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झाबुआ

खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग में परिवहन टेंडर में प्रबंध संचालक और रंगारी की रंगबाजी ने रचा नया इतिहास

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झाबुआ – मध्य प्रदेश सरकार द्वारा आम जनता को खाद्य पदार्थ गेहूं ,चावल ,शक्कर , तेल सहित अन्य वस्तुएं राशन की दुकानों के माध्यम से वितरित किया जाता है और इन दुकानों पर मध्य प्रदेश शासन द्वारा यह खाद्य वस्तुएं खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के माध्यम से परिवहन करके पहुंचाया जाता है और इस परिवहन के लिए विभाग द्वारा नियम अनुसार टेंडर प्रक्रिया को अपनाया जाता है और निविदा प्रक्रिया में न्यूनतम दर आने पर फर्म को कार्योदेश जारी किया जाता है । लेकिन चार जिले में परिवहन एवं रखरखाव की निविदा होने के बाद , फर्म विशेष को आर्थिक लाभ देने के लिए प्रक्रिया को ही निरस्त किया गया और विभाग में पदस्थ विवेक रंगारी के संरक्षण में यह परिवहन और रखरखाव का ठेका फर्म विशेष को दिलाया गया । इस संपूर्ण प्रक्रिया में खाद्यान्न और आपूर्ति नागरिक निगम के प्रबंध संचालक की साठगांठ से यह ठेका अपनी चहेती फर्म को दिया गया । क्या शासन प्रशासन इसको लेकर कोई जांच करेगा । इस तरह के आरोपो को लेकर फर्म सांचल टायर्स ने खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की निविदा प्रक्रिया को लेकर, जांच हेतु निवेदन किया ।

प्राप्त जानकारी अनुसार खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा झाबुआ , धार, बडवानी , अलिराजपुर के लिए मेघनगर रैक पॉइंट से खाद्य पदार्थ के परिवहन एवं रखरखाव एवं अन्य कार्य के लिए जैम पोर्टल पर निविदा आमंत्रित की गई । निविदा 8 अगस्त 2023 को पोर्टल पर अपलोड की गई और वर्ष 2023 – 25 के लिए यह परिवहन कार्य की निविदा आमंत्रित की गई । निविदा समाप्ति दिनांक 29 अगस्त थी । तथा बीड नंबर GEM/ 2023 /B /3802684 थी । संभवत जैम पोर्टल पर आमंत्रित इस निविदा प्रक्रिया में चार फार्मो ने हिस्सा लिया , सांचल टायर्स , सुरेशचंद पूरणमल जैन, सोना ट्रांसपोर्ट कंपनी, जेनित ट्रांसपोर्ट कंपनी । इन चार फर्मो में फर्म सांचल टायर्स की दर सबसे न्यूनतम आने पर L1 पर आई । निविदा में L1 आने पर याने निविदा एवं दर स्वीकृत किए जाने पर कार्योदेश जारी किया जाता है । विभाग में पदस्थ विवेक रंगारी ने एग्रीमेंट के लिए सर्वप्रथम कहा की कुछ समय लगेगा और बाद में आचार संहिता का बहाना बनाया । सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार इसी बीच फर्म सुरेशचंद जैन द्वारा पत्र के माध्यम से विभाग को निविदा प्रक्रिया में आई L1 से भी कम दर पर कार्य करने की इच्छा जताई और विभाग के प्रबंध संचालक और मैनेजर विवेक रंगारी के संरक्षण में पत्र को आधार बनाकर विभाग द्वारा इस निविदा प्रक्रिया को ही निरस्त कर दिया गया । जबकि पत्र देने वाली फर्म ने भी निविदा में हिस्सा लिया था और उसकी दरें अधिक थी । निविदा निरस्त करना ही इस बात को दर्शाता है कि कहीं ना कहीं इस परिवहन एवं रखरखाव की निविदा में आर्थिक लेनदेन और भ्रष्टाचार की बू आ रही है निविदा निरस्त करने के बाद विभाग द्वारा पुनः निविदा आमंत्रित की गई और इस बार इस प्रक्रिया में फर्म विशेष को लाभ देने के लिए एक नई शर्त भी निविदा में दी गई ।इस निविदा में वही फर्म या कंपनी शामिल हो सकती है जिसने 2 करोड रुपए के परिवहन का कार्य किया हो । क्योंकि यह कार्य 3 करोड रुपए से अधिक का है और फर्म सुरेश चंद जैन की कंपनी अभी परिवहन का काम कर रही है तो निश्चित ही इस शर्त को पूरा करने में सक्षम है । पुन: निविदा आमंत्रण में नई शर्त का शामिल करना ही जांच का विषय है । नियम अनुसार कोई भी निविदा तकनीकी एवं प्राइस बीड में स्वीकृत होने के बाद, यदि कोई अन्य फर्म निविदा में स्वीकृत दर से भी कम दर पर कार्य करने.की इच्छा जताई जाती है तो क्या नियमानुसार निविदा प्रक्रिया को निरस्त किया जा सकता है…..? निविदा की संपूर्ण प्रक्रिया को लेकर फर्म सांचल टायर्स द्वारा प्रमुख सचिव खाद एवं नागरिक आपूर्ति विभाग को जांच एव कारवाई की मांग की है ।

विवेक रंगारी , मैनेजर झाबुआ ।

विभाग के प्रबंध संचालक और मैनेजर विवेक रंगारी की जुगलबंदी ने रचा नया इतिहास

खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा आमंत्रित निविदा में सबसे कम दर आने के बाद भी विभाग द्वारा संबंधित फर्म को कार्योदेश जारी नहीं किया गया । सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार विभाग के आला अधिकारियों द्वारा अन्य फर्म द्वारा पत्र के माध्यम से स्वीकृत दर से भी कम दर पर कार्य करने की इच्छा को सर्वोपरि मानते हुए निविदा निरस्त कर दी गई । तथा पुन: निविदा प्रक्रिया अपनाई गई । संभवत विभाग के आला अधिकारियों द्वारा फर्म विशेष के पत्र को यह आधार माना होगा की कम दर पर कार्य करने से निगम को लाभ होगा । जबकि संबंधित फर्म.की निविदा में अधिक दर थी । प्रश्न यह है कि क्या निविदा प्रक्रिया में इस नियम या शर्त को उल्लेखित किया गया था कि निविदा प्रक्रिया के बाद भी यदि कोई फर्म कम दर पर काम करने को तैयार है तो निविदा को निरस्त किया जा सकेगा । सूत्रों के अनुसार विभाग के प्रबंध संचालक और जिला मैनेजर विवेक रंगारी की जुगलबंदी ने एक नया इतिहास रचते हुए टेंडर प्रक्रिया के बाद भी पत्र को आधार मानकर निविदा को ही निरस्त किया गया । अन्य शासकीय विभाग जैसे पीचई , पीडब्लूडी ,आर.ई एस ,वन विभाग आदि अन्य शासकीय विभाग को खाद्यान्न एव आपूर्ति नागरिक निगम के अधिकारियों की इस कार्य प्रणाली से सीखना चाहिए और निविदा आमंत्रण के बाद भी यदि कोई फर्म कम दर पर कार्य करने के इच्छुक हो तो , निविदा को निरस्त किया जा सकता हैं ।शासन को भी इस तरह की प्रक्रिया अपनाते हुए सभी निविदा में यह शर्त लागू करना चाहिए । क्या शासन प्रशासन इस और ध्यान देकर इस तरह की निविदा प्रक्रिया में विशेष शर्तों को लागू कर फर्म विशेष को लाभ देने की इस प्रक्रिया को लेकर कोई जांच करेगा……?

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