देशों और रूसी खेमे के बीच जैसी कटुता बढ़ी है, उसकी छाया इस शिखर सम्मेलन पर भी थी। पीएम मोदी के कूटनीतिक कौशल का ही परिणाम रहा कि संयुक्त घोषणा पत्र के सभी 83 पैराग्राफ्स पर सभी देशों ने सहमति जताई।
सांसद डामोर कहते है कि विदेश नीति के मोर्चे पर इस जी-20 सम्मेलन की दूसरी बड़ी कामयाबी रही इस समूह में अफ्रीकी यूनियन को शामिल किया जाना। पीएम नरेंद्र मोदी ने इसके लिए प्रयास किया और अंततः सफलता मिली। जांबिया, घाना और इथियोपिया जैसे अफ्रीकी देशों के लिए कर्ज में राहत के एक फ्रेमवर्क पर भी आमराय बनी। इन कदमों का भारत को बड़ा फायदा होगा। इससे अफ्रीकी देशों पर इसका कूटनीतिक प्रभाव तो पड़ेगा ही, इमोशनल इंपैक्ट भी महसूस किया जाएगा। यह सब पीएम मोदी की असाधारण कूटनीति क्षमता का परिणाम है।
सांसद श्री डामोर के अनुसार दो बड़ी डिप्लोमैटिक कामयाबियां तो मिली हीं, कई महत्वपूर्ण आर्थिक कदम भी जी 20 समिट में उठाए गए। इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप शिपिंग एंड रेलवे कनेक्टिविटी कॉरिडोर की घोषणा की गई। इससे भारत को बहुत फायदा होगा। इसे चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव के जवाब के रूप में भी देखा जा रहा है। इसके अलावा ग्लोबल लेवल पर ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन घटाने, एक ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस बनाने और प्लास्टिक पॉल्यूशन खत्म करने पर भी एक बड़ा समझौता किया गया। ब्राजील, भारत और अमेरिका बायोफ्यूल्स के बड़े उत्पादक और उपभोक्ता हैं। अगले कुछ महीनों में ये दूसरे देशों के साथ मिलकर ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस बनाने के लिए काम करेंगे। इसके साथ ही ज्यादा बड़े और अधिक प्रभावी मल्टी लैटरल डिवेलपमेंट बैंकों की जरूरत पर भी सहमति बनी और वल्र्ड बैंक की फाइनैंसिंग क्षमता बढ़ाने की बात तय की गई। इन कदमों से अगले दशक में और 200 अरब डॉलर के कर्ज वितरण में मदद मिलेगी। क्रिप्टोकरंसी रेगुलेशन पर भी एक आम सहमति बनती नजर आई। इसके अलावा भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर जी 20 के देशों में उत्साह दिखा। एक मॉडर्न इंटरनैशनल टैक्स सिस्टम बनाने पर भी सहमति बनी। अचल संपत्तियों के बारे में जानकारी साझा करने पर काम किया गया।
उन्होने कहा कि इस जी 20 शिखर सम्मेलन ने एक वैश्विक नेता के रूप में पीएम नरेंद्र मोदी का कद और बढ़ा दिया है। यूक्रेन युद्ध के चलते साफ तौर पर दो खेमों में बंट चुकी दुनिया में पीएम मोदी सहित गिनेचुने नेता ही हैं, जिनकी बात दोनों खेमे सुनने को तैयार हैं। चाहे यूक्रेन का मसला हो या इंडो-पैसिफिक रीजन में उठाए जाने वाले कदमों की, कोई भी देश पीएम मोदी को नजरंदाज नहीं करना चाहता। ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर’ की थीम के साथ मोदी की अगुवाई में जिस तरह जी 20 समिट का आयोजन हुआ, उससे जो बाइडन सहित तमाम बड़े ग्लोबल लीडर प्रभावित हुए। यह पीएम मोदी का ही करिश्मा है कि रूस, फ्रांस, जापान से लेकर जर्मनी और अमेरिका, तक कोई ऐसा देश नहीं है, जो आज भारत के साथ करीबी रिश्ते न बनाना चाहता हो। कभी जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत ने तीसरी दुनिया के देशों की अगुवाई की थी, आज पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ग्लोबल साउथ की आवाज उठा रहा है। इस जी 20 शिखर सम्मेलन ने अंतरराष्ट्रीय मामलों में पीएम श्री मोदी का प्रभाव और बढ़ा दिया है। बाइडन और सुनक सहित तमाम नेताओं से पीएम मोदी के निजी संबंध भी और मजबूत हुए हैं। मोदी ने समिट की शुरुआत में कहा था, ‘यह हम सभी के लिए मिलकर साथ चलने का समय है।’ इसमें कोई शक नहीं कि जी 20 ने उनकी बात ध्यान से सुनी।
श्री डामोर ने यह बताया कि -20 शिखर सम्मेलन में भारत की समृद्ध जनजातीय विरासत और शिल्प कौशल का उल्लेखनीय प्रदर्शन किया गया, जिसे ट्राइफेड (ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया), जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा चुना गया और प्रदर्शित किया गया। भारत के विभिन्न क्षेत्रों के जनजातीय कारीगरों द्वारा तैयार किए गए कई श्रेष्ठ उत्पादों ने दुनिया भर के प्रतिनिधियों का ध्यान खींचा और साथ ही प्रतिनिधियों ने सराहना भी की। अपने उत्कृष्ट योगदान के लिए लोकप्रिय परेशभाई जयंतीभाई राठवा ने जी-20 शिल्प बाजार में पिथौरा कला के लाइव प्रदर्शन के साथ अपनी उल्लेखनीय प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
श्री डामोेर के अनुसार मणिपुर के लोंगपी गांव के नाम पर, तांगखुल नागा जनजाति इस असाधारण मिट्टी के बर्तनों की शैली का अभ्यास करती है। अधिकांश मिट्टी के बर्तनों के उलट, लोंगपी कुम्हार के चाक का उपयोग नहीं करते हैं। सभी आकार हाथ से और सांचे की मदद से दिये जाते हैं। विशिष्ट ग्रे-ब्लैक कुकिंग पाट्स, स्टाउट केटल, विचित्र कटोरे, मग और नट ट्रे, कभी-कभी बारीक गन्ने के हैंडल के साथ, लोंगपी के ट्रेडमार्क हैं, लेकिन अब उत्पाद श्रृंखला का विस्तार करने के साथ-साथ मौजूदा मिट्टी के बर्तनों को सुशोभित करने के लिए नए डिजाइन तत्व पेश किए जा रहे हैं। वही छत्तीसगढ़ में बस्तर की गोंड जनजाति द्वारा क्यूरेट की गई, ‘सुलूर’ बांस की पवन बांसुरी एक अनूठे संगीत सृजन के रूप में सामने आई है। पारंपरिक बांसुरी के विपरीत, यह एक साधारण एक-हाथ के घुमाव के माध्यम से धुन पैदा करती है। शिल्प कौशल में मछली के प्रतीकों, ज्यामितीय रेखाओं और त्रिकोणों के साथ सावधानीपूर्वक बांस चयन, होल ड्रिलिंग और सतह पर नक्काशी शामिल है। संगीत से परे, ‘सुलूर’ उपयोगितावादी उद्देश्यों को पूरा करता है, जनजातीय पुरुषों को जानवरों से दूर करने और जंगलों के माध्यम से मवेशियों का मार्गदर्शन करने में मदद करता है। यह कलात्मकता और कार्यक्षमता की एक सामंजस्यपूर्ण त्रिवेणी है, जो गोंड जनजाति के विशिष्ट शिल्प कौशल को प्रदर्शित करता है। गोंड जनजाति की कलात्मक प्रतिभा उनके जटिल चित्रों के माध्यम से निखर कर आती है, जो प्रकृति और परंपरा के साथ उनके गहरे संबंध को दर्शाती है। ये पेंटिंग्स दुनिया भर में कला के प्रति उत्साही लोगों की कहानी व्यक्त करती हैं। इसके अलावा गुजरात के दाहोद में भील और पटेलिया जनजाति द्वारा तैयार गुजराती वॉल हैंगिंग्स, जिसे दीवार के आकर्षण के लिए बहुत पसंद किया जाता है, एक प्राचीन गुजरात कला रूप से आई है। पश्चिमी गुजरात की भील जनजातियों द्वारा तैयार किए गए, इन हैगिंग्स में, शुरू में गुड़िया और पालने वाले पक्षी में, सूती कपड़े और रिसाइकल्ड मैटेरियल होते थे। अब, वे दर्पण के काम, जरी, पत्थर और मोती को गौरव के रूप में बताते हैं, जो परंपरा को संरक्षित करते हुए समकालीन फैशन के अनुरूप विकसित किए गए हैं।
श्री डामोर के अनुसार जी-20 में भारत की इस कामयाबी के बाद उनका कद और बड़ा होगया है। जी-20 का भव्य आयोजन देश के लिए अभूतपूर्व उपलब्धि है. इस विराट, भव्य और महान आयोजन के लिए देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र की लाो लाख जनता की ओर से हृदय से आभार प्रकट करते हैं। भारत विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने के मुहाने पर खड़ा है। संसार के सबसे लोकप्रिय नेता नरेंद्र मोदी हैं। आज विश्व भारत से नेतृत्व की अपेक्षा कर रहा है. भारत की विदेश नीति अब तक की सबसे सफल विदेश नीति मानी जा रही है। श्री डामोर ने आगे कहा कि जी-20 के आयोजन के विराट स्वरूप में भारत की प्रतिष्ठा झलक रही है। भारत की वैश्विक शक्ति, तकनीकी उद्यमिता, समावेशी विकास और आर्थिक मजबूती को पूरा विश्व अंगीकार कर रहा है। विभिन्न देशों से आए राष्ट्राध्यक्ष, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अधिकारीगण द्वारा मुक्त कंठ से भारत की प्रशंसा की गई । श्री डामोर ने प्रधानमंत्री श्री मोदी की दूरदर्शिता, कुटनीति, एवं वैश्विक मंच पर नेतेत्व करने एवं सफल आयोजन के लिये कोटी कोटी बधाईया दी है ।