महिलाएं सिर्फ ईवीएम का बटन दबाने नहीं बल्कि पुरुषों की तरह बराबर का अवसर पाने की हकदार हैं-सांसद श्री गुमानसिंह डामोर ।
महिला आरक्षण बिल को हर दल का साथ, लेकिन विपक्ष को रास नहीं आ रही मोदी के ‘मन की बात’ ।संसद के दोनो सदनों ने बहुमत से पारित किया उक्त विधेयक ।
संसदीय क्षेत्र की ओर से श्री डामोर ने प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया ।
झाबुआ । महिला आरक्षण बिल पर जिस तरह हर दल का साथ मोदी सरकार को मिल रहा है, उस लिहाज से संसद के दोनों सदनों से बिल पास हो जाएगा,। महिला आरक्षण बिल को हर दल का साथ, लेकिन विपक्ष को रास नहीं आ रही मोदी के मन की बात, यह बात क्षेत्रीय सांसद श्री गुमानसिंह डामोर ने नारी शक्ति वंदन बिल के लोकसभा मे प्रस्तुत किये जाने तथा लोकसभा द्वारा इसे प्रचंड बहुमत से पारित करने पर अपनी प्रतिक्रया देते हुए व्यक्त किये । उन्होने संसदीय क्षेत्र की जनता की ओर से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रमोदी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए इस कदम को ऐतिहासिक बताते हुए महिला सशक्तिकरण एवं जन प्रतिनिधित्व की दिशा में एक स्वर्णीम कदम बताया है ।
श्री डामोर ने कहा कि नए संसद भवन में पहले ही दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आधी आबादी को एक तिहाई हिस्सेदारी देने का ऐलान किया केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने मंगलवार को संसद और विधानमंडल में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण वाले ‘नारी शक्ति वंदन बिल’ को लोकसभा में दो तिहाही मतो से पारित हो चुका है। महिला आरक्षण बिल पर जिस तरह हर दल का साथ मोदी सरकार को मिल रहा है, उस लिहाज से संसद के दोनों सदनों से बिल पास हो जाएगा, । उन्होने कहा कि महिलाओं के लिए सियासत में भागीदारी के दरवाजे तो खुल गए हैं, पहली बात तो यह है कि विपक्षी दलों ने भले ही बिल को समर्थन दे रहे हों, लेकिन महिलाओं का आरक्षण देने का पीएम मोदी का फार्मूला कतई पसंद नहीं आ रहा है। इसके अलावा दूसरी बात यह है कि लोकसभा में पेश गए महिला आरक्षण बिल में साफ तौर पर कहा गया है कि जनगणना और परिसीमन के बाद ही नारी शक्ति वंदन अधिनियम लागू होगा।
सांसद श्री डामोर के अनुसार महिला आरक्षण की राह में तीन दशक से बाधा बन रहे राजनीतिक दलों का मूड भी वक्त के साथ बदल गया है, लेकिन वे अभी भी अपने स्टैंड कायम हैं। इसीलिए संसद के विशेष सत्र में पेश किए महिला आरक्षण बिल का सत्तापक्ष के साथ-साथ विपक्ष ने भी स्वागत किया है बीजेपी, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टिया एक साथ खड़ी नजर आ रही हैं तो सपा, बसपा, जेडीयू जैसे दलों ने समर्थन तो दे रहे हैं, लेकिन साथ-साथ सवाल भी खड़े कर रहे है ।
उन्होने बताया कि महिला आरक्षण बिल के मुताबिक, लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33प्रतिशत रिजर्वेशन लागू किया जाएगा। लोकसभा की 543 सीटों में से 181 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। ये रिजर्वेशन 15 साल तक रहेगा । महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) बुधवार को लंबी चर्चा के बाद तो-तिहाई बहुमत से लोकसभा से पास हो गया. के समर्थन में 454 और विरोध में 2 वोट पड़े। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने पर्ची से वोटिंग कराई। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी और औरंगाबाद से सांसद इम्तियाज जलील ने महिला आरक्षण बिल के विरोध में वोट किया।
गुरुवार को इस बिल को राज्यसभा में पेश किया गया, वहां भी इसे पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साइन के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा। महिला आरक्षण बिल नई संसद के लोकसभा एवं राज्यसभा में पास हुआ पहला बिल भी है। महिला आरक्षण बिल के मुताबिक, लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत रिजर्वेशन लागू किया जाएगा। लोकसभा की 543 सीटों में से 181 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। ये रिजर्वेशन 15 साल तक रहेगा। इसके बाद संसद चाहे तो इसकी अवधि बढ़ा सकती है। यह आरक्षण सीधे चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए लागू होगा, यानी यह राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा,। हमारे लिए राजनीति नहीं, मान्यता और संस्कृति का मुद्दा है. महिला सशक्तीकरण संविधान संसोधन से जुड़ा नहीं है, बल्कि ये महिलाओं के लिए सुरक्षा, सम्मान और सहभागिता का मामला है। मोदीजी ने जिस दिन पीएम पद की शपथ ली, एवं ये संकल्प लिया था । ये सरकार का संकल्प है, जिसे पूरा किया गया। परिसीमन के सेक्शन 8 और 9 में ये कहा गया है कि संख्या देकर ही निर्धारण होता है।
सांसद डामोर के अनुसार एक लंबे इंतजार के बाद महिला आरक्षण विधेयक ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ को संसद में मंजूरी मिल गई है। इसलिए आज का दिन महिला जगत के लिये एक ऐतिहासिक और गौरवशाली दिवस है। इससे यह सिद्ध हो गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महिला सशक्तीकरण की सिर्फ बात ही नहीं करते, वे इस दिशा में दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ काम करके भी दिखाते हैं। इस बिल के माध्यम से प्रधानमंत्रीजी श्री मोदी ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि मातृशक्ति सम्पूर्ण राष्ट्र की ताकत है। जिसके बिना भारत के नव निर्माण की कल्पना बेमानी हैै।
श्री डामोर के अनुसार संसद में महिलाओं के आरक्षण का प्रस्ताव 3 दशक से अटका हुआ था। पहली बार 1974 में महिलाओं की स्थिति का आकलन करने वाली समिति ने इस मुद्दे को उठाया। इसके बाद 2010 में मनमोहन सरकार ने राज्यसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण बिल को बहुमत से पारित करा लिया था। लेकिन तब सपा और आरजेडी ने महिला आरक्षण बिल का विरोध किया. दोनों पार्टियों ने तत्कालीन यूपीए सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दे दी थी। इसके बाद बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया गया।
श्री डामोर ने कहा कि इस विधेयक के पारित हो जाने पर लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दिए जाने का रास्ता खुलने के साथ ही विशेष सत्र में सरकार के मुख्य एजेंडे की तस्वीर पूरी तरह से साफ हो गई। श्री डामोर के अनुसार,महिला आरक्षण विधेयक संसद में पेश होने पर आम सहमति से पारित हो जाएगा। श्री डामोर ने कहा कि ,महिलाएं सिर्फ ईवीएम का बटन दबाने नहीं बल्कि पुरुषों की तरह बराबर का अवसर पाने की हकदार हैं। श्री डामोर ने महिला आरक्षण बिल का पुनश्च स्वागत करते हुए देश भर की मातृशक्ति को बधाईया देते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रमोदी का आभार व्यक्त किया है ।
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