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झाबुआ

मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन स्वर्ग के द्वार खुलते हैं-पण्डित हिमांशु शुक्ल । 15 जनवरी को मनाया जावेगा मकर संक्राति का पर्व ।

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मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन स्वर्ग के द्वार खुलते हैं-पण्डित हिमांशु शुक्ल ।
15 जनवरी को मनाया जावेगा मकर संक्राति का पर्व ।

झाबुआ । हिंदू पंचांग के मुताबिक, इस साल मकर संक्रांति पर्व 15 जनवरी 2024 को मनाया जाएगा। पौराणिक मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिन सूर्य देव की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन मे सुख, शांति और समृद्धि आती है। उक्त जानकारी ज्योतिषाचार्य पण्डित हिमांशु शुक्ला ने देते हुए बताया कि हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन दान का विशेष महत्व है। माना जाता है कि जब सूर्य मकर राशि में गोचर करते हैं, तब यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से सूर्य देव की पूजा की जाती है। वहीं मकर संक्रांति के दिन लोग विशेष रूप से तिल और गुड़ खाया जाता है ।
पण्डित हिमाशु के अनुसार हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का पर्व बहुत महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से तिल और गुड़ का सेवन किया जाता है। साथ ही इस दिन विशेष रूप से सूर्य देव की पूजा की जाती है। इस साल मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी दिन सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन दान का भी विशेष महत्व है। इसके साथ ही इस दिन काफी शुभ योग बन रहे हैं। इसीलिए इस दिन कई चीजें दान करने का विशेष लाभ मिलेगा।
उन्होने बताया कि इस साल 15 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन कई सारे शुभ योग बन रहे हैं, जिसमें सबसे बड़ा योग है रवि योग।  इस दिन सुबह 07.15 से लेकर सुबह 08.07 बजे तक रवि योग बन रहा है। इस योग में स्नान दान का विशेष महत्व है। जो भी व्यक्ति इस योग में भगवान सूर्य की पूजा करेगा, उसके मान सम्मान में वृद्धि होगी। इस दिन विशेष रूप से सूर्यदेव की पूजा अर्चना की जाती है, इसलिए इस दिन सूर्यदेव से संबंधित सामग्री जैसे गुड़, तिल, तांबा, वस्त्र आदि का दान करना शुभ माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन रवि योग के साथ ही महापुण्य योग भी बन रहा है। इस योग में दान पुण्य और पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। इस योग में इस पवित्र नदी में स्नान करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं, इस बार वरियान योग भी बन रहा है, जिसमे कुबेर और शुक्र के मंत्रों का जप करना विशेष लाभ देगा। इस तरह मकर संक्रांति पुण्यकाल 07 बजकर 15 मिनट से 06 बजकर 21 मिनट तक तथा मकर संक्रांति महापुण्यकाल 07 बजकर 15 मिनट से 09 बजकर 06 मिनट तक रहेगा।
पण्डित शुक्ला के अनुसार नए साल का सबसे पहला हिंदू पर्व मकर संक्रांति का माना जाता है। मकर संक्रांति का पर्व लगभग पूरे देश में मनाया जाता है, हालांकि इसे मनाने का तरीका और नाम अलग अलग राज्यों में भिन्न-भिन्न होते हैं। इस वर्ष मकर संक्रांति 15 जनवरी 2024 को मनाई जा रही है। कहते हैं जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, तो उसे ’संक्रांति’ कहा जाता है। मकर संक्रांति के मौके पर स्नान और दान की परंपरा है। हालांकि कुछ जगहों पर इसे मनाने के अलग रीति रिवाज हैं। मकर संक्रांति का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। साल में वैसे 12 संक्रांति मनाई जाती है लेकिन, मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य धनु राशि के निकलकर मकर राशि में संचार करते हैं। इसलिए इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
उनके अनुसार नए साल यानी 2024 में मकर संक्रांति 15 जनवरी सोमवार के दिन मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे। मकर संक्रांति देश के अलग अलग कोने में अलग अलग नामों से जाना जाता है। उत्तरायण, पोंगल, मकरविलक्कु, माघ और बिहु। शास्त्र के अनुसार, इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान पुण्य करने से व्यक्ति को कभी भी खत्म होने वाले पुण्य प्राप्त होता है।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन स्वर्ग के द्वार खुलते हैं। इसलिए भीष्म पितामह ने भी बाण लगने के बाद भी प्राण त्यागने के लिए सिर्फ उत्तरायण का समय चुना था। ताकी उन्हें मोक्ष मिल सके। साथ ही शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन गंगा स्नान करने से सात जन्मों के पाप मिट जाते हैं। मकर संक्रांति के दिन स्नान करने  के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें. चढ़ाए जाने वाले जल में तिल जरूर डालें. ऐसा करने से इंसान की बंद किस्मत के दरवाजे खुलते हैं। मकर संक्रांति के दिन पितरों की शांति के लिए जल देते समय उसमें तिल अवश्य डालें. ऐसा करेंगे तो मान्यतानुसार पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन तिल, जूते, अन्न, वस्त्र कंबल का दान करने से व्यक्ति को शनिदेव और सूर्यदेव की कृपा मिलती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन आप जो भी दान करेंगे वह सीधा भगवान को अर्पित होता है। इसलिए इस दिन दान पुण्य दिल से करना चाहिए। साथ ही इस दिन से रात छोटी होने लगती हैं और दिन थोड़े लंबे होना शुरू हो जाते है।

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